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High Court का बड़ा फैसला : जीएसटी के निरस्त नियम के तहत वसूली अवैध, कारोबारियों को राहत

उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाते हुए कारोबारियों को बड़ी राहत दी है। कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) के वर्ष 2017 में बनाए गए नियम 96 (10), जिसे अब निरस्त कर दिया गया है, के तहत 8 अक्टूबर, 2024 के बाद की गई कर वसूली मान्य नहीं होगी। मुख्य न्यायाधीश जी नरेंद्र और न्यायमूर्ति आलोक मेहरा की खंडपीठ ने इस मामले की सुनवाई की।

8 अक्टूबर 2024 के बाद के आदेश अमान्य

कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि केंद्रीय माल और सेवा कर (सीजीएसटी) नियमों के 2017 के नियम 96 (10) के प्रावधानों को लागू करते हुए 8 अक्टूबर, 2024 के बाद कोई भी कर वसूली का आदेश पारित नहीं किया जा सकता है।

याचिकाकर्ता ने दी थी चुनौती

यह फैसला श्री साईं विश्वास पॉलिमर्स नामक एक साझेदारी फर्म की याचिका पर आया, जो सोने की बार और आभूषणों के निर्माण के व्यवसाय में है। फर्म को विभाग ने सीजीएसटी नियमों के नियम 96 (10) के तहत एक करोड़ पांच लाख रुपये की कर वसूली के संबंध में कारण बताओ नोटिस जारी किया था।

याचिकाकर्ता ने इस नोटिस को उच्च न्यायालय में चुनौती दी थी। याचिका में कहा गया था कि केरल उच्च न्यायालय पहले ही इस नियम को निरस्त कर चुका है और विभाग ने इसके स्थान पर कोई अन्य व्यवस्था लागू किए बिना ही इसे 8 अक्टूबर, 2024 को समाप्त कर दिया था। इसलिए, याचिकाकर्ता से वसूली की प्रक्रिया कानून के विरुद्ध है।

विभाग का तर्क खारिज

विभाग ने न्यायालय में तर्क दिया था कि जब याचिकाकर्ता को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया था, तब सीजीएसटी नियम 96 (10), 2017 अस्तित्व में था, भले ही वह बाद में निरस्त हो गया हो। इसलिए, विभाग ने नियमानुसार ही कार्यवाही की है। हालांकि, न्यायालय ने विभाग के इस तर्क को अस्वीकार कर दिया। कोर्ट ने कहा कि 2024 में इस नियम को समाप्त करते समय इसके स्थान पर कोई वैकल्पिक नियम लागू नहीं किया गया था। इसलिए, इस निरस्त नियम के तहत 8 अक्टूबर, 2024 के बाद पारित कोई भी कर वसूली का आदेश वैध नहीं माना जाएगा, जिससे उत्तराखंड के कारोबारियों को बड़ी राहत मिली है।