उत्तराखंड के यमुनोत्री धाम में वर्ष 2024 की आपदा के बाद बाढ़ सुरक्षा कार्यों को तेज़ करने की तैयारी शुरू हो गई है। प्रशासन अब इस पवित्र धाम को आपदा से बचाने के लिए बड़ी मशीनों को एयरलिफ्ट कर स्थल तक पहुंचाने की योजना पर काम कर रहा है। इसके लिए वायुसेना की मदद से चिनूक जैसे भारी हेलिकॉप्टरों के माध्यम से मशीनों को गरुड़ गंगा क्षेत्र में बनाए जा रहे हेलीपैड तक पहुंचाया जाएगा।
आपदा ने खोली सुरक्षा व्यवस्था की पोल
पिछले वर्ष जुलाई 2024 में आई भारी बारिश और भूस्खलन से यमुनोत्री धाम को बड़ा नुकसान पहुंचा था। मार्ग बाधित हुए, यात्रियों को परेशानी हुई और धाम के समीपवर्ती क्षेत्र में संरचनात्मक क्षति भी हुई। इस आपदा ने वहां की सुरक्षा व्यवस्था और निर्माण कार्यों की गुणवत्ता पर भी सवाल खड़े कर दिए। वर्षों से सुरक्षा कार्यों के नाम पर करोड़ों रुपये खर्च किए जा चुके हैं, लेकिन धाम पूरी तरह सुरक्षित नहीं बन पाया।
केदारनाथ की तर्ज पर सुरक्षा की योजना
अब जिला प्रशासन और पुरोहित समाज मिलकर यमुनोत्री को दीर्घकालिक और टिकाऊ सुरक्षा प्रदान करने की दिशा में काम कर रहे हैं। इसका खाका केदारनाथ की तर्ज पर तैयार किया जा रहा है, जहां 2013 की त्रासदी के बाद बड़े स्तर पर सुरक्षात्मक ढांचे विकसित किए गए थे। इसी मॉडल को यमुनोत्री में भी लागू करने के लिए बड़ी मशीनों की जरूरत पड़ी है, जिन्हें कठिन भौगोलिक परिस्थितियों के कारण सड़क मार्ग से वहां पहुंचाना संभव नहीं है।
चिनूक हेलिकॉप्टर से होगी मशीनों की ढुलाई
बड़ी मशीनों को यमुनोत्री तक पहुंचाने के लिए वायुसेना के भारी भरकम चिनूक हेलिकॉप्टर का सहारा लिया जाएगा। इसके लिए सबसे पहले चीता हेलिकॉप्टर से गरुड़ गंगा क्षेत्र में निर्माणाधीन हेलीपैड की रेकी की गई। अधिकारी टीम ने हेलीपैड स्थल का निरीक्षण किया और चिनूक की ट्रायल लैंडिंग की योजना पर विचार किया।
हेलीपैड की स्थिति, आसपास का भू-भाग, हवाई सुरक्षा और मौसम की स्थिरता जैसे कई कारकों का निरीक्षण किया गया, ताकि चिनूक हेलिकॉप्टर का सुरक्षित लैंडिंग सुनिश्चित किया जा सके।
यात्रा सीजन से पहले कार्य तेज
गौरतलब है कि चारधाम यात्रा का शुभारंभ हर साल मई के पहले या दूसरे सप्ताह में होता है। इस बार यात्रा से पहले सुरक्षा कार्यों को तेज गति से पूरा करना प्रशासन की प्राथमिकता है। अगर मशीनों को समय पर एयरलिफ्ट कर लिया गया, तो मानसून से पहले सुरक्षा दीवारें, पानी की निकासी और मजबूत घाटी संरक्षण कार्य पूरे हो सकते हैं।
पुरोहित समाज भी हुआ सक्रिय
यमुनोत्री मंदिर से जुड़े पुरोहित समाज ने भी प्रशासन को पत्र लिखकर सुरक्षा कार्यों में पारदर्शिता, गुणवत्ता और समयबद्धता की मांग की है। उनका कहना है कि धाम में हजारों श्रद्धालु रोजाना पहुंचते हैं, और हर साल प्राकृतिक आपदाओं का खतरा बढ़ता जा रहा है। ऐसे में सिर्फ तात्कालिक कार्यों से बात नहीं बनेगी, बल्कि दीर्घकालिक दृष्टिकोण से योजनाएं बनानी होंगी।
भविष्य के लिए सबक
यमुनोत्री धाम में हो रही यह पहल न केवल वहां के तीर्थ यात्रियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है, बल्कि यह पर्वतीय क्षेत्रों में आपदा प्रबंधन और तैयारियों की एक मिसाल भी बन सकती है। यदि योजना सफल रहती है, तो अन्य दुर्गम स्थलों पर भी इसी प्रकार हेलिकॉप्टरों के माध्यम से संसाधन पहुंचाए जा सकते हैं।