उत्तराखंड के बिजली उपभोक्ताओं के लिए एक बुरी खबर है। आने वाले समय में राज्य में बिजली की दरों में एक और बढ़ोतरी का सीधा खतरा मंडरा रहा है। इसकी वजह उत्तराखंड पावर कॉर्पोरेशन लिमिटेड (यूपीसीएल) का केंद्रीय विद्युत अपीलीय प्राधिकरण (APTEL) में लगातार तीन मामले हारना है, जिसकी वजह से कंपनी पर 783 करोड़ रुपये का जुर्माना लगा है। और इस जुर्माने की भरपाई का रास्ता एक बार फिर आम उपभोक्ताओं के जेब की ओर ही निकल रहा है।
क्या है पूरा मामला?
यूपीसीएल को तीन अलग-अलग मामलों में निजी बिजली कंपनियों को कुल 783 करोड़ रुपये का भुगतान करने का आदेश विद्युत नियामक आयोग की ओर से दिया जा चुका है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, यूपीसीएल को यह रकम 11 किस्तों में चुकानी होगी। स्वाभाविक रूप से, इस भारी आर्थिक नुकसान की भरपाई के लिए कंपनी बिजली टैरिफ में इसे शामिल करने की योजना बना रही है। ऐसे में अनुमान है कि अप्रैल 2026 में जारी होने वाली नई बिजली दरों में यह अतिरिक्त बोझ उपभोक्ताओं पर डाल दिया जाएगा।
क्यों हमेशा उपभोक्ता ही भरता है नुकसान?
यूपीसीएल का अपने नुकसान की भरपाई का एक चलन सा बन गया है। चाहे वह महँगी दरों पर बिजली खरीदना हो, लाइन लॉस (बिजली की हानि) हो या फिर कोर्ट-कचहरी में केस हारने का नुकसान हो, इसका ठीकरा हर बार अंततः आम उपभोक्ता के सिर पर ही फूटता है। इस बार भी यही होने जा रहा है।
उपभोक्ताओं ने खोला मोर्चा
इस फैसले के खिलाफ उत्तराखंड के उपभोक्ता सड़क से लेकर नियामक आयोग तक में अपना विरोध दर्ज करा रहे हैं। उपभोक्ताओं ने विद्युत नियामक आयोग से मांग की है कि यूपीसीएल द्वारा हारे गए इन मामलों का वित्तीय भार जनता पर नहीं डाला जाए।
उत्तराखंड पहाड़ी महासभा की महासचिव गीता बिष्ट ने विद्युत नियामक आयोग के अध्यक्ष को भेजे एक पत्र में कहा है कि हर साल और हर महीने बिजली दरों में लगातार इजाफा हो रहा है। ऐसे में यदि यूपीसीएल के कारण हुए नुकसान की भरपाई भी उपभोक्ताओं से की गई, जो पहले से ही स्मार्ट मीटर की खामियों और दोगुने बिजली बिलों से परेशान हैं, तो इसका जमकर विरोध होगा।
वहीं, उद्योग जगत की ओर से भी आवाज उठ रही है। फर्नेश इंडस्ट्री के अध्यक्ष पवन अग्रवाल ने कहा कि यूपीसीएल न तो अपने खर्चों में कटौती कर रहा है और न ही लाइन लॉस को कम कर पा रहा है। ऊपर से एक के बाद एक केस हारने से बिजली लगातार महँगी हो रही है, जिसका उद्योगों पर बुरा असर पड़ रहा है।
आपके बिजली बिल पर क्या पड़ेगा असर? (संभावित)
अगर यूपीसीएल इस 783 करोड़ के भार को टैरिफ में शामिल करती है, तो इसका सीधा असर आपके मासिक बिजली बिल पर पड़ेगा। अनुमान है कि उपभोक्ताओं को अगले दो सालों तक प्रति यूनिट 25 पैसे तक का अतिरिक्त भार वहन करना पड़ सकता है। इस हिसाब से आपके बिल पर असर कुछ इस तरह पड़ सकता है:
- 100 यूनिट तक: 25 रुपये तक का अतिरिक्त भार
- 200 यूनिट तक: 50 रुपये तक का अतिरिक्त भार
- 300 यूनिट तक: 75 रुपये तक का अतिरिक्त भार
- 400 यूनिट तक: 100 रुपये तक का अतिरिक्त भार
- 500 यूनिट तक: 125 रुपये तक का अतिरिक्त भार
(नोट: ये आंकड़े संभावित हैं और अंतिम टैरिफ ऑर्डर पर निर्भर करेंगे।)
साफ है कि उत्तराखंड के बिजली उपभोक्ताओं को एक बार फिर अपनी जेब ढीली करने के लिए तैयार रहना होगा। यूपीसीएल की कमजोर रणनीति और न्यायिक हार का खामियाजा आम लोगों को चुकाना पड़ सकता है। ऐसे में, उपभोक्ताओं और उद्योग संगठनों का विरोध इस मामले में एक अहम भूमिका निभा सकता है। यह देखना दिलचस्प होगा कि विद्युत नियामक आयोग आम जनता के हितों की रक्षा करते हुए कोई ठोस फैसला लेता है या नहीं।


