Homeउत्तराखण्डबिग ब्रेकिंग: नैनीताल हाईकोर्ट ने उत्तराखंड पंचायत चुनाव 2025 पर लगाई रोक

बिग ब्रेकिंग: नैनीताल हाईकोर्ट ने उत्तराखंड पंचायत चुनाव 2025 पर लगाई रोक

उत्तराखंड में होने वाले त्रिस्तरीय पंचायत चुनावों पर नैनीताल हाईकोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाते हुए रोक लगा दी है। इस निर्णय ने चुनाव की तैयारियों पर विराम लगा दिया है, जो पूरे जोर-शोर से चल रही थीं। कोर्ट का यह फैसला मुख्य रूप से आरक्षण नीति से संबंधित उठाए गए सवालों के जवाब में आया है। इस रोक ने चुनाव कार्यक्रम को लेकर अनिश्चितता पैदा कर दी है, जो दो चरणों में 10 और 15 जुलाई 2025 को होने वाले थे, और परिणाम 19 जुलाई 2025 को घोषित होने थे।

उत्तराखंड पंचायत चुनाव पर रोक: उत्तराखंड हाईकोर्ट ने राज्य में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव हेतु निर्धारित किये गए आरक्षण के रोटेशन प्रक्रिया को चुनौती देती याचिकाओं पर सुनवाई की. मामले की सुनवाई के बाद मुख्य न्यायाधीश जी नरेंद्र व न्यायमूर्ति आलोक महरा की खण्डपीठ ने आरक्षण को नियमों के तहत तय नहीं पाते हुए त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव पर रोक लगा दी है. साथ में सरकार से जवाब पेश करने को कहा है. बीते शुक्रवार को कोर्ट ने राज्य सरकार से स्थिति से अवगत कराने को कहा था. परन्तु राज्य सरकार आज स्थिति से अवगत कराने में असफल रही है. कोर्ट के आदेश के बाद भी सरकार ने चुनाव की तिथि निकाल दी. जबकि मामला कोर्ट में चल रहा है. जिस पर कोर्ट ने पूरी चुनाव प्रक्रिया पर रोक लगा दी.

इन्होंने दायर की थी याचिका: मामले के अनुसार बागेश्वर निवासी गणेश दत्त कांडपाल व अन्य ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर कहा कि सरकार ने 9 जून 2025 को एक आदेश जारी कर पंचायत चुनाव हेतु नई नियमावली बनाई. साथ ही 11 जून को आदेश जारी कर अब तक पंचायत चुनाव हेतु लागू आरक्षण रोटशन को शून्य घोषित करते हुए इस वर्ष से नया रोटशन लागू करने का निर्णय लिया है. जबकि हाईकोर्ट ने पहले से ही इस मामले में दिशा निर्देश दिए हैं.

याचिका में ये दिया गया था कारण: याचिकाकर्ता के अनुसार इस आदेश से पिछले तीन कार्यकाल से जो सीट आरक्षित वर्ग में थी वह चौथी बार भी आरक्षित कर दी गई है. जिस कारण वे पंचायत चुनाव में भाग नहीं ले पा रहे हैं. इस मामले में सरकार की ओर से बताया गया कि इसी तरह के कुछ मामले एकलपीठ में भी दायर हैं. जबकि याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने कहा कि उन्होंने खण्डपीठ में 9 जून को जारी नियमों को भी चुनौती दी है. जबकि एकलपीठ के समक्ष केवल 11 जून के आदेश जिसमें अब नए सिरे से आरक्षण लागू करने का उल्लेख है, को चुनौती दी गई है.