देहरादून। क्रिकेट एसोसिएशन ऑफ उत्तराखंड (सीएयू) द्वारा घोषित अंडर-19 महिला क्रिकेट टीम के चयन ने एक नया विवाद खड़ा कर दिया है। राज्य की टीम की कमान एक ऐसी खिलाड़ी के हाथों में सौंपी गई है, जिसका मूल निवास उत्तर प्रदेश के वाराणसी का बताया जा रहा है। कप्तान भूमि उमर के चयन ने ‘मूल निवास’ की शर्त और चयन प्रक्रिया पर बड़े सवाल खड़े कर दिए हैं।
चयन प्रक्रिया और टीम का गठन
बीसीसीआई के घरेलू सत्र 2025-26 के लिए उत्तराखंड महिला अंडर-19 टीम के गठन की घोषणा सीएयू ने की है। 16 सदस्यीय इस टीम के चयन के लिए राज्यभर में अक्टूबर के प्रारंभ में ट्रायल आयोजित किए गए थे, जिनमें सैकड़ों युवा प्रतिभाओं ने हिस्सा लिया। चयनकर्ताओं ने खिलाड़ियों की बल्लेबाजी, गेंदबाजी और फील्डिंग का मूल्यांकन किया और इसके बाद शॉर्टलिस्ट खिलाड़ियों के अभ्यास मैच जयपुर में कराए गए। इस पूरी प्रक्रिया के बाद अंतिम टीम का चयन किया गया। यह टीम आगामी अंडर-19 महिला चैलेंजर ट्राफी और अन्य राष्ट्रीय टूर्नामेंटों में राज्य का प्रतिनिधित्व करेगी।
टीम का पहला अभ्यास शिविर 26 अक्टूबर से महाराष्ट्र के औरंगाबाद में शुरू होगा। टीम के साथ हेड कोच श्राबनी देबनाथ, ट्रेनर फरहा सैफ सहित पांच सदस्यीय सपोर्ट स्टाफ भी रहेगा।
कप्तानी पर क्यों हैं सवाल?
विवाद की जड़ नवनियुक्त कप्तान भूमि उमर का मूल निवास स्थल है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, भूमि का आधार कार्ड वाराणसी, उत्तर प्रदेश का है। चूंकि सीएयू का चयन मापदंड राज्य के मूल निवासियों के लिए है, ऐसे में एक गैर-मूल निवासी खिलाड़ी का टीम में शामिल होना और उसे कप्तानी की जिम्मेदारी मिलना हैरान करने वाला है। इस चयन ने उन सैकड़ों स्थानीय युवा खिलाड़ियों के सामने एक बड़ा प्रश्नचिह्न लगा दिया है, जो राज्य स्तर पर टीम में जगह पाने का सपना संजोए हैं।
सीएयू का पक्ष
इन आरोपों और सवालों के बीच क्रिकेट एसोसिएशन ऑफ उत्तराखंड ने अपना पक्ष रखा है। संघ के अधिकारियों का कहना है कि भूमि उमर की शुरुआती पढ़ाई और पालन-पोषण देहरादून में ही हुआ है और वह लंबे समय से राज्य की अकादमियों में प्रशिक्षण ले रही हैं। सीएयू ने स्पष्ट किया है कि भूमि संघ की अंडर-19 टीम का पहले से ही एक हिस्सा रही हैं और उनका प्रदर्शन ही चयन का आधार है।
हालांकि, यह स्पष्टीकरण अभी भी इस मूल सवाल का जवाब नहीं दे पाया है कि क्या मूल निवास प्रमाण-पत्र की शर्त को विशेष परिस्थितियों में माफ किया जा सकता है? और अगर हां, तो इसके लिए क्या कोई लिखित नियम या दिशा-निर्देश मौजूद हैं?
चयनित खिलाड़ियों की सूची
टीम में चयनित अन्य 15 खिलाड़ियों में राज्य के विभिन्न जिलों की प्रतिभाएं शामिल हैं। टीम की उप-कप्तान कनिका नेगी (देहरादून) होंगी। टीम के अन्य सदस्य इस प्रकार हैं:
- धृति अरनाल (देहरादून)
- सोना (पौड़ी गढ़वाल)
- तन्वी तोमर (ऊधमसिंह नगर)
- करीना नेगी (रुद्रप्रयाग)
- वैशाली तिवारी (नैनीताल)
- निर्जला मेहरा (नैनीताल)
- रुद्रा शर्मा (हरिद्वार)
- अनन्या मेहरा (पिथौरागढ़)
- उन्नति सिंह (ऊधमसिंह नगर)
- प्रिया राज (चमोली)
- करुणा शेट्टी (पिथौरागढ़)
- नंदिनी शर्मा (नैनीताल)
- प्रीति प्रजापति (देहरादून)
- तमन्ना (चमोली)
यह मामला सिर्फ एक खिलाड़ी के चयन तक सीमित नहीं है, बल्कि यह खेल प्रशासन में पारदर्शिता और नियमों के स्पष्ट अनुपालन का मुद्दा है। एक तरफ जहां उत्तराखंड की युवा प्रतिभाओं को राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाने की जिम्मेदारी है, वहीं दूसरी तरफ चयन प्रक्रिया पर उठ रहे ये सवाल संघ की विश्वसनीयता के लिए चुनौती पैदा कर रहे हैं। सीएयू के लिए जरूरी है कि वह इस मामले में पूरी पारदर्शिता बरते और जनता के सामने सभी तथ्य रखे, ताकि उत्तराखंड क्रिकेट के भविष्य के साथ खिलवाड़ के आरोपों पर विराम लग सके।


