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उत्तराखंड में मदरसा बोर्ड की परीक्षाएं आज से शुरू : नौ परीक्षा केंद्र, 667 छात्र होंगे शामिल, फाजिल- कामिल कोर्स बंद

Udham Singh Nagar News: उत्तराखंड मदरसा शिक्षा परिषद द्वारा आयोजित अरबी-फारसी की वार्षिक परीक्षाएं शनिवार से पूरे राज्य में शुरू हो गई हैं। इस बार 667 परीक्षार्थी तीन मुख्य पाठ्यक्रमों—मुंशी, मौलवी और आलिम—के लिए परीक्षा दे रहे हैं। परीक्षाएं एक पाली में सुबह 8 बजे से 11 बजे तक कराई जाएंगी, जो कि 3 मई तक चलेंगी। इस दौरान 27, 28 अप्रैल और 2 मई को अवकाश रहेगा।

प्रदेशभर में 9 परीक्षा केंद्र बनाए गए हैं, जिनमें सबसे अधिक पांच परीक्षा केंद्र ऊधमसिंह नगर में हैं। इसके अलावा हरिद्वार में दो, देहरादून और नैनीताल में एक-एक केंद्र पर परीक्षाएं हो रही हैं। परिषद के उप रजिस्ट्रार मो. ओबेदुल्ला अंसारी ने बताया कि सभी केंद्रों पर परीक्षा की तैयारियां पूरी कर ली गई हैं और शुक्रवार को प्रवेश पत्र वितरित किए गए।

इन पाठ्यक्रमों में हो रही परीक्षाएं

मुंशी: 145 परीक्षार्थी

मौलवी: 295 परीक्षार्थी

आलिम: 227 परीक्षार्थी

परीक्षाएं बोर्ड द्वारा निर्धारित शैक्षणिक मापदंडों और नियमों के तहत आयोजित की जा रही हैं। सभी केंद्रों पर परीक्षा का माहौल शांतिपूर्ण और व्यवस्थित बनाने के लिए सुरक्षा प्रबंध भी किए गए हैं।

यहां हो रही हैं परीक्षाएं: परीक्षा केंद्रों की सूची

ऊधमसिंह नगर जिले में: मदरसा जामिया अरबिया अहलेसुन्नत बदरूल उलूम, जसपुर

मदरसा इस्लामिया मिस्सरवाला, जसपुर

मदरसा गरीब नवाज, केलाखेड़ा

मदरसा फैजुल मुस्तफा रजा पब्लिक स्कूल, रुद्रपुर

मदरसा गौसिया इस्लामनगर, खटीमा

हरिद्वार में:

मदरसा अरबिया रहमानिया, रुड़की

मदरसा नूर साबरी इंटर कॉलेज, नसीरपुर कला

देहरादून में:

मदरसा मौलाना अबुल कलाम आजाद

नैनीताल में:

1-मदरसा इशातुल हक, किदवई नगर, हल्द्वानी

2-फाजिल और कामिल परीक्षाएं अब नहीं होंगी

मदरसा बोर्ड के चेयरमैन मुफ्ती शमून कासमी ने बताया कि इस बार फाजिल और कामिल परीक्षाएं आयोजित नहीं की जा रही हैं, क्योंकि सुप्रीम कोर्ट ने इन डिग्रियों को असंवैधानिक करार दिया है। उन्होंने कहा कि यूजीसी के नियमानुसार स्नातक और परास्नातक (UG-PG) की डिग्रियां केवल मान्यता प्राप्त विश्वविद्यालय ही दे सकते हैं।

बोर्ड ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश का पालन करते हुए इन कोर्सों को समाप्त कर दिया है। इससे यह स्पष्ट हो गया है कि मदरसा शिक्षा अब केवल परंपरागत धार्मिक शिक्षाओं तक ही सीमित रहेगी, और इसे विश्वविद्यालय स्तर की डिग्री मान्यता नहीं मिलेगी।

कड़ी निगरानी और नियमों का पालन

बोर्ड की ओर से सभी परीक्षा केंद्रों पर परीक्षा के दौरान सीसीटीवी निगरानी, सख्त चेकिंग और शांतिपूर्ण माहौल बनाए रखने के निर्देश दिए गए हैं। साथ ही परीक्षार्थियों और केंद्र व्यवस्थापकों को सुप्रीम कोर्ट के आदेशों और बोर्ड के नियमों का पूरी तरह से पालन करने को कहा गया है।