उत्तराखंड इस वर्ष मई में भारत का पहला गांव माणा एक ऐतिहासिक और धार्मिक आयोजन का गवाह बनने जा रहा है। 14 से 25 मई 2025 तक यहां पुष्कर कुंभ का आयोजन किया जाएगा, जिसमें दक्षिण भारत के पांच राज्यों – तेलंगाना, आंध्रप्रदेश, तमिलनाडु, केरल और कर्नाटक – से 1.57 लाख से अधिक श्रद्धालुओं के पहुंचने की संभावना है। श्रद्धालु सरस्वती और अलकनंदा नदियों के संगम स्थल – केशव प्रयाग में स्नान और पूजा करेंगे।
माणा गांव – आध्यात्मिक और सांस्कृतिक महत्व का केंद्र
बदरीनाथ धाम से मात्र तीन किलोमीटर की दूरी पर स्थित माणा गांव न केवल भारत का अंतिम गांव है, बल्कि इसे देश का प्रथम गांव भी कहा जाता है। यहां सरस्वती नदी भूमिगत होकर बहती है, और कुछ ही दूरी पर उसका अलकनंदा से संगम होता है। यह संगम स्थल केशव प्रयाग कहलाता है, जिसे धार्मिक दृष्टि से अत्यंत पवित्र माना जाता है।
हर 12 वर्ष में होता है पुष्कर कुंभ
पुष्कर कुंभ हर 12 साल में तब आयोजित होता है जब गुरु (बृहस्पति ग्रह) मिथुन राशि में प्रवेश करता है। यह आयोजन दक्षिण भारत की वैष्णव परंपरा से जुड़ा है, जहां भगवान विष्णु को प्रमुख रूप से पूजा जाता है। इस विशेष खगोलीय संयोग पर देश के विभिन्न क्षेत्रों से वैष्णव संप्रदाय के अनुयायी उत्तराखंड के इस पवित्र स्थल की ओर रुख करते हैं।
आयोजन को लेकर तैयारियां जोरों पर
माणा गांव के ग्राम प्रधान पीतांबर मोल्फा के अनुसार, गांव में आयोजन को लेकर तैयारियां प्रारंभ हो चुकी हैं। श्रद्धालुओं की आवास व्यवस्था के लिए गांव के होमस्टे और होटल पूरी तरह बुक हो चुके हैं। इसके अलावा भंडारों और पूजा अनुष्ठानों की बुकिंग भी तेज़ी से हो रही है। आयोजन समिति और प्रशासन सुरक्षा, स्वच्छता, और भीड़ नियंत्रण के लिए विशेष रणनीति पर काम कर रहे हैं।
दक्षिण भारत में पुष्कर कुंभ का विशेष महत्व
पुष्कर कुंभ को लेकर दक्षिण भारत में विशेष श्रद्धा देखी जाती है। विजयवाड़ा के श्री त्रिदंडी श्रीमन्नारायण रामानुज चिन्ना जीयर की घोषणा के बाद इस बार का आयोजन 14 से 25 मई के बीच तय हुआ है। वर्ष 2013 में जब यहां पिछला पुष्कर कुंभ आयोजित हुआ था, तब भी हजारों श्रद्धालु पहुंचे थे। हालांकि, आयोजन समाप्त होने के अगले ही दिन केदारनाथ आपदा आ गई थी, जिससे माणा गांव बाल-बाल बचा था।
श्रद्धालुओं की संख्या में भारी इजाफा
वर्ष 2013 तक जहां पुष्कर कुंभ में कुछ हजार श्रद्धालु पहुंचते थे, वहीं 2014 से इसकी लोकप्रियता तेजी से बढ़ी है। अब श्रद्धालु जत्थों में पंजीकरण कराकर माणा पहुंच रहे हैं। दक्षिण भारत की धार्मिक संस्थाओं ने इस आयोजन को एक बड़े धार्मिक उत्सव का रूप दे दिया है।
धार्मिक पर्यटन को मिलेगा बढ़ावा
पुष्कर कुंभ का आयोजन माणा गांव और बदरीकाश्रम क्षेत्र के लिए धार्मिक पर्यटन के नए द्वार खोलने वाला साबित हो सकता है। इससे न केवल स्थानीय रोजगार को बढ़ावा मिलेगा, बल्कि उत्तराखंड के धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व को भी वैश्विक मंच पर पहचान मिलेगी।
माणा गांव में 14 से शुरू होने वाला पुष्कर कुंभ न केवल एक धार्मिक आयोजन है, बल्कि यह भारत की आध्यात्मिक परंपरा और सांस्कृतिक एकता का प्रतीक भी है। उत्तराखंड की शांत घाटियों में गूंजते मंत्रों और संगम में डुबकी लगाते श्रद्धालुओं की छवियां आने वाले समय में देश की विरासत का अहम हिस्सा बनेंगी।