उत्तराखंड सरकार ने राज्य की एकल महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए ‘मुख्यमंत्री एकल महिला स्वरोजगार योजना’ की शुरुआत की है। इस योजना के तहत राज्य की निराश्रित महिलाएं अपनी पसंद का व्यवसाय चुन सकेंगी और उन्हें सरकार की ओर से 2 लाख रुपये तक की सब्सिडी प्रदान की जाएगी। इस योजना की सबसे खास बात यह है कि सरकार ने स्व-रोजगार की श्रेणी को लेकर कोई शर्त तय नहीं की है, यानी महिलाएं जिस कार्य में निपुण हैं, उसके लिए सब्सिडी ले सकती हैं।
योजना की प्रमुख विशेषताएं
कम राशि से शुरुआत: योजना का लाभ उठाने के लिए आवेदक महिला के बैंक खाते में केवल 25 हजार रुपये होने चाहिए, भले ही यह राशि लोन के रूप में ली गई हो। बाकी की रकम सब्सिडी के तौर पर सरकार द्वारा जारी की जाएगी।
पसंद का व्यवसाय चुनने की स्वतंत्रता: यह योजना महिलाओं को अपनी रुचि और कौशल के अनुसार किसी भी व्यवसाय को चुनने की छूट देती है।
‘पहले आओ, पहले पाओ’: प्रत्येक जनपद में इस योजना का लाभ ‘पहले आओ, पहले पाओ’ के आधार पर मिलेगा।
आयु सीमा: आवेदक की आयु कम से कम 21 वर्ष और अधिकतम 50 वर्ष होनी चाहिए।
पात्रता और आवेदन प्रक्रिया
आवेदन केवल उत्तराखंड मूल की वही एकल महिला कर सकेंगी, जिनके पूरे परिवार की कुल वार्षिक आय 72 हजार रुपये से अधिक न हो। समाज कल्याण विभाग में पंजीकृत परित्यक्ता महिलाएं ही योजना की पात्र होंगी। यदि पंजीकरण नहीं है, तो ग्राम प्रधान, विधायक या सांसद द्वारा जारी प्रमाणपत्र मान्य होगा, जिसके साथ महिला का एक शपथ पत्र भी संलग्न करना होगा।
केंद्र पोषित योजनाओं की राज्य नोडल अधिकारी आरती बलोदी ने बताया कि विज्ञप्ति जारी होने पर इच्छुक और पात्र महिलाएं अपने जनपद में कार्यरत जिला कार्यक्रम अधिकारी के माध्यम से आवेदन पत्र प्राप्त कर सकती हैं। आवेदन की जांच एक महीने के भीतर की जाएगी और जिला स्तरीय समिति द्वारा अनुमोदित प्रस्तावों को 15 दिनों के भीतर निदेशालय भेजा जाएगा। अंतिम स्वीकृति राज्य स्तरीय समिति की जांच के बाद दी जाएगी।
महिला कल्याण निदेशक प्रशांत आर्या ने बताया कि योजना को इसी वित्तीय वर्ष में लागू करने की तैयारी है और शासनादेश के बाद लगभग दो माह में बजट जारी होने की उम्मीद है। इसके बाद समस्त जनपदों में आवेदन की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी। यह पहल उत्तराखंड की एकल महिलाओं को आर्थिक रूप से सशक्त बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी।