Homeउत्तराखण्डकांग्रेस अध्यक्ष करन माहरा हिरासत में

कांग्रेस अध्यक्ष करन माहरा हिरासत में

उत्तराखंड में पंचायत चुनावों में कथित अनियमितताओं के विरोध में कांग्रेस ने गुरुवार को देहरादून में राजभवन के सामने जोरदार प्रदर्शन किया. प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष करन माहरा के नेतृत्व में सैकड़ों कार्यकर्ताओं ने राजभवन गेट पर नारेबाजी की और राज्य निर्वाचन आयुक्त सुशील कुमार को तत्काल बर्खास्त करने की मांग उठाई. प्रदर्शनकारियों का आरोप है कि पंचायत चुनावों में व्यापक स्तर पर गड़बड़ियां हो रही हैं और निर्वाचन आयोग ने असंवैधानिक आदेश जारी कर भ्रम की स्थिति पैदा की है.

राजभवन के सामने हंगामा और हिरासत

कांग्रेस कार्यकर्ता गुरुवार दोपहर राजभवन पहुंचे और गेट के सामने धरना शुरू कर दिया. करन माहरा ने कहा कि पिछले चार दिनों से वे राज्यपाल से मुलाकात का समय मांग रहे थे, लेकिन समय नहीं दिया गया. इसके चलते उन्हें नाराज होकर राजभवन के सामने शांतिपूर्ण धरने का रास्ता अपनाना पड़ा. हालांकि, प्रदर्शन के दौरान पुलिस के साथ कार्यकर्ताओं की तीखी नोक-झोंक हुई. पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को राजभवन गेट से हटने के लिए कहा, लेकिन न मानने पर करन माहरा सहित कई नेताओं को हिरासत में लेकर पुलिस लाइन ले जाया गया. बाद में उन्हें रिहा कर दिया गया.

इस प्रदर्शन में कांग्रेस के वरिष्ठ उपाध्यक्ष सूर्यकांत धस्माना, जगदीश धीमान, अभिनव थापर सहित कई प्रमुख नेता शामिल थे. माहरा ने कहा कि विपक्ष की आवाज को दबाने की कोशिश की जा रही है, लेकिन कांग्रेस लोकतंत्र की रक्षा के लिए अपना संघर्ष जारी रखेगी.

पंचायत चुनाव में अनियमितताओं का आरोप

कांग्रेस ने पंचायत चुनावों में कई गंभीर अनियमितताओं का आरोप लगाया है. करन माहरा ने दावा किया कि राज्य निर्वाचन आयुक्त ने उत्तराखंड पंचायती राज एक्ट की धारा 9 की उप-धारा 6 और 7 का खुला उल्लंघन किया है. उनके मुताबिक, निर्वाचन आयोग ने भ्रामक और असंवैधानिक आदेश जारी किए, जिससे मतदाताओं और प्रत्याशियों में भ्रम की स्थिति बनी.

माहरा ने बताया कि नगर निगम और पंचायत चुनावों के बीच जानबूझकर छह महीने का अंतर रखा गया, ताकि निकाय चुनाव के मतदाताओं को पंचायत चुनावों में स्थानांतरित किया जा सके. इसके अलावा, आयोग ने यह आदेश जारी किया कि एक व्यक्ति दो स्थानों पर मतदाता होने के बावजूद नामांकन दाखिल कर सकता है, जो कि देशभर में लागू एक व्यक्ति-एक वोट की नीति के खिलाफ है.

उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि रिटर्निंग ऑफिसरों ने मनमाने ढंग से कुछ प्रत्याशियों के नामांकन स्वीकार किए, जबकि कुछ को निरस्त कर दिया. एक अजीबोगरीब उदाहरण में, किसी प्रत्याशी का नामांकन केवल इसलिए रद्द कर दिया गया क्योंकि उनके घर के पास शौचालय नहीं था. इस तरह की कार्रवाइयों पर हाईकोर्ट ने भी निर्वाचन आयोग को फटकार लगाई थी.

कांवड़ मेले में अराजकता का मुद्दा

प्रदर्शन से पहले, करन माहरा ने उत्तराखंड कांग्रेस भवन में मीडिया से बातचीत में कांवड़ मेले के दौरान हो रही अराजकता का मुद्दा भी उठाया. उन्होंने कहा कि मेले में दुकानों में तोड़फोड़, मारपीट और महिलाओं के साथ अभद्र व्यवहार की घटनाएं सामने आ रही हैं. इसके बावजूद, सत्ताधारी दल इस अराजकता को रोकने के बजाय विपक्ष को दोषी ठहरा रहा है. माहरा ने मांग की कि अराजकता फैलाने वालों को तुरंत गिरफ्तार किया जाए.

उन्होंने श्यामपुर पुलिस चौकी में दर्ज एक मामले का हवाला देते हुए कहा कि हरियाणा नंबर की गाड़ी में सवार कुछ लोगों ने स्थानीय लोगों पर गोली चलाई थी. आरोपियों की तस्वीरें एक पूर्व कैबिनेट मंत्री के साथ सार्वजनिक हो चुकी हैं, फिर भी कोई कार्रवाही नहीं हुई.

केदारनाथ हेली सेवा विवाद

माहरा ने केदारनाथ में प्रतिबंधित हेली सेवा के उपयोग पर भी सवाल उठाए. उन्होंने पूछा कि जब केदारनाथ में हेली सेवा पर रोक है, तो बीकेटीसी अध्यक्ष कुछ वीआईपी लोगों के साथ हेलीकॉप्टर से वहां कैसे पहुंचे? उन्होंने डीजीसीए और उकाडा से मंजूरी के दस्तावेजों की जांच की मांग की.

लोकतंत्र पर खतरे का आरोप

करन माहरा ने कहा कि राज्य निर्वाचन आयोग जैसी संवैधानिक संस्था को असंवैधानिक कार्यों के लिए दबाव में लिया जा रहा है. उन्होंने आरोप लगाया कि सत्ताधारी दल लोकतंत्र को कमजोर करने की कोशिश कर रहा है और विपक्ष की आवाज को हर स्तर पर दबाया जा रहा है. माहरा ने कहा कि राज्यपाल को राज्य निर्वाचन आयुक्त की नियुक्ति और बर्खास्तगी का अधिकार है, इसलिए उनकी शिकायतें सुनना राज्यपाल का दायित्व है.

काफल ट्री डेस्क