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दोनों पैर खराब, चार बार वर्ल्ड रिकॉर्ड होल्डर दिग्विजय सिंह की नई उड़ान – अब छठी उपलब्धि भी जुड़ी

जहां हौसले बुलंद हों, वहां शारीरिक सीमाएं कभी बाधा नहीं बनतीं। कुछ ऐसी ही प्रेरणादायक कहानी है उत्तराखंड के लक्सर तहसील क्षेत्र के दाबकी कला गांव निवासी दिव्यांग खिलाड़ी दिग्विजय सिंह की। मोटर स्पोर्ट्स में चार विश्व रिकॉर्ड और दो इंडिया रिकॉर्ड के साथ अब तक छह रिकॉर्ड अपने नाम कर चुके दिग्विजय ने एक और कारनामा कर दिखाया है। हाल ही में उन्होंने चंडीगढ़ से हिमाचल तक आयोजित 475 किलोमीटर की कार रैली में हिस्सा लेकर अपनी श्रेणी में पहला स्थान प्राप्त किया।

दिव्यांगता नहीं, हौसले की जीत

दिग्विजय सिंह के दोनों पैर जन्म से ही खराब हैं, लेकिन उन्होंने कभी भी इसे अपनी कमजोरी नहीं बनने दिया। मोटर स्पोर्ट्स की कठिन और साहसी दुनिया में कदम रखते हुए उन्होंने खुद को न केवल साबित किया, बल्कि राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उत्तराखंड का नाम भी रोशन किया।

एथलेटिक्स में भी दमदार प्रदर्शन

मोटर रेसिंग के अलावा दिग्विजय सिंह एथलेटिक्स में भी अपनी प्रतिभा का लोहा मनवा चुके हैं। अब तक वे राज्य और राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिताओं में 45 पदक जीत चुके हैं। यह उपलब्धि किसी भी सामान्य खिलाड़ी के लिए भी चुनौतीपूर्ण होती, लेकिन दिग्विजय ने इसे अपने जुनून और मेहनत से संभव कर दिखाया।

गुंबल इंडिया रेस में बनाए वर्ल्ड रिकॉर्ड

दिग्विजय सिंह की सबसे चर्चित उपलब्धियों में से एक है गुंबल इंडिया 2020 रैली, जिसमें उन्होंने कन्याकुमारी से आगरा तक 3000 किलोमीटर की दूरी महज 58 घंटे में तय की, जबकि निर्धारित समय सीमा 60 घंटे थी। इसके बाद 2021 में उन्होंने गुजरात के कोटेश्वर धाम से अरुणाचल प्रदेश के काहो गांव (भारत-चीन सीमा) तक 4000 किलोमीटर की रेस 76 घंटे में पूरी की, जिसे वर्ल्ड रिकॉर्ड में शामिल किया गया।

नवीनतम उपलब्धि – चंडीगढ़ कार रैली में प्रथम स्थान

27 से 29 सितंबर 2024 के बीच चंडीगढ़, पंजाब और हिमाचल प्रदेश में आयोजित हुई ऑल इंडिया कार रैली प्रतियोगिता में देशभर से 92 प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया। इस चुनौतीपूर्ण ट्रैक में दिग्विजय सिंह ने एडवोकेट प्रीति गोस्वामी के साथ मिलकर 2200 सीसी की रेनॉल्ट कार से प्रतिभाग किया। इस रैली में न केवल समय, गति और दूरी का समन्वय था, बल्कि ट्रैक का रास्ता भी दुर्गम और अति दुर्गम श्रेणी में था। पहले लेग को सफलतापूर्वक पूरा करने के बाद दिग्विजय ने दूसरे लेग में बढ़त बनाते हुए अपनी श्रेणी में पहला स्थान हासिल किया। यह जीत उनकी सहनशक्ति, फोकस और टीमवर्क का प्रमाण है।

प्रेरणा के स्रोत बन चुके हैं दिग्विजय

दिग्विजय सिंह आज लाखों दिव्यांग युवाओं के लिए प्रेरणा का स्त्रोत बन चुके हैं। उनका कहना है – “दिव्यांगता शरीर में हो सकती है, लेकिन अगर मन और सोच मजबूत हो, तो कोई भी मंजिल दूर नहीं होती। उनकी यह उपलब्धि यह साबित करती है कि किसी भी असाधारण सपने को साकार करने के लिए जुनून और आत्मविश्वास ही सबसे बड़ी पूंजी होती है।