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उत्तरकाशी का मथोली गांव : महिला सशक्तिकरण की मिसाल, होम स्टे और विलेज टूर संचालित करती हैं महिलाएं

उत्तरकाशी जिले का मथोली गांव, जो पहले केवल एक सामान्य पहाड़ी गांव के रूप में जाना जाता था, आज महिला सशक्तिकरण और ग्रामीण पर्यटन की एक बेहतरीन मिसाल बन चुका है। यहां की महिलाएं न केवल अपने परिवारों का पालन-पोषण कर रही हैं, बल्कि पयर्टकों के लिए होम स्टे संचालन और विलेज टूर जैसी सेवाएं भी प्रदान कर रही हैं। इस बदलाव का श्रेय गांव के युवक प्रदीप पंवार को जाता है, जिन्होंने कोविड-19 लॉकडाउन के दौरान अपने गांव लौटने के बाद इस गांव को पर्यटन का नया केंद्र बनाने की दिशा में कदम बढ़ाया।

पयर्टक गांव में बदलने की प्रक्रिया

प्रदीप पंवार ने अपने पयर्टन क्षेत्र के अनुभव का उपयोग करते हुए, मथोली गांव में स्थित अपनी छानी (गौशाला) को होम स्टे में बदल दिया। इस कदम के साथ ही उन्होंने गांव की महिलाओं को होम स्टे संचालन के लिए प्रशिक्षित किया। महिला सशक्तिकरण को बढ़ावा देते हुए, प्रदीप ने गांव की महिलाओं को न केवल आतिथ्य सत्कार, भोजन बनाने, ट्रैकिंग और विलेज टूर की ट्रेनिंग दी, बल्कि उन्होंने गांव की ब्रांडिंग भी ‘ब्वारी विलेज’ के रूप में की, ताकि इसे दूर-दूर तक पहचान मिल सके।

गांव में अब महिलाएं न सिर्फ पयर्टकों को ठहराने की व्यवस्था करती हैं, बल्कि उन्हें स्थानीय संस्कृति और जीवनशैली से परिचित भी कराती हैं। प्रदीप पंवार के अनुसार, अब गांव की अन्य महिलाएं भी अपनी छानियों को होम स्टे में बदलने के लिए प्रेरित हो रही हैं। इससे न केवल गांव की आर्थिक स्थिति में सुधार हुआ है, बल्कि महिलाओं को आत्मनिर्भर बनने का अवसर भी मिला है।

पयर्टकों के लिए नई संभावना

पिछले कुछ वर्षों में मथोली गांव में करीब एक हजार पयर्टक आ चुके हैं, जो गांव की अपूर्व प्राकृतिक सुंदरता और स्थानीय जीवनशैली को देख कर प्रभावित हुए हैं। प्रदीप पंवार के मुताबिक, आठ मार्च 2022 से उन्होंने होम स्टे की शुरुआत की थी, और तब से यह गांव पर्यटकों के लिए एक नया आकर्षण बन गया है। उनके होम स्टे को अब पयर्टन विभाग में पंजीकृत करवा लिया गया है, जिससे ऑनलाइन बुकिंग की सुविधा भी मिल सकी है।

होम स्टे पंजीकरण योजना

उत्तराखंड राज्य में फिलहाल 5331 होम स्टे पंजीकृत हैं, जिनमें से अधिकांश ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाओं द्वारा संचालित किए जा रहे हैं। पंडित दीन दयाल उपाध्याय होम स्टे योजना के तहत राज्य सरकार महिलाओं को सब्सिडी प्रदान करती है। पहाड़ी क्षेत्र में होम स्टे की लागत पर 33 प्रतिशत और मैदानी क्षेत्र में 25 प्रतिशत तक सब्सिडी दी जाती है, जिससे महिला उद्यमिता को बढ़ावा मिलता है।

मुख्यमंत्री का बयान

उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने मथोली गांव की सराहना करते हुए कहा कि यह ग्रामीण पर्यटन के साथ-साथ महिला सशक्तिकरण का बेहतरीन उदाहरण है। उन्होंने कहा, “यदि गांव का कोई परिवार होम स्टे संचालन के लिए आगे आता है, तो उसे पर्यटन विभाग की सभी योजनाओं का लाभ दिया जाएगा। साथ ही पंजीकरण प्रक्रिया में भी सहयोग किया जाएगा। मथोली गांव से अन्य गांवों को प्रेरणा लेनी चाहिए।”

महिला सशक्तिकरण का नया रास्ता

मथोली गांव की महिलाएं आज न केवल अपनी पारंपरिक जिम्मेदारियों को निभा रही हैं, बल्कि वह समाज में एक नई मिसाल भी पेश कर रही हैं। होम स्टे और विलेज टूर की सफलता ने यह साबित कर दिया है कि महिलाओं के सशक्तिकरण के लिए उन्हें केवल अवसर और सहयोग की आवश्यकता होती है। मथोली गांव आज एक प्रेरणा का स्रोत बन चुका है, और अन्य गांवों के लोग भी इससे प्रेरित होकर अपनी आर्थिक स्थिति को सुधारने की दिशा में कदम बढ़ा सकते हैं।

इस प्रकार, मथोली गांव न केवल महिला सशक्तिकरण की दिशा में एक अहम कदम है, बल्कि यह ग्रामीण पर्यटन को भी एक नया आयाम दे रहा है। इस गांव की सफलता ने यह साबित किया है कि सही दिशा में किए गए प्रयासों से न केवल गांव की छवि बदल सकती है, बल्कि महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने में भी मदद मिल सकती है।