Homeउत्तराखण्डExperiential Learning : शिक्षा का बदलता चेहरा, ब्लैकबोर्ड से 'एक्सपीरिएंशियल लर्निंग' तक...

Experiential Learning : शिक्षा का बदलता चेहरा, ब्लैकबोर्ड से ‘एक्सपीरिएंशियल लर्निंग’ तक का सफर

शिक्षा जगत में इन दिनों बड़ा बदलाव देखा जा रहा है। पारंपरिक ब्लैकबोर्ड और आधुनिक स्मार्ट बोर्ड के बाद, अब ‘एक्सपीरिएंशियल लर्निंग’ या अनुभवात्मक शिक्षा (Experiential Learning) ने अपनी जगह बना ली है। यह विधि बच्चों में ज्ञान को स्थायी बनाने में बेहद उपयोगी साबित हो रही है, और आधुनिक स्कूल इसे तेजी से अपना रहे हैं। अनुभवात्मक शिक्षा वह तरीका है जिसमें छात्र करके सीखते हैं, जिससे उनकी समझ गहरी और स्थायी होती है। यह बात विज्ञान कार्यशाला में प्रसिद्ध विज्ञान प्रशिक्षक आशुतोष उपाध्याय ने कही।

दीक्षांत स्कूल में विज्ञान की अभिनव कार्यशाला

इसी कड़ी में 21 मई को दीक्षांत स्कूल में ग्रेड V के छात्रों के लिए एक बेहद आकर्षक और जानकारीपूर्ण विज्ञान कार्यशाला का आयोजन किया गया। इस सत्र का नेतृत्व प्रसिद्ध विज्ञान प्रशिक्षक आशुतोष उपाध्याय ने किया, जिन्होंने पृथ्वी और उसके महाद्वीपों की जटिल अवधारणाओं को छात्रों के लिए सुलभ और मनोरंजक बनाया।

कहानियों से विज्ञान की समझ

श्री उपाध्याय ने अपनी अनूठी शिक्षण शैली से छात्रों को मंत्रमुग्ध कर दिया। उन्होंने आकर्षक कहानियों के माध्यम से मुख्य वैज्ञानिक अवधारणाओं को पेश किया, जिससे सीखने की प्रक्रिया आनंददायक और इंटरैक्टिव बन गई। इस दृष्टिकोण ने न केवल छात्रों की जिज्ञासा को बढ़ाया बल्कि उन्हें जटिल विषयों को आसानी से समझने में भी मदद की। छात्रों ने सक्रिय रूप से भाग लिया, प्रश्न पूछे और चर्चाओं में शामिल हुए, जिससे कार्यशाला का वातावरण जीवंत हो गया।

2D और 3D मॉडल के बीच के अंतर पर दिया गया जोर

कार्यशाला का एक मुख्य आकर्षण 2D और 3D मॉडल के बीच के अंतर पर दिया गया जोर था। श्री उपाध्याय ने स्पष्ट रूप से समझाया कि कैसे ये विभिन्न निरूपण हमें पृथ्वी जैसी विशाल संरचनाओं को समझने में मदद करते हैं। छात्रों को स्थानिक संबंधों और आयामी समझ को विकसित करने में सहायता मिली, जो वैज्ञानिक अवधारणाओं को विज़ुअलाइज़ करने के लिए महत्वपूर्ण है। इस स्पष्टीकरण ने उन्हें यह समझने में मदद की कि मानचित्र (2D) और ग्लोब (3D) दोनों ही पृथ्वी का प्रतिनिधित्व कैसे करते हैं, लेकिन अलग-अलग दृष्टिकोणों से।

व्यावहारिक ज्ञान का अनुभव

सीखने को और अधिक व्यावहारिक बनाने के लिए, छात्रों ने एक आकर्षक गतिविधि में भाग लिया- पेपर, गोंद, मोतियों और धागे का उपयोग करके हैंगिंग ग्लोब का निर्माण। यह व्यावहारिक अभ्यास केवल मज़ेदार ही नहीं था, बल्कि इसने छात्रों के ठीक मोटर कौशल (fine motor skills), रचनात्मकता और सहयोगी क्षमताओं को भी बढ़ाया। उन्होंने समूह में काम किया, विचारों का आदान-प्रदान किया और एक साथ सुंदर ग्लोब बनाए, जिससे टीम वर्क और समस्या-समाधान कौशल को बढ़ावा मिला। यह गतिविधि छात्रों को पृथ्वी के आकार और महाद्वीपों की स्थिति को समझने में मदद करने का एक रचनात्मक तरीका था।

स्थायी ज्ञान और भविष्य की प्रेरणा

इस कार्यशाला के माध्यम से ग्रेड V के छात्रों ने पृथ्वी की संरचना और उसके महाद्वीपों की बेहतर समझ विकसित की। उन्होंने दो-आयामी और तीन-आयामी निरूपण के बीच अंतर करना भी सीखा, जो उनके भविष्य के वैज्ञानिक अध्ययनों के लिए एक महत्वपूर्ण आधार है। कार्यशाला को बेहद सफल माना गया। श्री उपाध्याय के दृष्टिकोण ने जटिल अवधारणाओं को हमारे छात्रों के लिए सुलभ बना दिया। उनकी विशेषज्ञता और इंटरैक्टिव शिक्षण शैली ने छात्रों के लिए एक यादगार और समृद्ध सीखने का अनुभव बनाया, जिसने उनमें विज्ञान के प्रति रुचि जगाई और उन्हें अन्वेषण के लिए प्रेरित किया। यह कार्यशाला इस बात का एक उत्कृष्ट उदाहरण थी कि कैसे रचनात्मक और व्यावहारिक तरीके से विज्ञान सिखाया जा सकता है, जिससे बच्चों का ज्ञान स्थाई बनता है।