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हरिद्वार धर्म संसद हेट स्पीच मामले में वसीम रिजवी उर्फ जितेंद्र नारायण त्यागी को मिली दोषमुक्ति, जानिए पूरा मामला

हरिद्वार में आयोजित धर्म संसद के दौरान हेट स्पीच देने के आरोप में उत्तर प्रदेश शिया सेंट्रल वक्फ बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष वसीम रिजवी उर्फ जितेंद्र नारायण त्यागी को मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट अविनाश कुमार श्रीवास्तव की अदालत ने दोषमुक्त कर दिया है। यह मामला 2021 के दिसंबर में आयोजित धर्म संसद से जुड़ा हुआ है, जिसमें वसीम रिजवी और अन्य नेताओं पर मुसलमानों और पवित्र कुरआन के खिलाफ विवादित बयान देने का आरोप था।

धर्म संसद में हेट स्पीच और विवाद

17 से 19 दिसंबर 2021 के बीच हरिद्वार में हुई धर्म संसद में वसीम रिजवी उर्फ जितेंद्र नारायण त्यागी पर मुसलमानों के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणियां करने और धार्मिक भावनाओं को भड़काने का आरोप था। इस दौरान एक संदेश प्रसारित किया गया, जिसमें पैगंबर साहब और कुरान के बारे में अभद्र टिप्पणियां की गई थीं। इसके अलावा, मुसलमानों के खिलाफ युद्ध छेड़ने का आह्वान भी किया गया था।

मामले की शुरुआत तब हुई थी जब नदीम अली ने वसीम रिजवी उर्फ जितेंद्र नारायण त्यागी और अन्य धर्म संसद में शामिल नेताओं, जैसे यति नरसिंहानंद गिरी, के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई थी। शिकायत में कहा गया था कि इस धर्म संसद में अपने समुदाय के लोगों से मुसलमानों को झूठे मुकदमों में फंसाने की मांग की गई थी। इस घटना ने पूरे देश में धार्मिक तनाव को बढ़ावा दिया और लोगों में भारी आक्रोश पैदा किया।

पुलिस जांच और गिरफ्तारी

मामले की जांच के दौरान पुलिस ने 2 जनवरी 2022 को वसीम रिजवी उर्फ जितेंद्र नारायण त्यागी और अन्य आरोपियों के खिलाफ धार्मिक भावनाओं को भड़काने, आपत्तिजनक टिप्पणी करने, और भड़काऊ भाषण देने के आरोप में मुकदमा दर्ज किया था। इसके बाद वसीम रिजवी को गिरफ्तार कर जेल भेजा गया था। कुछ समय बाद उन्हें जमानत मिल गई थी।

पुलिस ने मामले में अभियोजन पक्ष की ओर से 10 गवाह पेश किए थे और आरोपियों के खिलाफ पर्याप्त साक्ष्य प्रस्तुत किए थे। इसके बावजूद, इस मामले में न्यायालय ने वसीम रिजवी को दोषमुक्त कर दिया।

न्यायालय का निर्णय

शनिवार को मामले की सुनवाई के दौरान न्यायालय ने जितेंद्र नारायण सिंह उर्फ वसीम रिजवी के खिलाफ लगाए गए आरोपों को संदिग्ध पाते हुए उन्हें दोषमुक्त कर दिया। न्यायालय ने यह भी माना कि अभियोजन पक्ष द्वारा प्रस्तुत साक्ष्य पर्याप्त नहीं थे और आरोपों को सिद्ध नहीं किया जा सका। इसके बाद वसीम रिजवी को अदालत से राहत मिली और उन्हें सभी आरोपों से मुक्त कर दिया गया।

मामले की सार्वजनिक प्रतिक्रिया

वसीम रिजवी के दोषमुक्त होने के बाद इस मामले पर विभिन्न समुदायों और सामाजिक संगठनों की प्रतिक्रियाएं सामने आ रही हैं। कुछ लोग इसे न्याय का सही रास्ता मानते हैं, जबकि अन्य इसे धार्मिक उन्माद और हेट स्पीच के खिलाफ कड़ी कार्रवाई न करने का संकेत मानते हैं। इस मामले ने पूरे देश में धार्मिक तनाव और समाज में विभाजन के मुद्दे को फिर से ताजा कर दिया है।

हालांकि वसीम रिजवी उर्फ जितेंद्र नारायण त्यागी के खिलाफ अदालत का फैसला आ चुका है, लेकिन इस घटना के बाद धर्म संसद में दिए गए भाषणों और उनकी धार्मिक भावनाओं को आहत करने वाली टिप्पणियों को लेकर देश में अभी भी बहस जारी है। इस फैसले ने राजनीतिक और धार्मिक दृष्टिकोण से इस मामले को और भी जटिल बना दिया है।

भविष्य की संभावनाएं

वसीम रिजवी के खिलाफ फैसले के बाद यह सवाल उठता है कि क्या हेट स्पीच देने वालों के खिलाफ सख्त कानूनी कदम उठाए जाएंगे। इस मामले ने न्यायिक प्रणाली और कानून के प्रति लोगों का विश्वास बढ़ाने की आवश्यकता को महसूस कराया है। इस घटना के बाद ऐसे मामलों में क्या नई दिशा होगी, यह भविष्य में देखने की बात होगी।

इस मामले में अदालत का फैसला भले ही वसीम रिजवी के पक्ष में गया हो, लेकिन यह देश के धार्मिक और राजनीतिक परिप्रेक्ष्य में एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हुआ है, जिसके दूरगामी परिणाम हो सकते हैं।