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खराब मौसम और सुरक्षा पर बढ़ती चिंता: केदारनाथ हेली सेवाएं फिर ठप, श्रद्धालु इंतजार में


उत्तराखंड के प्रसिद्ध तीर्थस्थल केदारनाथ धाम के लिए चल रही हेली सेवाएं एक बार फिर रुक गई हैं. 15 जून को गुप्तकाशी लौटते समय हेलीकॉप्टर दुर्घटना में पायलट समेत सात श्रद्धालुओं की दर्दनाक मौत के बाद से स्थिति बेहद संवेदनशील बनी हुई है. इसके बाद 15  और 16 जून को हेली सेवाओं पर पूर्ण विराम लगा दिया गया था.

हालांकि 17  जून से सेवाएं फिर शुरू करने की योजना थी, लेकिन पहाड़ी क्षेत्रों में लगातार खराब हो रहे मौसम ने यात्रियों और प्रशासन दोनों की मुश्किलें बढ़ा दी हैं. आज 18  जून की सुबह   भी हेलीकॉप्टर एक भी उड़ान नहीं भर पाए.


सुरक्षा बनाम सुविधा: टकराव की स्थिति

केदारनाथ यात्रा के लिए हवाई मार्ग विशेष रूप से उन यात्रियों के लिए राहत लेकर आता है, जो लंबा पैदल रास्ता तय करने में असमर्थ होते हैं. हर साल लाखों श्रद्धालु इस सुविधा का लाभ उठाते हैं, लेकिन इस बार मानसून से पहले ही हालात गंभीर होते जा रहे हैं.

बीते 45  दिनों में उत्तराखंड में पांच हवाई दुर्घटनाएं हो चुकी हैं, जिससे राज्य सरकार और डीजीसीए (नागर विमानन महानिदेशालय) दोनों की चिंताएं गहरा गई हैं. यही कारण है कि अब हेली सेवाओं के संचालन पर कड़ी निगरानी रखी जा रही है.


सहस्त्रधारा में बना कमांड एंड कोऑर्डिनेशन सेंटर

राज्य सरकार ने सुरक्षा को प्राथमिकता देते हुए सहस्त्रधारा होलीड्रोम में एक कमांड एंड कोऑर्डिनेशन सेंटर की स्थापना की है. इस केंद्र में मौसम विभाग, डीजीसीए, हेली ऑपरेटर और पायलटों के प्रतिनिधि शामिल हैं. इसका उद्देश्य है कि मौसम की ताजा जानकारी, तकनीकी दिशा-निर्देश और उड़ान से संबंधित सभी सूचनाएं एक ही जगह पर समन्वित रूप से प्राप्त हों, ताकि भविष्य की त्रासदियों को रोका जा सके.


उड़ानों के लिए स्लॉट तय, लेकिन मौसम बना बाधा

डीजीसीए ने अब गुप्तकाशी और फाटा हेलीपैड से प्रति घंटे तीन-तीन स्लॉट, जबकि सिरसी से चार स्लॉट निर्धारित किए हैं. लेकिन यह व्यवस्था भी तब तक प्रभावी नहीं हो सकती, जब तक मौसम साथ न दे. 17  जून को तय सभी उड़ानें रद्द करनी पड़ीं और आज सुबह  18  जून को भी हेलीकॉप्टर एक भी उड़ान नहीं भर सके.

हेली सेवा के पायलट और ग्राउंड स्टाफ सुबह से सहस्त्रधारा, गुप्तकाशी, सिरसी और फाटा में तैनात हैं, लेकिन आसमान में छाए बादल, तेज हवाएं और बारिश ने इंतजार को लंबा कर दिया है.


यात्रियों को पैसा मिलेगा वापस

जिन श्रद्धालुओं ने 15  से 17  जून के बीच टिकट बुक कराए थे, उन्हें निराश होने की जरूरत नहीं है. हेलीकॉप्टर सेवा रद्द होने की स्थिति में, जैसा कि रेलवे में होता है, पूरी टिकट राशि यात्रियों को उनके अकाउंट में वापस कर दी जाएगी. हेली कंपनियों को स्पष्ट निर्देश दिए गए हैं कि किसी यात्री को बिना रिफंड के न छोड़ा जाए.


आगे की राह: मानसून से पहले सावधानी जरूरी

हर साल 22 जून से मानसून सीजन के मद्देनज़र हेली सेवाएं बंद कर दी जाती हैं. हालांकि, दो हेलीकॉप्टर बैकअप में रखे जाते हैं ताकि विशेष जरूरत वाले यात्रियों को सहायता मिल सके. लेकिन इस साल हालात कुछ अलग हैं. एक तरफ तीर्थयात्रा पर निकले श्रद्धालुओं का सैलाब है, दूसरी ओर मौसम और तकनीकी सुरक्षा को लेकर प्रशासन सतर्क है.

राज्य सरकार और डीजीसीए के सामने फिलहाल सबसे बड़ा सवाल यही है—सुरक्षा पहले या सुविधा? आने वाले दिनों में यदि मौसम ने राहत नहीं दी, तो हेली सेवाओं को सीमित या अस्थायी रूप से बंद करने का फैसला भी लिया जा सकता है.



केदारनाथ धाम के लिए हेली सेवाएं फिलहाल अस्थिर दौर में हैं. सुरक्षा और मौसम संबंधी अनिश्चितताओं ने श्रद्धालुओं के धैर्य की परीक्षा लेनी शुरू कर दी है. प्रशासनिक प्रयास तो जारी हैं, लेकिन प्राकृतिक स्थितियां फिलहाल इन पर भारी पड़ रही हैं.