संभल में शाही जामा मस्जिद के सर्वेक्षण के मामले में मुस्लिम पक्ष को बड़ा झटका लगा है। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने निचली अदालत द्वारा मस्जिद के सर्वेक्षण के लिए जारी किए गए आदेश को बरकरार रखते हुए मुस्लिम पक्ष की याचिका खारिज कर दी है। अदालत ने निचली अदालत के आदेश में किसी भी प्रकार की त्रुटि नहीं पाई है।
अधिवक्ता का बयान: सर्वे वैध, सुप्रीम कोर्ट जाने का स्वागत
गाजियाबाद के अधिवक्ता हरि शंकर जैन ने इस फैसले पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि कोर्ट ने मुस्लिम पक्ष की दलीलों को खारिज कर दिया है और यह स्पष्ट किया है कि सर्वे पूरी तरह से वैध है। उन्होंने यह भी कहा कि यदि मुस्लिम पक्ष इस फैसले को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट जाता है, तो वे उनका स्वागत करने के लिए तैयार हैं। न्यायमूर्ति रोहित रंजन अग्रवाल की एकल पीठ ने मुस्लिम पक्ष की आपत्तियों को खारिज करते हुए यह निर्णय सुनाया।
मस्जिद कमेटी की याचिका खारिज: मुकदमे की पोषणीयता को चुनौती
दरअसल, संभल की जामा मस्जिद और हरिहर मंदिर विवाद पर मस्जिद कमेटी द्वारा एक सिविल रिवीजन याचिका दाखिल की गई थी। इस याचिका के माध्यम से मस्जिद कमेटी ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में मुकदमे की पोषणीयता को चुनौती दी थी, लेकिन हाईकोर्ट ने उनकी इस दलील को अस्वीकार कर दिया। मस्जिद कमेटी ने विशेष रूप से 19 नवंबर 2024 के सिविल कोर्ट के फैसले को चुनौती दी थी, जिसे हाईकोर्ट ने अब सही ठहराया है।
पूर्व में हुआ सर्वे और हिंसा का दौर
गौरतलब है कि संभल की शाही जामा मस्जिद बनाम श्री हरिहर मंदिर मामले में महंत ऋषिराज की याचिका पर अधिवक्ता विष्णुशंकर जैन ने सिविल कोर्ट में अपील की थी। स्थानीय अदालत के आदेश के बाद पिछले साल नवंबर में मस्जिद का सर्वे भी हुआ था, जिसका मस्जिद कमेटी ने विरोध किया था। पहला सर्वे 19 नवंबर को हुआ था, जबकि दूसरा सर्वे 24 नवंबर को हुआ था, जिसके दौरान हिंसा भड़क गई थी और दुर्भाग्यवश चार लोगों की जान चली गई थी। इस हिंसा के संबंध में अब तक 70 से अधिक लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है। हाईकोर्ट का यह फैसला अब इस पूरे मामले में एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हो सकता है।