उत्तराखंड के होनहार छात्र-छात्राओं के लिए यह खबर नेतृत्व क्षमता विकास की ओर एक पहल है राज्य के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने एक ऐसी पहल की घोषणा की है, जो बच्चों में आत्मविश्वास और नेतृत्व को बढ़ाएगी. साथ ही उन्हें समाज सेवा की बुनियादी समझ भी देगी. अब उत्तराखंड में कक्षा 10 और 12 के बोर्ड टॉपर्स एक दिन के लिए जिले के डीएम और एसपी की कुर्सी संभालेंगे.
यह घोषणा 16 जून 2025 को देहरादून में एक विशेष प्रेस वार्ता के दौरान की गई. मुख्यमंत्री धामी ने कहा, “हमारे मेधावी छात्र-छात्राएँ हमारे समाज की पूंजी हैं. उन्हें जिम्मेदारी का अहसास दिलाना, उनके भविष्य निर्माण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है.”
टॉपर छात्र अब लेंगे प्रशासनिक फ़ैसले
इस योजना के तहत हर जिले से कक्षा 10 और 12 में टॉप करने वाले छात्र-छात्राओं को एक दिन के लिए जिलाधिकारी (DM) और पुलिस अधीक्षक (SP) के रूप में नियुक्त किया जाएगा. उस दिन वे न केवल दफ्तर संभालेंगे, बल्कि प्रशासनिक बैठकों में भाग लेंगे, नीतियों की समीक्षा करेंगे और जनता की समस्याएं भी सुनेंगे.
देहरादून के जिलाधिकारी कार्यालय में काम करने वाले एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, “हमारे कार्यालय में इस बार एक 17 वर्षीय छात्रा डीएम की कुर्सी पर बैठेगी. यह पूरे स्टाफ के लिए भी एक उत्साहजनक अनुभव होगा.”
“नदी उत्सव”: प्रकृति के संग पर्व
मुख्यमंत्री धामी की दूसरी बड़ी घोषणा पर्यावरण संरक्षण से जुड़ी रही. उन्होंने बताया कि राज्य भर में “नदी उत्सव” मनाए जाएंगे. इस पहल का उद्देश्य है नदियों की सफाई, संरक्षण और जनजागरूकता. इसमें स्थानीय स्कूल, कॉलेज, सामाजिक संगठन और पंचायतों की भागीदारी सुनिश्चित की जाएगी.
नदी उत्सवों के दौरान सांस्कृतिक कार्यक्रम, सफाई अभियान, चित्रकला प्रतियोगिताएँ, जन संवाद और वृक्षारोपण जैसे आयोजन होंगे. उत्तरकाशी से लेकर हरिद्वार तक, हर नदी किनारे अब उत्सव की रौनक दिखाई देगी.
समाज के हर वर्ग से मिल रहा समर्थन
- छात्रों में उत्साह: “मैंने सोचा भी नहीं था कि पढ़ाई में टॉप करने पर डीएम बनने का मौका मिलेगा!” — कहती है कक्षा 12 की छात्रा साक्षी रावत.
- शिक्षकों की प्रतिक्रिया: “यह पहल विद्यार्थियों को किताबों से बाहर निकलकर समाज से जुड़ने का अवसर देगी.” — राजकीय इंटर कॉलेज के शिक्षक अशोक गुसाईं.
- पर्यावरण कार्यकर्ता भी खुश: “नदी उत्सवों से नदी केवल जलधारा नहीं, जनचेतना की धारा बनेंगी.” — पर्यावरणविद मीना पोखरियाल.
उत्तराखंड सरकार की इस दोहरी पहल से एक ओर युवा छात्र-छात्राओं को नेतृत्व का अनुभव मिलेगा, तो दूसरी ओर प्राकृतिक धरोहरों को संरक्षित करने की दिशा में समाज को सक्रिय भागीदारी का संदेश जाएगा. नदियों की सफाई को लेकर लोगों का मानना है कि पहले भी समाज सामूहिक रूप में पर्यावरण का बेहतर प्रबंधन करता ही रहा है . हमें उसी सामाजिकता को पुनः विकसित करना होगा.