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हल्द्वानी की सफाई रैंकिंग में 80 पायदान की गिरावट, जिम्मेदार सिर्फ सिस्टम नहीं, शहरवासी भी

कुमाऊं का प्रवेश द्वार कहलाने वाला हल्द्वानी शहर स्वच्छता के मामले में पिछड़ गया है। वर्ष 2024-25 के स्वच्छता सर्वेक्षण में हल्द्वानी की रैंकिंग 211 से गिरकर 291 हो गई है। बीते एक साल में 80 पायदान की गिरावट चिंताजनक है, और इसके पीछे केवल नगर निगम की लापरवाही ही नहीं, बल्कि आम नागरिकों की उदासीनता भी अहम वजह बनकर उभरी है।
शहर के विभिन्न हिस्सों में जगह-जगह कूड़े के ढेर इस बात का प्रमाण हैं कि सफाई व्यवस्था और कूड़ा निस्तारण की मौजूदा व्यवस्था पूरी तरह विफल हो चुकी है। अमर उजाला की एक सर्वे रिपोर्ट के अनुसार, डोर-टू-डोर कूड़ा कलेक्शन सिर्फ 60 प्रतिशत घरों तक ही सीमित है। वहीं, सूखे और गीले कूड़े का पृथक्करण महज 37 प्रतिशत स्तर पर ही हो पा रहा है।
परेशानी सिर्फ कूड़े तक सीमित नहीं
सार्वजनिक शौचालयों की स्थिति भी बेहद खराब है। नगर निगम द्वारा बनाए गए इन शौचालयों में से आधे से अधिक सफाई के मानकों पर खरे नहीं उतरते। गौलापार स्थित ट्रंचिंग ग्राउंड भी रैंकिंग में बाधा बन गया है, जहां लिगेसी कचरे के पहाड़ हर साल सर्वे में शहर को पीछे धकेलते हैं। हालाँकि निगम द्वारा अब यहां लिगेसी प्लांट की स्थापना की गई है, जिससे आने वाले समय में सुधार की उम्मीद की जा रही है।

शहरवासी भी कम जिम्मेदार नहीं
डोर-टू-डोर कूड़ा गाड़ी आने के बावजूद कई लोग अब भी खुले में कूड़ा फेंक रहे हैं, जिससे न केवल शहर की तस्वीर खराब हो रही है, बल्कि रैंकिंग में भी गिरावट आ रही है।

क्या बोले जिम्मेदार:

ऋचा सिंह (नगर आयुक्त): “सर्वे में शहरों की संख्या बढ़ी है, जिससे रैंकिंग पर असर पड़ा। सभी वार्डों में कूड़ा उठाया जा रहा है और ट्रंचिंग ग्राउंड में सुधार के प्रयास जारी हैं।”
➡️ गजराज सिंह बिष्ट (मेयर): “रिपोर्ट का अध्ययन कर खामियों को दूर किया जाएगा। विशेष सफाई अभियान जारी है।”