HomeUncategorized चंद्रसेन  की सेवा यात्रा-  घायल मोर का भी करवाया इलाज  

 चंद्रसेन  की सेवा यात्रा-  घायल मोर का भी करवाया इलाज  

जब एक ओर समाज में स्वार्थ और संवेदनहीनता लगातार बढ़ रही हो, तब कहीं ऐसे लोग भी जरुर  मिलते हैं जो इंसानियत की लौ को बुझने नहीं देते. नैनीताल जिले के रामनगर क्षेत्र में रहने वाले चंद्रसेन भी  ऐसे ही एक प्रेरणास्रोत हैं. जो बीते लगभग  50 वर्षों से घायल, असहाय और संकटग्रस्त जीव-जंतुओं की निस्वार्थ सेवा कर रहे हैं. हाल ही में उन्होंने राष्ट्रीय पक्षी मोर की जान बचाकर एक बार फिर यह साबित किया कि सेवा, समर्पण और मानवीय संवेदना अभी भी जीवित हैं .


घायल मोर की नहर से जंगल तक की यात्रा

घटना कुछ दिन पुरानी है. रामनगर की एक नहर के पास लोगों की नजर एक गंभीर रूप से घायल मोर पर पड़ी. पंख क्षतिग्रस्त थे, शरीर पर गहरे घाव और चलने-फिरने में भी असमर्थ. लोग देख तो रहे , पर आगे बढ़कर मदद करने की हिम्मत किसी में नहीं थी. ऐसे में सामने आए चंद्रसेन . उन्होंने बिना वक्त गंवाए मोर को नहर से बाहर निकाला और वन विभाग की मदद से तत्काल प्राथमिक उपचार शुरू करवाया.

लेकिन सिर्फ यही नहीं, उन्होंने मोर की सेवा अपने घर पर भी जारी रखी. हल्दी, नीम और देसी जड़ी-बूटियों से घावों की सफाई की, परंपरागत औषधीय ज्ञान का उपयोग कर मोर को धीरे-धीरे ठीक किया. अब  वह मोर स्वस्थ होने जा  रहा है और जल्द ही जंगल में लौटेगा.


55  हजार से ज्यादा जीवन बचाए

यह पहली बार नहीं है जब चंद्रसेन ने किसी जीव की जान बचाई हो. अब तक वह 55  हजार से ज्यादा वन्यजीवों की जान बचा चुके हैं जिसमें – कई प्रकार के   सांप, पक्षियों, बंदरों, बिल्लियों, हिरणों आदि  . इनमें से कई को खुद उपचार के बाद जंगलों में छोड़ा. उनके पास न कोई संसाधन है, न सरकारी सहायता, पर जज्बा अडिग है.

वे कहते हैं – जो जीव बोल नहीं सकते, उनके दर्द को समझना ही असली मानवता है.”


प्रशंसा तो मिलती है, लेकिन सम्मान नहीं

चंद्रसेन कश्यप की सेवाओं को लेकर वन विभाग के अधिकारी भी उन्हें समय-समय पर सराहते हैं. वन दारोगा वीरेंद्र पांडे बताते हैं, चंद्रसेन हर समय मदद को तैयार रहते हैं.”       वहीं पीएनजी राजकीय पीजी कॉलेज, रामनगर के प्राचार्य डॉ. मोहन चंद पांडे का कहना है, ऐसे लोग ही असली हीरो हैं. सरकार को इनकी सुध लेनी चाहिए.”


दुर्लभ पक्षियों की धरती – उत्तराखंड

उत्तराखंड सिर्फ अपने प्राकृतिक सौंदर्य के लिए नहीं, बल्कि अपनी जैवविविधता के लिए भी जाना जाता है. यहाँ अनेक दुर्लभ और संकटग्रस्त पक्षी पाए जाते हैं:

  • हिमालयन मोनाल (राजकीय पक्षी) – रंग-बिरंगा और हिमालय का गहना
  • चेस्टनट-ब्रेस्टेड पार्ट्रिज
  • वेस्टर्न ट्रैगोपन – अति संकटग्रस्त
  • ब्लैक नेक्ड क्रेन – उच्च हिमालयी क्षेत्रों में पाया जाने वाला दुर्लभ पक्षी
  • ग्रेट हॉर्नबिल – जंगलों का प्रहरी
  • व्हाइट थ्रोटेड बुशचैट – केवल कुछ ही स्थानों पर दर्ज

पर्यावरण असंतुलन और शहरीकरण के चलते इनकी संख्या में गिरावट हो रही है. ऐसे में चंद्रसेन कश्यप जैसे सेवकों की भूमिका और भी महत्वपूर्ण हो जाती है.


चंद्रसेन कश्यप ने यह दिखा दिया कि नायक वही होते हैं जो प्रचार से दूर रहकर धरातल पर सेवा करते हैं.   उनका जीवन हम सबके लिए एक आईना है कि यदि इच्छा हो, तो सीमित साधनों में भी बड़ा परिवर्तन संभव है.