उत्तराखंड , सीमांत क्षेत्र की दुर्गम परिस्थितियों में तैनात सुरक्षाबलों को जहां हर वक्त देश की सीमाओं की रक्षा का जिम्मा निभाना होता है. वहीं बुनियादी सुविधाओं की कमी अब उनके जीवन पर भी भारी पड़ने लगी है. ताजा मामला पिथौरागढ़ ज़िले के जमतड़ी पोस्ट का है, जहां सशस्त्र सीमा बल (एसएसबी) के एक जवान की खाई में गिरने से मौत हो गई. प्रथम दृष्टया ऐसा प्रतीत हो रहा है कि जवान मोबाइल सिग्नल की तलाश में था, तभी यह हादसा हुआ.
सिग्नल की तलाश में गई जान
जानकारी के अनुसार मृतक जवान शिवपाल उम्र 30 वर्ष छत्तीसगढ़ के बिलासपुर ज़िले का निवासी थे . बुधवार सुबह रौलकॉल के दौरान जब वह अनुपस्थित मिले तो अधिकारियों द्वारा उसकी खोजबीन शुरू की गई. कुछ देर बाद वह कैंप के पीछे करीब 50 मीटर गहरी खाई में अचेत अवस्था में पडा मिला.
जवान को तुरंत जिला अस्पताल पहुंचाया गया. जहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया. अधिकारियों द्वारा मृतक के परिजनों को सूचना दे दी गई है और पार्थिव शरीर को छत्तीसगढ़ स्थित उसके पैतृक गांव भेजने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है.
सीमांत और दुर्गम क्षेत्रों में अभी भी मोबाइल नेटवर्क की समस्या बनी हुई है
इस हृदयविदारक घटना ने एक बार फिर सीमांत क्षेत्रों में मोबाइल नेटवर्क की बदहाल स्थिति को उजागर कर दिया है. नेपाल सीमा से लगे इस इलाके में केवल एकमात्र जियो टावर है, जिसकी पहुंच बेहद सीमित है और सिग्नल मिलना अपने आप में चुनौती है. अनुमान है कि शिवपाल अंधेरे में कहीं से सिग्नल पकड़ने की कोशिश में बाहर निकला होगा और असंतुलित होकर खाई में गिर गया.
अधिकारियों और साथियों ने दी श्रद्धांजलि
55 वीं वाहिनी के कमांडेंट आशीष कुमार और अन्य अधिकारियों व जवानों ने दिवंगत जवान को श्रद्धांजलि अर्पित की. असिस्टेंट कमांडेंट ने बताया कि शिवपाल एक समर्पित और कर्तव्यनिष्ठ जवान था. उसकी असामयिक मृत्यु पूरे बल के लिए गहरा आघात है.
कब सुधरेंगे सीमांत क्षेत्रों के हालात
पिथौरागढ़, चंपावत, धारचूला जैसे सीमांत क्षेत्र न केवल सामरिक दृष्टि से बेहद संवेदनशील हैं, बल्कि यहां की भौगोलिक स्थिति भी बेहद चुनौतीपूर्ण है. बावजूद इसके, आज भी इन क्षेत्रों में संचार व्यवस्था जर्जर स्थिति में है. न तो पर्याप्त मोबाइल टावर हैं, न ही इंटरनेट सुविधा.
जहां एक ओर देश डिजिटलीकरण की ओर बढ़ रहा है, वहीं इन सीमांत और दुर्गम इलाकों के निवासी और तैनात सुरक्षाबल आज भी नेटवर्क की एक बार लाइन पकड़ने के लिए घंटों मशक्कत करते हैं. यह न केवल संवादहीनता को जन्म देता है, बल्कि आपात स्थितियों में जान भी ले सकता है—जैसा कि जवान शिवपाल के मामले में देखने को मिला.
सरकार और दूरसंचार कंपनियों को चाहिए कि वे ऐसे संवेदनशील और सीमांत क्षेत्रों को प्राथमिकता दें, ताकि सुरक्षा बलों और स्थानीय लोगों को आधारभूत सुविधाओं से वंचित न रहना पड़े.