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अक्षय तृतीया पर गंगोत्री और यमुनोत्री धाम के कपाट खुले, चारधाम यात्रा 2025 का भव्य शुभारंभ

उत्तराखंड की हिमालयी वादियों में स्थित चारधाम यात्रा का शुभारंभ आज अक्षय तृतीया के पावन अवसर पर गंगोत्री और यमुनोत्री धाम के कपाट खुलने के साथ हो गया। हजारों श्रद्धालु इस दिव्य यात्रा में शामिल होने के लिए देशभर से उत्तराखंड पहुंचे हैं। यात्रियों के उत्साह, प्रशासन की तैयारी और धार्मिक आस्था का अद्भुत संगम आज चारधाम यात्रा के पहले चरण में देखने को मिला।

मां गंगा और मां यमुना की डोलियों ने लिया प्रस्थान

चारधाम यात्रा की शुरुआत मां गंगा और मां यमुना की विग्रह डोलियों के शुभ प्रस्थान के साथ हुई। मंगलवार को गंगोत्री के लिए मां गंगा की डोली मुखबा गांव से अभिजीत मुहूर्त (11:57 पूर्वाह्न) में रवाना हुई। डोली ने रात्रि विश्राम भैरो घाटी में किया और आज सुबह गंगोत्री धाम पहुंची। वहां वैदिक मंत्रोच्चारण और विधिविधान से मंदिर के कपाट श्रद्धालुओं के दर्शन हेतु प्रातः 10:30 बजे खोले गए।

वहीं दूसरी ओर, मां यमुना की डोली शीतकालीन प्रवास स्थल खरसाली गांव से यमुनोत्री धाम के लिए आज सुबह रवाना हुई। स्नान और पूजा-अर्चना के उपरांत यमुनोत्री मंदिर के कपाट सुबह 11:55 बजे श्रद्धालुओं के लिए खोल दिए गए।

आस्था की उमड़ी भीड़, पहले दिन से दिखा श्रद्धालुओं का उत्साह

चारधाम यात्रा के पहले ही दिन यमुनोत्री के लिए श्रद्धालुओं की बड़ी संख्या में आवाजाही देखी गई। मंगलवार को 84 वाहनों में सवार होकर सैकड़ों भक्त यमुनोत्री के लिए रवाना हुए। इस बार प्रशासन ने यात्रा को व्यवस्थित और सुगम बनाने के लिए विशेष व्यवस्थाएं की हैं। पांच प्रमुख स्थानों पर परिवहन विभाग ने सहायता केंद्र बनाए हैं ताकि यात्रियों को मार्गदर्शन, सहायता और आपातकालीन सेवा मिल सके।

यात्रा मार्ग का विस्तृत सुरक्षा और ट्रैफिक प्लान तैयार

चारधाम यात्रा के मार्ग को इस बार 15 सुपर जोन, 41 जोन और 217 सेक्टरों में विभाजित किया गया है। पुलिस ने सुरक्षा और निगरानी के लिए कुल 624 सीसीटीवी कैमरे सक्रिय किए हैं। यातायात व्यवस्था को सुचारु बनाए रखने के लिए तीन चरणों में ट्रैफिक प्लान तैयार किया गया है।

यात्रा के दौरान निगरानी के लिए 9 एएसपी और डीएसपी स्तर के अधिकारियों को विभिन्न बिंदुओं पर तैनात किया गया है। साथ ही, पहली बार इस यात्रा के लिए केंद्र सरकार से 10 अर्धसैनिक बलों की कंपनियों की मांग की गई है, जिससे संवेदनशील क्षेत्रों में सुरक्षा पुख्ता की जा सके।

तीर्थयात्रियों के लिए सुविधाएं और नई पहलें

इस वर्ष की यात्रा में श्रद्धालुओं को सुविधाएं देने के लिए उत्तराखंड सरकार ने कई नई पहलें की हैं। ई-रजिस्ट्रेशन अनिवार्य किया गया है, जिससे यात्रियों की संख्या पर नियंत्रण और उनकी पहचान सुनिश्चित की जा सके। इसके अलावा, हेली सेवाओं का विस्तार गौचर, जोशियाड़ा, श्रीनगर और अन्य स्थानों तक किया जा रहा है। इससे बुजुर्ग, बीमार और सीमित समय वाले यात्री भी यात्रा का लाभ उठा सकेंगे।

राज्य आपदा प्रबंधन बल (SDRF), होमगार्ड्स और मेडिकल टीमों को यात्रा मार्ग पर तैनात किया गया है। मोबाइल मेडिकल वैन, 24 घंटे एम्बुलेंस सेवा और कंट्रोल रूम की सहायता से किसी भी आपात स्थिति में तुरंत प्रतिक्रिया देने की योजना बनाई गई है।

भावनात्मक जुड़ाव और परंपरा की गूंज

गंगोत्री और यमुनोत्री धाम के कपाट खुलने की परंपरा सदियों पुरानी है और यह आयोजन उत्तराखंड के सांस्कृतिक और धार्मिक जीवन का अभिन्न हिस्सा बन चुका है। मां गंगा की डोली मुखबा गांव से, और मां यमुना की डोली खरसाली गांव से हर वर्ष एक विशेष विधि से रवाना होती है। इन गांवों को “माताओं का मायका” माना जाता है और वहां से डोलियों के विदा होने का दृश्य अत्यंत भावुक होता है।

गांवों में ढोल-नगाड़ों, लोकगीतों और पारंपरिक परिधानों में सजे भक्तों के साथ यह यात्रा किसी सांस्कृतिक उत्सव से कम नहीं लगती। हर मोड़ पर श्रद्धा, संगीत और भक्ति का अद्भुत मेल देखने को मिला।

केदारनाथ और बदरीनाथ के कपाट खुलने की तैयारी

चारधाम यात्रा के अगले चरण में 2 मई को केदारनाथ और 4 मई को बदरीनाथ धाम के कपाट खोले जाएंगे। इन दोनों धामों के लिए भी हजारों श्रद्धालु रजिस्ट्रेशन करा चुके हैं और मार्ग पर तीर्थ यात्रियों का सैलाब उमड़ने की संभावना है। हेलीकॉप्टर सेवा, पैदल मार्ग और घोड़े-खच्चरों की मदद से केदारनाथ पहुँचने वाले यात्रियों की संख्या अधिक होती है, इसलिए प्रशासन ने सोनप्रयाग और गौरीकुंड में विशेष यात्री नियंत्रण केंद्र बनाए हैं।

सरकार और प्रशासन की साझा तैयारी

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने चारधाम यात्रा को सुरक्षित और व्यवस्थित बनाने के लिए सभी विभागों को आपसी समन्वय के साथ कार्य करने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने कहा कि श्रद्धालुओं की सुरक्षा सर्वोपरि है और इस यात्रा को विश्वस्तरीय अनुभव बनाना राज्य सरकार का लक्ष्य है। यात्रियों से अनुरोध किया गया है कि वे पंजीकरण के बाद ही यात्रा पर आएं, मौसम की जानकारी लें और प्रशासन के निर्देशों का पालन करें।