उत्तराखंड में लगातार हो रही भारी बारिश के बाद एक नई चुनौती सामने आई है। राज्य की नदियों में गाद (सिल्ट) बढ़ने से बिजली उत्पादन ठप हो गया है, जिससे पूरे प्रदेश में बिजली संकट गहराता जा रहा है। इस आपात स्थिति से निपटने के लिए नैनीताल जिले के कई हिस्सों में सोमवार देर शाम इमरजेंसी रोस्टिंग लागू की गई, जिससे हल्द्वानी, रामनगर और लालकुआं जैसे बड़े इलाके करीब पांच घंटे अंधेरे में डूबे रहे।
शाम 6:30 बजे से गुल हुई बिजली देर रात करीब 12 बजे जाकर बहाल हो सकी। इस दौरान दो लाख से अधिक उपभोक्ताओं को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ा।
कांवड़ मेले को प्राथमिकता, कुमाऊं में रोस्टिंग:
विभागीय सूत्रों के अनुसार, इन दिनों हरिद्वार और उसके आसपास के क्षेत्रों में कांवड़ मेले को देखते हुए 24 घंटे निर्बाध बिजली आपूर्ति सुनिश्चित करने के निर्देश हैं। इसी क्रम में गढ़वाल क्षेत्र को प्राथमिकता देते हुए कुमाऊं के नैनीताल और ऊधमसिंह नगर जिलों में आपात रोस्टिंग की गई। बताया गया कि राज्य में बिजली उत्पादन में अचानक 500 मेगावाट की कमी आ गई है।
पावर स्टेशन बंद, संकट और गहराया:
राज्य में गाद बढ़ने की वजह से उत्तराखंड जल विद्युत निगम के 9 पावर स्टेशन बंद कर दिए गए हैं। इससे बिजली उत्पादन बुरी तरह प्रभावित हुआ है। विभागीय अधिकारी भी बिजली बहाली की सही जानकारी देने में असमर्थ नजर आए।
इस संकट ने एक बार फिर यह सवाल खड़ा कर दिया है कि आपदा की स्थिति में राज्य की बिजली व्यवस्था कितनी तैयार है और ग्रामीण व शहरी उपभोक्ताओं की प्राथमिकताएं किस आधार पर तय की जा रही हैं।
बिगड़ गया पूरा पावर सप्लाई सिस्टम
एक साथ नौ पावर प्रोजेक्ट से बिजली उत्पादन बंद होने से पूरा पावर सप्लाई सिस्टम बिगड़ गया। ग्रिड में बिजली उपलब्ध न होने पर यूपीसीएल की ओर से नेशनल ग्रिड से भी ओवरड्रा करने का प्रयास किया गया, लेकिन यह प्रयास विफल रहा। ग्रिड में कोई दिक्कत पेश न आए, इसके लिए शाम सात बजे से राज्य में इमरजेंसी बिजली कटौती शुरू हुई। स्थिति ये रही कि राजधानी देहरादून नगर निगम क्षेत्र को छोड़ कर डोईवाला, सेलाकुईं, सहसपुर, हबर्टपुर, ऋषिकेश, श्यामपुर, रायवाला जैसे क्षेत्रों में भी बिजली कटौती करनी पड़ी। हरिद्वार, यूएसनगर, नैनीताल के भी ग्रामीण और छोटे नगरों में बिजली कटौती सोमवार देर रात तक जारी रही। उद्योगों को भी बिजली कटौती झेलनी पड़ी।