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देहरादून के लिए गडकरी का हवा में चलने वाली बस का सपना

उत्तराखंड की राजधानी, अपनी प्राकृतिक सुंदरता के लिए जानी जाती है. लेकिन पिछले कुछ सालों में यह शहर एक नई पहचान बना रहा है—ट्रैफिक जाम की. सड़कों पर गाड़ियों की लंबी कतारें और घंटों जाम में फंसे रहने की मजबूरी अब देहरादूनवासियों की रोजमर्रा की जिंदगी का हिस्सा बन चुकी है. इस समस्या से निपटने के लिए जहां राज्य सरकार कई परियोजनाओं पर काम कर रही है, वहीं केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने एक अनोखा और महत्वाकांक्षी विचार प्रस्तुत किया है—हवा में चलने वाली डबल डेकर बस. इस विचार ने न केवल सुर्खियां बटोरीं, बल्कि देहरादून के भविष्य को लेकर नई उम्मीदें भी जगाई हैं. साथ ही, गडकरी ने उत्तराखंड के रोपवे और सड़क परियोजनाओं को लेकर भी कई बड़े ऐलान किए, जो इस पहाड़ी राज्य के परिवहन और पर्यटन को नई दिशा दे सकते हैं.

हवाई बस: एक सपना जो हकीकत बनेगा?

3 जून, 2025 को देहरादून की ग्राफिक एरा यूनिवर्सिटी के 12वें दीक्षांत समारोह में नितिन गडकरी मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हुए. इस मौके पर उन्हें मानद डॉक्टरेट की उपाधि से सम्मानित किया गया, और उन्होंने 3,142 छात्रों को डिग्रियां प्रदान कीं. अपने संबोधन में गडकरी ने न केवल शिक्षा और सामाजिक जिम्मेदारी पर जोर दिया, बल्कि देहरादून की सबसे बड़ी समस्या—ट्रैफिक जाम—पर भी खुलकर बात की.

गडकरी ने बताया कि एक बार देहरादून आने पर उन्हें शहर के ट्रैफिक जाम का कड़वा अनुभव हुआ था. इस अनुभव ने उन्हें एक अनोखा समाधान सोचने के लिए प्रेरित किया—हवा में चलने वाली डबल डेकर बस. उन्होंने कहा, “मैं चाहता हूं कि देहरादून में एक ऐसी बस शुरू हो, जो हवा में चले और जिसमें 125-150 लोग एक साथ सफर कर सकें.” इस प्रस्ताव को लागू करने के लिए उन्होंने उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से एक विस्तृत प्रस्ताव तैयार करने का अनुरोध किया. गडकरी का यह विचार सुनने में भले ही किसी साइंस-फिक्शन फिल्म की तरह लगे, लेकिन उनके आत्मविश्वास ने इसे गंभीरता प्रदान की. उन्होंने कहा, “इंपॉसिबल का मतलब है ‘आई एम पॉसिबल’. असंभव कुछ भी नहीं है, बशर्ते हम सही दिशा में काम करें.”

हालांकि, यह पहली बार नहीं है जब गडकरी ने इस तरह के नवीन परिवहन समाधान का जिक्र किया हो. इससे पहले वे प्रयागराज में “फ्लाइंग बस,” बेंगलुरु में “स्काईबस,” और चंडीगढ़ में “डबल डेकर स्काई बस” जैसे विचार पेश कर चुके हैं. लेकिन देहरादून के लिए यह प्रस्ताव नया और रोमांचक है. सवाल यह है कि क्या यह हवाई बस का सपना हकीकत में बदलेगा, या यह सिर्फ एक और महत्वाकांक्षी योजना बनकर रह जाएगा?

ट्रैफिक जाम और राज्य सरकार के प्रयास

देहरादून में ट्रैफिक जाम की समस्या दिन-ब-दिन गंभीर होती जा रही है. शहर की तंग सड़कें और बढ़ती वाहनों की संख्या ने हालात को और जटिल बना दिया है. इस समस्या से निपटने के लिए उत्तराखंड सरकार कई परियोजनाओं पर काम कर रही है, जिनमें रिस्पना-बिंदाल एलिवेटेड रोड प्रोजेक्ट शामिल है. हालांकि, इस प्रोजेक्ट को लेकर स्थानीय लोग विरोध कर रहे हैं, क्योंकि इसके लिए 2,614 मकानों को तोड़ने की योजना है. लोगों का सवाल है कि अगर उनके घर टूट गए, तो वे कहां जाएंगे?

