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बुक रिव्यू: Who We Are and How We Got Here : Ancient DNA and the New Science of the Human Past

किताब का नाम: Who We Are and How We Got Here: Ancient DNA and the New Science of the Human Past
लेखक: डेविड राइक (हार्वर्ड मेडिकल स्कूल)
प्रकाशक: ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी प्रेस यूएसए
प्रकाशन वर्ष: 2018

अगर आपको लगता है कि इतिहास के बारे में हम जो कुछ भी जानते हैं, वह अटल और अंतिम सत्य है, तो डेविड राइक की यह क्रांतिकारी किताब ‘हू वी आर एंड हाउ वी गॉट हियर’ आपकी सोच को पूरी तरह से बदल कर रख देगी। यह किताब केवल एक वैज्ञानिक ग्रंथ नहीं है, बल्कि एक थ्रिलर की तरह है जो हजारों साल पुराने डीएनए के सबूतों के जरिए मानव इतिहास के गहरे राज़ खोलती है।

पुराने डीएनए का नया जादू

डेविड राइक, जो हार्वर्ड मेडिकल स्कूल में जेनेटिक्स के प्रोफेसर हैं, इस किताब में ‘प्राचीन डीएनए’ (एन्शिएंट डीएनए) के विज्ञान की पड़ताल करते हैं। यह तकनीक वैज्ञानिकों को हज़ारों साल पुराने अवशेषों से निकले डीएनए का विश्लेषण करने की अनुमति देती है। राइक बताते हैं कि कैसे यह तकनीक पुरातत्व और इतिहास की हमारी परंपरागत समझ को चुनौती दे रही है। जहाँ पहले हम हड्डियों, बर्तनों और औजारों के आधार पर अनुमान लगाते थे, वहीं अब डीएनए हमें सीधे तौर पर बता सकता है कि उन प्राचीन लोगों का रंग-रूप कैसा था, वे कहाँ से आए थे, और कैसे उन्होंने दुनिया के विभिन्न हिस्सों में अपनी बस्तियाँ बसाईं।

महत्वपूर्ण खोजें और हैरान करने वाले तथ्य

यह किताब कई ऐसी अवधारणाओं को तोड़ती है जिन्हें हम सच मानते आए हैं। राइक भारतीय उपमहाद्वीप के संदर्भ में एक बेहद महत्वपूर्ण और चर्चित तथ्य सामने लाते हैं। उनके शोध के मुताबिक, आज की भारतीय आबादी मुख्य रूप से दो प्राचीन समूहों के मिश्रण से बनी है – ‘आदिवासी दक्षिण एशियाई’ (Ancestral South Indians – ASI) और ‘उत्तर यूरेशियाई’ (Ancestral North Indians – ANI)। यह ANI समूह यूरोप, मध्य एशिया और मध्य पूर्व के लोगों से नज़दीकी से संबंधित है।

यह खोज इस बहस में एक नया वैज्ञानिक आयाम जोड़ती है कि भारतीय सभ्यता और जनसंख्या का गठन कैसे हुआ। किताब साफ तौर पर दिखाती है कि मानव इतिहास में बड़े पैमाने पर प्रवासन और लोगों का आपस में मिलना-जुलना एक सामान्य बात रही है। कोई भी आधुनिक आबादी ‘शुद्ध’ नहीं है; हम सब विभिन्न प्राचीन समूहों का एक जटिल मिश्रण हैं।

यूरोप के इतिहास में उलटफेर

किताब सिर्फ भारत तक सीमित नहीं है। राइक यूरोप के इतिहास पर भी रोशनी डालते हैं। वे बताते हैं कि कैसे यमनाया कल्चर नामक एक खानाबदोश समूह ने घोड़ों और पहियों का इस्तेमाल करते हुए यूरोप पर गहरा असर डाला और वहाँ की जनसांख्यिकी को हमेशा के लिए बदल दिया। इस तरह की खोजें हमें दिखाती हैं कि महान सभ्यताओं का उत्थान और पतन सिर्फ विचारों के आदान-प्रदान से नहीं, बल्कि बड़े पैमाने पर लोगों के स्थानांतरण से भी जुड़ा हुआ था।

पठनीयता और चुनौतियाँ

यह किताब एक सामान्य पाठक के लिए थोड़ी चुनौतीपूर्ण हो सकती है। डीएनए, जीनोमिक्स और सांख्यिकीय विश्लेषण की बारीकियों को समझने के लिए पाठक को धैर्य और रुचि दोनों की जरूरत होगी। हालाँकि, राइक ने कोशिश की है कि जटिल अवधारणाओं को यथासंभव सरल बनाया जाए। किताब के अंतिम हिस्सों में लेखक जेनेटिक्स के दुरुपयोग, ‘जाति’ की अवधारणा पर इसके प्रभाव और नस्लवाद जैसे नैतिक सवालों पर भी चर्चा करते हैं, जो इसे और भी प्रासंगिक बनाता है।

निष्कर्ष: क्या यह किताब आपके लिए है?

‘हू वी आर एंड हाउ वी गॉट हियर’ उन सभी पाठकों के लिए एक जरूरी पढ़ है जो इतिहास, विज्ञान, मानव विकास या पुरातत्व में रुचि रखते हैं। यह किताब एक ऐसी यात्रा है जो आपको दसियों हज़ार साल पीछे ले जाती है और फिर वैज्ञानिक सबूतों के आधार पर आपको वापस वर्तमान में लाती है, बीच में आपकी मान्यताओं को तार-तार करते हुए।

अगर आप यह समझना चाहते हैं कि हम वास्तव में कौन हैं और हम यहाँ कैसे पहुँचे, तो डेविड राइक की यह किताब शायद अब तक की सबसे महत्वपूर्ण किताबों में से एक है। यह न केवल हमारे अतीत को दोबारा परिभाषित कर रही है बल्कि भविष्य में हमारी पहचान को लेकर होने वाली बहसों की नींव भी तैयार कर रही है।

रेटिंग: 4.5/5