देहरादून। (Kafal Tree Live- Uttarakhand News)महंगाई की बढ़ती आग में झुलस रहे उत्तराखंड के हजारों पेंशनरों के लिए आखिरकार एक सुखद खबर आई है। एक ऐसी खबर जो न सिर्फ उनकी जेब पर पड़ रहे दबाव को कम करेगी, बल्कि उनके चेहरे पर एक मुस्कान भी लाएगी। प्रदेश की पुष्कर सिंह धामी सरकार ने एक बड़ा और सराहनीय फैसला लेते हुए पेंशनरों के महंगाई भत्ते में जरूरी बढ़ोतरी कर दी है। यह फैसला सिर्फ एक आदेश नहीं, बल्कि राज्य के उन वरिष्ठ नागरिकों के प्रति एक सामाजिक जिम्मेदारी का निर्वहन है, जिन्होंने अपना जीवन प्रदेश की सेवा में लगा दिया।
यह कहानी सिर्फ आंकड़ों की नहीं है। यह उन हजारों परिवारों की आशाओं और संघर्षों की कहानी है, जिनके लिए पेंशन की वह मासिक रकम ही जीवन की डोर है। जब हर महीने बाजार से सामान लौटाना पड़ता था, जब दवाओं का खर्च बोझ लगने लगता था, तब यह तीन प्रतिशत की वृद्धि एक वरदान से कम नहीं है।
क्या है पूरा मामला? जानें एक-एक बात
वित्त सचिव दिलीप जावलकर द्वारा जारी आदेश के मुताबिक, अब राज्य के सभी पेंशनर और पारिवारिक पेंशनर, जो सातवें वेतन आयोग के अंतर्गत आते हैं, उन्हें महंगाई भत्ता (Dearness Relief) 55 प्रतिशत के स्थान पर 58 प्रतिशत मिलेगा। यानी तीन प्रतिशत की यह बढ़ोतरी उनकी पेंशन राशि पर सीधे-सीधे लागू होगी।
गौरतलब है कि इससे पहले, 11 अक्टूबर को ही राज्य सरकार ने सातवां वेतनमान ले रहे कर्मचारियों के महंगाई भत्ते में तीन प्रतिशत की वृद्धि की थी। उस समय एक सवाल यह भी उठा था कि क्या पेंशनरों को इस लाभ से वंचित रखा जाएगा? लेकिन, सरकार ने अपने इस कदम से साबित कर दिया है कि वह अपने सेवानिवृत्त कर्मचारियों के हितों को भी उतनी ही गंभीरता से लेती है।
40,000 से अधिक लोगों के जीवन पर पड़ेगा सीधा असर
यह कोई छोटा-मोटा फैसला नहीं है। इस एक आदेश से राज्य के लगभग 40,000 पेंशनर और पारिवारिक पेंशनर लाभान्वित होंगे। सोचिए, 40,000 परिवारों की आर्थिक स्थिति में थोड़ी ही सही, मगर एक ठोस मजबूती आएगी। यह फैसला उन सभी लोगों के लिए एक रोशनी की किरण की तरह है, जो महंगाई के इस दौर में अपनी पेंशन की रकम से गुजारा चलाने के लिए संघर्ष कर रहे थे।
किस तारीख से मिलेगा यह लाभ?
सरकार ने यह लाभ पेंशनरों को देने में कोई देरी नहीं की है। इस बढ़े हुए महंगाई भत्ते का लाभ पेंशनरों को 1 जुलाई, 2025 से ही मिलना शुरू हो जाएगा। इसका मतलब है कि आने वाले महीनों में पेंशनरों को अपनी बढ़ी हुई राशि मिलनी शुरू हो जाएगी, जो उनके लिए वक्त की सबसे बड़ी जरूरत थी।
निष्कर्ष: एक सकारात्मक कदम
बिना किसी संदेह के, उत्तराखंड सरकार का यह कदम एक स्वागतयोग्य और जन-हितैषी निर्णय है। यह सिर्फ एक वित्तीय समायोजन नहीं, बल्कि राज्य के बुजुर्गों और उनके परिवारों के प्रति एक मानवीय चिंता का प्रतीक है। एक ऐसा कदम जो यह सुनिश्चित करता है कि जिन लोगों ने राज्य की नींव मजबूत करने में अपना योगदान दिया, उनका बुढ़ापा आर्थिक तनावों से मुक्त रहे। उम्मीद की जानी चाहिए कि भविष्य में भी सरकार अपने पेंशनरों के कल्याण के लिए ऐसे ही आवश्यक कदम उठाती रहेगी।
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