उत्तराखंड बोर्ड की 10वीं और 12वीं कक्षाओं के हजारों छात्र-छात्राओं के लिए राहत भरी खबर सामने आई है। इस वर्ष उत्तराखंड विद्यालयी शिक्षा परिषद रामनगर द्वारा आयोजित परीक्षाओं में लगभग 28 हजार छात्र फेल हो गए हैं। इनमें हाईस्कूल में 10 हजार और इंटरमीडिएट में 18 हजार छात्र-छात्राएं शामिल हैं। बोर्ड ने इन विद्यार्थियों को निराश न करते हुए उत्तीर्ण होने के लिए तीन अवसर देने का निर्णय लिया है।
किन्हें मिलेंगे तीन मौके
बोर्ड के अनुसार, हाईस्कूल के वे छात्र जो दो विषयों में फेल हैं और इंटरमीडिएट के वे छात्र जो एक विषय में असफल हुए हैं, उन्हें उत्तीर्ण होने के लिए तीन बार परीक्षा में बैठने का अवसर मिलेगा। यह निर्णय छात्रों को आगे की शिक्षा से वंचित होने से बचाने के उद्देश्य से लिया गया है।
पहला मौका जुलाई में, दूसरा मुख्य परीक्षा में
बोर्ड के अपर सचिव बृहमोहन रावत ने जानकारी दी कि फेल हुए छात्रों से इसी माह परीक्षा फार्म भरवाए जाएंगे, और पहली सुधार परीक्षा जुलाई 2025 में आयोजित की जाएगी। यदि कोई छात्र इसमें पास नहीं हो पाता तो दूसरा मौका 2026 की मुख्य परीक्षा के रूप में मिलेगा। तीसरा और अंतिम अवसर भी उसी वर्ष एक विशेष परीक्षा के रूप में प्रदान किया जाएगा।
हिंदी बनी सबसे बड़ी बाधा
इस वर्ष एक चौंकाने वाला आंकड़ा सामने आया है कि केवल हिंदी विषय में ही 6431 छात्र-छात्राएं फेल हुए हैं। इनमें 10वीं में 3582 और 12वीं में 2849 छात्र हिंदी में असफल रहे। इससे स्पष्ट होता है कि छात्रों को मातृभाषा में भी कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है, जो शैक्षिक गुणवत्ता पर पुनर्विचार की मांग करता है।
अंक सुधार का भी मिलेगा मौका
बोर्ड ने यह भी स्पष्ट किया है कि फेल छात्रों के साथ-साथ पास हुए छात्र भी अंक सुधार के लिए परीक्षा दे सकते हैं। यह कदम उन छात्रों को बेहतर अंक प्राप्त करने का अवसर देगा, जो किसी कारणवश अपनी क्षमता के अनुरूप प्रदर्शन नहीं कर पाए।
पिछले वर्षों की तुलना में बेहतर विकल्प
यह पहला मौका नहीं है जब बोर्ड ने फेल छात्रों के लिए वैकल्पिक परीक्षा की व्यवस्था की है, लेकिन इस बार तीन बार परीक्षा देने का प्रावधान विद्यार्थियों के हित में एक बड़ा और सहानुभूतिपूर्ण कदम माना जा रहा है। इससे पहले अधिकतर बोर्ड एक या अधिकतम दो अवसर ही प्रदान करते थे।
उत्तराखंड बोर्ड द्वारा फेल छात्रों को तीन मौके देने का यह निर्णय न केवल एक समाजोपयोगी शिक्षा नीति की ओर संकेत करता है, बल्कि यह छात्रों में आत्मविश्वास और सकारात्मकता भी बढ़ाता है। इससे वे छात्र जो असफलता के कारण मानसिक तनाव में आ जाते हैं, उन्हें पुनः प्रयास करने का अवसर मिलेगा और वे अपने शैक्षणिक सफर को जारी रख सकेंगे।