इन सबके बीच गडकरी का हवाई बस का प्रस्ताव एक नई उम्मीद लेकर आया है. यह बस, जो संभवतः किसी सस्पेंडेड ट्रांसपोर्ट सिस्टम या स्काईबस की तरह होगी, सड़कों पर दबाव कम कर सकती है. लेकिन इसके लिए भारी-भरकम बुनियादी ढांचे, तकनीकी विशेषज्ञता और बड़े पैमाने पर निवेश की जरूरत होगी. गडकरी ने अपने संबोधन में यह भी कहा कि कुछ लोग समस्याओं को अवसर में बदल देते हैं, जबकि कुछ अवसरों को समस्या बना देते हैं. शायद यह हवाई बस का विचार भी एक ऐसा अवसर है, जिसे सही दिशा में ले जाने की जरूरत है.

रोपवे और सड़क परियोजनाएं: उत्तराखंड का नया चेहरा

गडकरी का देहरादून दौरा सिर्फ हवाई बस तक सीमित नहीं रहा. सहारनपुर रोड पर एक होटल में आयोजित एक उच्चस्तरीय बैठक में उन्होंने उत्तराखंड की कई अन्य परियोजनाओं पर भी चर्चा की. इस बैठक में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी, मुख्य सचिव आनंद बर्द्धन, और अन्य वरिष्ठ अधिकारी मौजूद थे. बैठक का मुख्य एजेंडा पर्वतमाला योजना के तहत प्रस्तावित रोपवे परियोजनाएं थीं.

उत्तराखंड के पर्यटन विभाग ने 50 से अधिक रोपवे परियोजनाओं के प्रस्ताव नेशनल हाइवे लॉजिस्टिक्स मैनेजमेंट लिमिटेड (एनएचएलएमएल) को भेजे हैं. गडकरी ने आश्वासन दिया कि इन प्रस्तावों की चरणबद्ध समीक्षा की जाएगी, और पहले चरण में आठ रोपवे परियोजनाओं को मंजूरी मिलने की उम्मीद है. यह रोपवे न केवल पर्यटन को बढ़ावा देंगे, बल्कि पहाड़ी क्षेत्रों में आवागमन को भी आसान बनाएंगे.

इसके अलावा, मानसखंड मंदिर माला मिशन के तहत 508 किलोमीटर के 20 मोटर मार्गों को डबल लेन करने और राष्ट्रीय राजमार्ग के रूप में अधिसूचित करने का प्रस्ताव भी रखा गया. इस परियोजना की अनुमानित लागत 8,000 करोड़ रुपये है, और पहले चरण के लिए 1,000 करोड़ रुपये की मांग की गई है. यह राशि भूमि अधिग्रहण और वन भूमि हस्तांतरण जैसे कार्यों के लिए इस्तेमाल होगी. मुख्यमंत्री धामी ने इस संबंध में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखा है, और गडकरी को भी एक पत्र सौंपा गया. गडकरी ने इस प्रस्ताव पर सकारात्मक कार्रवाई का भरोसा दिलाया.

शिक्षा, पर्यावरण और सामाजिक जिम्मेदारी

ग्राफिक एरा यूनिवर्सिटी के दीक्षांत समारोह में गडकरी ने छात्रों को संबोधित करते हुए शिक्षा और सामाजिक जिम्मेदारी पर जोर दिया. उन्होंने कहा, “ये डिग्रियां सिर्फ ज्ञान का प्रतीक नहीं हैं, बल्कि समाज के प्रति जिम्मेदारी का भी आह्वान करती हैं. भारत में दुनिया का सबसे कुशल कार्यबल है, और युवा देश का भविष्य हैं.” गडकरी ने पर्यावरण और टेक्नोलॉजी पर भी बात की. उन्होंने कहा कि कचरे को धन में बदला जा सकता है, और हाइड्रोजन भविष्य का ईंधन है, जिसे जैविक कचरे से सस्ते में बनाया जा सकता है.

उन्होंने यह भी कहा कि असली तकनीकी प्रगति तब होगी, जब देश के 1.5 करोड़ रिक्शा चालकों को मानवीय और मशीनीकृत ई-रिक्शा उपलब्ध होंगे. गडकरी का यह दृष्टिकोण न केवल परिवहन, बल्कि सामाजिक और पर्यावरणीय विकास को भी जोड़ता है.