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अब ‘नवाबी रोड’ नहीं, ‘अटल मार्ग’ कहिए : जानिए हल्द्वानी की पनचक्की से आईटीआई रोड को क्या नया नाम मिला

उत्तराखंड सरकार ने हाल ही में राज्य के चार जिलों—देहरादून, नैनीताल, हरिद्वार और ऊधमसिंह नगर—में स्थित 15 स्थानों के नाम बदलने की घोषणा की है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी द्वारा घोषित इस नाम परिवर्तन अभियान को लेकर जहां कुछ स्थानों पर जनता में उत्साह देखा जा रहा है, वहीं देहरादून के मियांवाला को लेकर विवाद भी उभर आया है।

मुख्यमंत्री धामी की घोषणा के अनुरूप हल्द्वानी शहर की दो प्रमुख सड़कों के नाम बदल दिए गए हैं। शासन की ओर से सोमवार को जारी अधिसूचना में कहा गया कि हल्द्वानी की नवाबी रोड को अब ‘अटल मार्ग’ और पनचक्की से आईटीआई तक की सड़क को ‘गुरु गोलवलकर मार्ग’ नाम दिया गया है। यह निर्णय हल्द्वानी के महापौर द्वारा दिए गए प्रस्ताव और लोक निर्माण विभाग से प्राप्त अनापत्ति प्रमाणपत्र के आधार पर लिया गया है। आदेश में कहा गया है कि शहरी विकास निदेशालय और जिलाधिकारी नैनीताल को नए नामों के अनुसार कार्यवाही कर शासन को रिपोर्ट भेजने के निर्देश दिए गए हैं।ॉ

संस्कृति और विरासत को बढ़ावा देने का प्रयास

सरकार का कहना है कि यह नाम परिवर्तन भारतीय संस्कृति, परंपरा और महापुरुषों की स्मृति को सहेजने के उद्देश्य से किया गया है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा था कि इन नाम परिवर्तनों से आने वाली पीढ़ियों को उन महापुरुषों से जुड़ने का अवसर मिलेगा जिन्होंने देश के निर्माण और समाज के उत्थान में विशेष योगदान दिया है।

देहरादून के मियांवाला को लेकर विवाद

जहां कई क्षेत्रों में नाम परिवर्तन को लेकर सकारात्मक प्रतिक्रियाएं आ रही हैं, वहीं देहरादून के मियांवाला को ‘रामजीवाला’ करने की घोषणा विवादों में घिर गई है। इस विवाद के चलते एक प्रतिनिधिमंडल ने मुख्यमंत्री से मुलाकात कर इस फैसले पर पुनर्विचार की मांग की। मुख्यमंत्री ने प्रतिनिधियों को आश्वासन दिया कि वे इस विषय पर गंभीरता से विचार करेंगे। फिलहाल मियांवाला की नाम परिवर्तन संबंधी फाइल मुख्यमंत्री कार्यालय में विचाराधीन है और इस पर अंतिम निर्णय की प्रतीक्षा की जा रही है।

ऊधमसिंह नगर में भी परिवर्तन की तैयारी

इसी कड़ी में, ऊधमसिंह नगर जिले की नगर पंचायत सुल्तानपुर पट्टी का नाम बदलकर ‘कौशल्या पूरी’ करने की प्रक्रिया भी जल्द पूरी हो सकती है। प्रशासनिक सूत्रों के अनुसार, इस परिवर्तन को लेकर भी शासन स्तर पर आवश्यक औपचारिकताएं पूरी की जा रही हैं।

जनता की मिली-जुली प्रतिक्रिया

इन नाम परिवर्तनों को लेकर राज्यभर में मिली-जुली प्रतिक्रियाएं देखने को मिल रही हैं। एक ओर कुछ लोग इसे भारतीय मूल्यों और विरासत को पुनः स्थापित करने की दिशा में उठाया गया महत्वपूर्ण कदम मानते हैं, वहीं कुछ लोग इन परिवर्तनों को अनावश्यक विवाद और संसाधनों की बर्बादी बता रहे हैं। देहरादून निवासी शैलेश उनियाल का कहना है कि नाम बदलने से पहले यह देखना जरूरी है कि इससे स्थानीय लोगों की भावनाएं आहत न हों। हमें अपनी परंपरा और विविधता का सम्मान करना चाहिए।

उत्तराखंड सरकार का यह कदम राजनीतिक, सांस्कृतिक और सामाजिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण माना जा रहा है। हालांकि, हर नाम परिवर्तन के साथ सामाजिक सहमति और स्थानीय भावना को समझना आवश्यक है। आने वाले दिनों में देखना दिलचस्प होगा कि सरकार कैसे संतुलन बनाकर इन निर्णयों को लागू करती है और लोगों की भावनाओं का सम्मान करती है।