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High Court : उत्तराखंड में IPL मैच क्यों नहीं : हाईकोर्ट ने CAU से पूछा तीखा सवाल, देहरादून और हल्द्वानी में international मैचों की अपेक्षा

उत्तराखंड हाईकोर्ट ने क्रिकेट प्रेमियों और राज्य के खेल जगत को चौंकाने वाला एक बड़ा सवाल उठाया है। अदालत ने पूछा है कि आखिर उत्तराखंड में आज तक इंडियन प्रीमियर लीग (IPL) का एक भी मैच क्यों नहीं कराया गया? हाईकोर्ट ने क्रिकेट एसोसिएशन ऑफ उत्तराखंड (CAU) से यह अपेक्षा भी की है कि जल्द ही देहरादून और हल्द्वानी में अंतरराष्ट्रीय स्तर और आईपीएल के मैच आयोजित किए जाएंगे। शुक्रवार को उत्तराखंड क्रिकेट एसोसिएशन में कथित अनियमितताओं के मामले में दायर एक याचिका पर सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने यह महत्वपूर्ण टिप्पणी की। न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल की एकलपीठ ने मामले की अगली सुनवाई के लिए 1 जुलाई की तारीख तय की है।

अंतर्राष्ट्रीय स्टेडियम होने के बावजूद मैचों का अभाव

एकलपीठ ने टिप्पणी की कि देहरादून और हल्द्वानी में अंतर्राष्ट्रीय स्तर के स्टेडियम बने हुए हैं, बावजूद इसके इन स्टेडियमों का पूरा उपयोग नहीं हो रहा है। कोर्ट ने सुझाव दिया कि सरकार और CAU के बीच एक समझौता ज्ञापन (MOU) किया जाए, ताकि एसोसिएशन अपनी खेल गतिविधियों को इन स्टेडियमों में संचालित कर सके। न्यायालय का मानना है कि इससे राज्य में क्रिकेट का विकास होगा और क्रिकेटर बनने के इच्छुक बच्चों को इन सुविधाओं में बेहतरीन ट्रेनिंग मिल सकेगी। यह निर्देश राज्य में खेल सुविधाओं के उपयोग और खेल प्रतिभाओं को निखारने पर हाईकोर्ट के गंभीर रुख को दर्शाता है। हाईकोर्ट ने यह भी कहा कि क्रिकेट एसोसिएशन ऑफ उत्तराखंड बैठक कर उपाध्यक्ष पद के लिए निर्वाचन कर सकती है।

CAU में अनियमितताओं के गंभीर आरोप, लोकपाल का फैसला रद्द करने की चुनौती

यह पूरा मामला देहरादून निवासी संजय रावत और अन्य द्वारा हाईकोर्ट में दायर याचिका से जुड़ा है। याचिकाकर्ताओं ने आरोप लगाया है कि CAU में बड़े पैमाने पर अनियमितताएं हुई हैं। उन्होंने पहले अनियमितताओं के खिलाफ लोकपाल के समक्ष शिकायत दर्ज कराई थी, जिसे खारिज कर दिया गया था। इसी लोकपाल के फैसले को उन्होंने हाईकोर्ट में चुनौती दी है।

पूर्व में सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने 27 अप्रैल 2025 को CAU की एक विशेष आम बैठक के लिए नोटिस पेश किया था, जो 19 मई 2025 को 11 बजे आयोजित की जानी थी। इस बैठक में कई महत्वपूर्ण कार्य किए जाने थे, जैसे 11 फरवरी 2025 को आयोजित पिछली वार्षिक आम बैठक के कार्यवृत्त की पुष्टि करना, उपाध्यक्ष पद के लिए चुनाव (एक पद), और नए सदस्य को शामिल करने पर चर्चा करना आदि।

भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप, FIR दर्ज न होने पर भी सवाल

याचिकाकर्ताओं के अधिवक्ता ने कोर्ट को बताया कि यह याचिका 2022 से लंबित है और आज तक प्रतिवादियों (CAU) की ओर से कोई जवाब दाखिल नहीं किया गया है। उन्होंने यह भी कहा कि प्रतिवादियों के खिलाफ भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप हैं। अधिवक्ता ने कोर्ट को यह भी बताया कि हाईकोर्ट की एक अन्य बेंच ने 26 मार्च 2025 को एक आदेश दिया था, जिसके तहत राज्य सरकार को जवाब दाखिल करने तथा यह बताने का निर्देश दिया गया था कि यदि संज्ञान का मामला बनता है, तो FIR क्यों नहीं दर्ज की गई। इस आदेश के बावजूद अभी तक कोई FIR दर्ज नहीं की गई है, जो मामले की गंभीरता को और बढ़ा देता है।

याचिकाकर्ता ने कोर्ट के समक्ष लोकपाल की ओर से 15 मई 2025 को पारित आदेश भी पेश किया, जिसके तहत याचिकाकर्ता की सदस्यता भी रद्द कर दी गई थी। याचिकाकर्ता ने इस आदेश को भी चुनौती दी है, यह आरोप लगाते हुए कि उनकी शिकायत के बाद उन्हें निशाना बनाया जा रहा है।

गौलापार स्टेडियम खोलने का भी आदेश, केले पर 35 लाख के बिल का आरोप

गौरतलब है कि इसी सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने खेल सचिव को 24 घंटे के भीतर गौलापार (हल्द्वानी) और देहरादून के स्पोर्ट्स स्टेडियम खोलने का भी निर्देश दिया है। कोर्ट ने कहा है कि इन स्टेडियमों को सुबह 6 से शाम 8 बजे तक खुला रखा जाए ताकि खिलाड़ियों को निजी स्टेडियमों में न जाना पड़े। याचिका में यह भी आरोप लगाया गया था कि CAU में क्रिकेट खेल के आयोजन के लिए लगभग 12 करोड़ रुपये के सरकारी धन का दुरुपयोग किया गया है। आरोप यह भी है कि खिलाड़ियों को पौष्टिक भोजन के बजाय सिर्फ केले खिलाए गए और अकेले केलों का बिल ही 35 लाख रुपये दिखाया गया।

हाईकोर्ट का यह रुख साफ करता है कि वह उत्तराखंड में खेल प्रशासन में पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करने को लेकर गंभीर है। आईपीएल मैचों के आयोजन पर सवाल उठाना और अनियमितताओं के आरोपों पर सख्त रुख अपनाना, राज्य में खेल के विकास और उसके प्रबंधन पर बड़ा असर डाल सकता है। अब सभी की निगाहें 1 जुलाई को होने वाली अगली सुनवाई पर टिकी हैं, जब इस मामले में और भी महत्वपूर्ण घटनाक्रम सामने आ सकते हैं।