रुद्रपुर, (काफलट्री लाइव)। अल्मोड़ा के पास स्थित लखुडियार रॉक शेल्टर में बनी प्राचीन चित्रकारियों की सही उम्र पता करने की प्रक्रिया शुरू हो गई है। क्षेत्रीय पुरातत्व विभाग ने इसके लिए विशेषज्ञ संस्थानों से मदद मांगी है।

क्षेत्रीय पुरातत्व अधिकारी सीएस चौहान ने बताया कि इन पत्थरों पर बने चित्रों और नक्काशियों की कार्बन डेटिंग कराने के लिए लखनऊ की नेशनल रिसर्च लेबोरेटरी फॉर कंजर्वेशन ऑफ कल्चरल प्रॉपर्टी (NRLC) और नई दिल्ली की इंडियन नेशनल ट्रस्ट फॉर आर्ट एंड कल्चरल हेरिटेज (INTACH) से संपर्क किया गया है।
चौहान ने कहा, “हमारा अनुमान है कि ये रॉक पेंटिंग्स करीब 6,000 साल पुरानी हैं। शुरुआती अध्ययन से पता चलता है कि कुछ चित्र ईसा पूर्व 4000 यानी आज से लगभग 6000 साल पहले के हैं।”
उन्होंने आगे कहा, “हम वैज्ञानिक विश्लेषण के जरिए लखुडियार की ठीक-ठीक समयसीमा पता करना चाहते हैं। इसीलिए NRLC और INTACH को कार्बन डेटिंग के लिए अनुरोध भेजा गया है।”
चौहान ने यह भी बताया कि सुयाल और कोसी नदियों के बीच और पिथौरागढ़ के बेरीनाग में भी लखुडियार जैसी 12 और जगहों का पता चला है।
क्यों है लखुडियार खास?
अल्मोड़ा से बाड़ेछीना रोड पर करीब 15 किलोमीटर दूर, सुयाल नदी के किनारे बसा लखुडियार उत्तराखंड की सबसे महत्वपूर्ण प्रागैतिहासिक जगहों में से एक माना जाता है। यहाँ की पत्थर की दीवारों पर इंसानों, जानवरों और ज्यामितीय आकृतियों के हैरान कर देने वाले चित्र बने हैं।

सुरक्षित रखने की चुनौती
हालाँकि, अधिकारियों ने इस जगह की सुरक्षा की चिंता जताई है। चौहान ने कहा, “पर्यटक अक्सर पत्थरों पर अपने नाम लिखकर इसे नुकसान पहुँचाते हैं। यहाँ कोई सुरक्षा इंतज़ाम नहीं होने के कारण इसे सुरक्षित रखना एक बड़ी चुनौती है।”
कार्बन डेटिंग क्या है?
कार्बन डेटिंग एक ऐसी वैज्ञानिक विधि है जो कार्बन के समस्थानिकों के क्षय को मापकर कार्बनिक पदार्थों (जैसे लकड़ी का कोयला, हड्डी) की उम्र का पता लगाती है। इससे 50,000 साल पुरानी चीजों की उम्र भी पता की जा सकती है। विशेषज्ञों का मानना है कि लखुडियार की सही उम्र पता चलने से हिमालयी क्षेत्र में रहने वाले प्रागैतिहासिक मानवों के जीवन के बारे में अमूल्य जानकारी मिल सकेगी।