उत्तराखंड हाईकोर्ट ने नैनीताल जिले की बुधलाकोट ग्राम सभा की पंचायत चुनाव की वोटर लिस्ट में बाहरी लोगों के नाम शामिल किए जाने के खिलाफ दायर जनहित याचिका पर सुनवाई की. मुख्य न्यायाधीश जी. नरेंद्र और न्यायमूर्ति आलोक मेहरा की खंडपीठ ने इस मामले में सख्त रुख अपनाया और राज्य निर्वाचन आयोग से वोटर लिस्ट तैयार करने के मापदंडों पर सवाल उठाए.
याचिका का आधार
बुधलाकोट निवासी आकाश बोरा ने जनहित याचिका दायर कर कहा कि ग्राम सभा की वोटर लिस्ट में 82 बाहरी लोगों के नाम जोड़े गए हैं, जिनमें अधिकतर ओडिशा और अन्य राज्यों के हैं. उन्होंने इसकी शिकायत एसडीएम से की थी, जिसके बाद एक जांच कमेटी गठित की गई. कमेटी ने पाया कि 18 लोग बाहरी हैं, लेकिन अंतिम वोटर लिस्ट में इनके नाम नहीं हटाए गए. याचिकाकर्ता ने कोर्ट में 30 और बाहरी लोगों की सूची भी पेश की, जिन पर कोई कार्रवाई नहीं हुई.
कोर्ट की सुनवाई
सुनवाई के दौरान आयोग के अधिवक्ता संजय भट्ट ने कहा कि वोटर लिस्ट बनाते समय सभी मापदंडों का पालन किया गया. जिन लोगों के नामों पर आपत्तियां थीं, उनकी जांच कमेटी ने की. हालांकि, याचिकाकर्ता ने इसका विरोध करते हुए कहा कि जिन लोगों के नाम वोटर लिस्ट में हैं, वे स्थानीय निवासी नहीं हैं और उनके नाम ग्राम सभा के परिवार रजिस्टर में दर्ज नहीं हैं. जिनके नाम दर्ज हैं, उनमें भी कई अनियमितताएं हैं.
कोर्ट ने आयोग से पूछा कि बाहरी लोगों को वोटर लिस्ट में शामिल करने का आधार क्या है और इसके लिए कौन से मापदंड अपनाए गए? कोर्ट ने आयोग को वोटरों के सत्यापन (वेरिफिकेशन) का रिकॉर्ड शुक्रवार तक पेश करने का आदेश दिया.
पंचायत चुनाव पर अन्य याचिकाएं
हाईकोर्ट में पंचायत चुनाव से संबंधित 25 से अधिक याचिकाएं दायर हो चुकी हैं, जो अलग-अलग मुद्दों पर हैं. यह मामला भी उनमें से एक है, जो वोटर लिस्ट की विश्वसनीयता और पारदर्शिता पर सवाल उठाता है.
-काफल ट्री डेस्क