उत्तराखंड की प्रसिद्ध चारधाम यात्रा इस साल श्रद्धालुओं के लिए एक चुनौती साबित हो रही है. यात्रा शुरू होने के 29 दिनों के भीतर ही 68 श्रद्धालुओं की मौत हो चुकी है, जो एक गंभीर चिंता का विषय है. इनमें से अधिकांश मौतें खराब स्वास्थ्य के कारण हुई हैं.
स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं बनीं मुख्य वजह
राज्य आपातकालीन परिचालन केंद्र के आंकड़ों के अनुसार, 68 में से 60 श्रद्धालुओं की मौत स्वास्थ्य बिगड़ने के कारण हुई, जिनमें हृदय संबंधी समस्याएं, सांस लेने में तकलीफ और मधुमेह जैसी बीमारियां प्रमुख हैं. यह दर्शाता है कि अत्यधिक ऊंचाई और बदलता मौसम पहले से बीमार श्रद्धालुओं के लिए घातक साबित हो रहा है. आठ अन्य मौतें अलग-अलग कारणों से हुईं, जिनमें 6 श्रद्धालुओं की जान उत्तरकाशी के गंगनानी में हुए हेलीकॉप्टर क्रैश में गई थी.
केदारनाथ में सबसे ज्यादा मौतें
मृत्यु के आंकड़ों में केदारनाथ धाम सबसे आगे है, जहां 26 दिनों के भीतर 30 श्रद्धालुओं ने दम तोड़ा है. इसके बाद गंगोत्री धाम में 14 और बद्रीनाथ धाम तथा यमुनोत्री धाम में 12-12 श्रद्धालुओं की मौत हुई है. यह आंकड़ा यात्रा के शुरुआती दिनों में ही श्रद्धालुओं की सुरक्षा पर सवाल खड़ा करता है. चारधाम यात्रा 30 अप्रैल को अक्षय तृतीया के दिन यमुनोत्री और गंगोत्री धाम के कपाट खुलने के साथ शुरू हुई थी. 2 मई को केदारनाथ और 4 मई को बद्रीनाथ के कपाट खोले गए. अब तक कुल 16,45,155 श्रद्धालु इन धामों के दर्शन कर चुके हैं, जिसमें केदारनाथ में सर्वाधिक 6,25,837 श्रद्धालु पहुंचे हैं.
यह जरूरी है कि श्रद्धालु अपनी स्वास्थ्य स्थिति का पूरा ध्यान रखें और यात्रा पर निकलने से पहले डॉक्टरी सलाह लें. उत्तराखंड सरकार को भी इन मौतों के कारणों पर गंभीरता से विचार करते हुए सुरक्षा उपायों को और मजबूत करने की आवश्यकता है.