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अंग्रेजी नहीं आती तो पद कैसे संभालेंगे? ADM अफसर ने हिंदी में दिया जवाब, भड़के जज साहब ने जांच की बात कह दी

पंचायत निर्वाचन सूची में पारिवारिक रजिस्टर की वैधता से संबंधित एक मामले की सुनवाई के दौरान, उत्तराखंड हाईकोर्ट ने हाल ही में सवाल उठाया कि क्या एक अपर जिला मजिस्ट्रेट, जिसने स्वीकार किया कि वह अंग्रेजी में दक्ष नहीं है, कार्यकारी पद को “प्रभावी ढंग से नियंत्रित” कर सकता है।
दरअसल, जज ने सुनवाई के दौरान हिंदी में बात रखने पर उनसे अंग्रेजी में उनकी दक्षता के बारे में पूछा। अधिकारी ने जवाब दिया कि वह अंग्रेजी समझ तो सकते हैं, लेकिन धाराप्रवाह बोल नहीं पाते। मुख्य न्यायाधीश जी. नरेंद्र और न्यायमूर्ति आलोक महारा की खंडपीठ ने मामले की अगली सुनवाई 28 जुलाई को तय की है। कोर्ट ने राज्य चुनाव आयुक्त (SEC) और मुख्य सचिव को निर्देश दिया है कि वे जांच करें कि क्या ADM स्तर का कोई अधिकारी, जिसे अंग्रेजी का ज्ञान नहीं है या ‘अपने शब्दों में अंग्रेजी में संवाद करने में असमर्थ’ है, वह प्रभावी रूप से एक कार्यकारी पद को संभालने में सक्षम होगा?

मामला मतदाता सूची से शुरू हुआ

यह विवाद पंचायत चुनाव की मतदाता सूची तैयार करने की प्रक्रिया से संबंधित एक सुनवाई के दौरान सामने आया। कोर्ट में उत्तर प्रदेश पंचायत राज (निर्वाचक पंजीकरण) नियम, 1994 के तहत मतदाता सूची में नाम शामिल करने की प्रक्रिया पर चर्चा हो रही थी। कोर्ट ने सवाल उठाया कि क्या पारिवारिक रजिस्टर के बिना अन्य दस्तावेजों या सत्यापन के आधार पर नाम शामिल करना वैध है। इस दौरान एडीएम ने अपनी बात हिंदी में रखी, जिसके बाद मुख्य न्यायाधीश ने उनकी अंग्रेजी भाषा की क्षमता पर सवाल उठाए।

अंग्रेजी की अनिवार्यता पर सवाल

इस घटना ने एक बड़े सवाल को जन्म दिया है: क्या हिंदी भाषी राज्य उत्तराखंड में प्रशासनिक पदों पर बैठे अधिकारियों के लिए अंग्रेजी बोलना अनिवार्य होना चाहिए? कोर्ट ने इस मुद्दे पर गंभीर चिंता जताते हुए कहा कि प्रशासनिक और कार्यकारी जिम्मेदारियों के लिए संवाद की स्पष्टता और प्रभावशीलता महत्वपूर्ण है। कोर्ट ने यह भी पूछा कि यदि पूरे राज्य में मतदाता सूची तैयार करने के लिए केवल पारिवारिक रजिस्टर पर निर्भरता है, तो इस प्रक्रिया की पारदर्शिता और वैधता पर सवाल उठते हैं।

हाईकोर्ट ने मुख्य सचिव और राज्य निर्वाचन आयुक्त को इस मामले की जांच करने और 28 जुलाई को वर्चुअल सुनवाई में अपनी स्थिति स्पष्ट करने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने यह भी कहा कि मतदाता सूची की प्रक्रिया की वैधता और पारदर्शिता पर विस्तृत रिपोर्ट पेश की जाए। इस बीच, प्रशासन ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए आंतरिक जांच शुरू कर दी है।