हल्द्वानी। राष्ट्रीय खेलों की रौनक के बाद गौलापार स्थित अंतरराष्ट्रीय स्टेडियम उपेक्षा के गहरे साये में है। देखरेख की अनदेखी ने कुमाऊं के इस सबसे बड़े खेल ढांचे की चमक फीकी कर दी है और उन उम्मीदों पर पानी फेर दिया है, जिनके साथ इसका निर्माण किया गया था।

शहर से आठ किलोमीटर दूर गौलापार में वर्ष 2016 में 176 करोड़ रुपये की लागत से बने अंतरराष्ट्रीय स्पोर्ट्स कांप्लेक्स का आज बुरा हाल है। इंटरनेशनल क्रिकेट स्टेडियम के पवेलियन और शौचालयों की स्थिति जर्जर हो चुकी है। पवेलियन को जोड़ने वाले पांच में से चार रास्तों के किनारे बनी नालियों की लोहे की जालियां रहस्यमय तरीके से गायब हैं। पुरुष शौचालय का दरवाजा टूटा पड़ा है, तो दिव्यांगजन शौचालय में लगा सिंक क्षतिग्रस्त है। वाटर कूलर खराब पड़ा है और मैदान के चारों ओर झाड़ियां उग आई हैं।
मैदान की हालत बदतर, खिलाड़ी परेशान
फरवरी में हुए 38वें राष्ट्रीय खेलों के दौरान फुटबॉल मैचों के लिए मैदान से हटाई गई क्रिकेट पिच को आठ महीने बीत जाने के बाद भी दोबारा नहीं लगाया गया है। मैदान की अनदेखी के चलते अब वहां घास और गड्ढे बन गए हैं, जिससे खिलाड़ियों के अभ्यास में बाधा आ रही है। मैदान के किनारे गेंदबाजी का अभ्यास करने वाले खिलाड़ियों के चोटिल होने का खतरा भी मंडरा रहा है।
सुरक्षा को खतरा, गायब जालियों का सवाल
स्टेडियम के उत्तरी हिस्से में लगी लोहे की जालियों के गायब होने से सुरक्षा चिंताएं भी बढ़ गई हैं। यह हिस्सा जंगल की तरफ है और जालियों के गायब होने से कोई भी आसानी से अंदर घुस सकता है। रात में चौकीदार तैनात होने के बावजूद जालियों का गायब होना एक बड़ा सवाल खड़ा करता है। प्रशासन को आशंका है कि इन जालियों को चोरी किया गया होगा।
प्रशासन का बयान
इस मामले पर उप निदेशक खेल, रशिका सिद्दीकी ने कहा, “लोहे की जालियां गायब होने की जांच की जाएगी। सिंक को पहले भी बच्चों ने तोड़ा था, जिसे बदला गया था। पानी के टैंकों को बंदर नुकसान पहुंचा रहे हैं।”
जहां प्रशासन जांच का दावा कर रहा है, वहीं यह स्टेडियम बड़े सवाल छोड़ गया है – क्या शहर का यह गौरवशाली मैदान फिर से खिल उठेगा, या उपेक्षा का शिकार होकर बर्बाद होता रहेगा?