उत्तराखंड राज्य विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद (यूकॉस्ट), देहरादून में प्रदेश का पहला साइंस कम्युनिटी रेडियो स्टेशन बनकर तैयार हो गया है। अब रेडियो सुनने के शौकीन जैसे ही अपने रेडियो सेट पर 88.8 मेगाहर्ट्ज (MHz) पर ट्यून करेंगे, उन्हें देश-प्रदेश के वैज्ञानिक सीधे रूबरू होंगे। यह रेडियो स्टेशन विज्ञान को आम जनता से जोड़ने और जागरूकता फैलाने का एक महत्वपूर्ण माध्यम बनेगा।
सफल रहा पहला ट्रायल, जल्द शुरू होगा प्रसारण
ब्रॉडकास्ट इंजीनियरिंग कंसल्टेंट्स इंडिया लिमिटेड (बेसिल) ने यूकॉस्ट में इस अत्याधुनिक साइंस रेडियो स्टेशन को स्थापित किया है। बेसिल की टीम ने शनिवार को इसका पहला सफल ट्रायल किया। इस दौरान यूकॉस्ट के महानिदेशक प्रो. दुर्गेश पंत ने रेडियो स्टेशन का निरीक्षण किया। उन्होंने बताया कि इस रेडियो स्टेशन से विश्व पर्यावरण दिवस (5 जून) से प्रसारण शुरू करने की तैयारी है।
वैज्ञानिक देंगे जानकारी, शोधों का होगा प्रसारण
यह साइंस रेडियो स्टेशन एक अनूठी पहल है, जहां वैज्ञानिक न केवल मौसम से संबंधित सभी जानकारियां देंगे, बल्कि उनके आविष्कार जनता और समाज के लिए किस तरह से कारगर हैं, यह भी बताएंगे। इसका मुख्य उद्देश्य विज्ञान किस तरह से आमजन के जीवन को सरल बना रहा है, उसे सहज भाषा में समझाना है।
यूकॉस्ट की एक टीम छात्र-छात्राओं में विज्ञान की रुचि पैदा करने के लिए रोजाना करीब दो घंटे का जागरूकता कार्यक्रम प्रसारित करेगी। इसके अलावा, विज्ञान के विभिन्न पहलुओं को इसमें शामिल किया जाएगा। यूकॉस्ट ने पूरे सप्ताह का शेड्यूल भी तय कर लिया है। प्रदेश के शिक्षण संस्थानों के प्रोफेसर, जो शोध और अनुसंधान कर रहे हैं, उन्हें यहां आमंत्रित किया जाएगा। वे अपने शोध की जानकारी देंगे। खासकर, राज्यपाल के निर्देश पर चल रहे ‘वन यूनिवर्सिटी-वन रिसर्च’ अभियान के तहत हो रहे शोधों की समाज के लिए उपयोगिता भी इस रेडियो स्टेशन पर बताई जाएगी।
10 किमी तक हवाई प्रसारण, आपदा क्षेत्रों में भी होगा कारगर
यूकॉस्ट परिसर में ट्रांसमीटर के साथ ही टावर भी स्थापित हो चुका है। इस साइंस रेडियो स्टेशन का प्रसारण 10 किमी हवाई दूरी तक होगा, जिससे देहरादून जिले का काफी बड़ा क्षेत्र कवर हो जाएगा। यह रेडियो स्टेशन आपदा प्रभावित इलाकों में भी काफी कारगर साबित हो सकता है, क्योंकि यह समय पर वैज्ञानिक और मौसम संबंधी सटीक जानकारी उपलब्ध कराएगा, जो लोगों की जान बचाने में मददगार हो सकती है। प्रो. दुर्गेश पंत ने कहा कि यह रेडियो स्टेशन वैज्ञानिक शोधों को समाज तक पहुंचाने में मील का पत्थर साबित होगा।