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नैनीताल जिले में पिछले पांच वर्षों में बने सभी प्रमाणपत्रों की होगी जांच — प्रशासन ने शुरू की सख्ती

नैनीताल: जिले में फर्जी प्रमाणपत्रों के बढ़ते मामलों को रोकने के लिए प्रशासन ने बड़ा कदम उठाया है। अब जिले में पिछले पाँच सालों में जारी किए गए सभी प्रमाणपत्रों की व्यापक जांच की जाएगी। जिलाधिकारी ललित मोहन रयाल ने इसके लिए संबंधित विभागों को निर्देश जारी कर दिए गए हैं और तहसील स्तर पर विशेष टीमों का गठन किया जा रहा है।

प्रशासन का मानना है कि हाल के वर्षों में निवास, जाति और अन्य प्रमाणपत्रों के दुरुपयोग तथा गलत दस्तावेज़ों के आधार पर सरकारी लाभ लेने की शिकायतें तेजी से बढ़ी हैं। कई मामलों में बाहरी लोगों द्वारा जिले में निवास दिखाकर प्रमाणपत्र प्राप्त किए जाने की भी बातें सामने आई हैं। ऐसे में पूरे सिस्टम को साफ़ और पारदर्शी बनाने के लिए यह कदम बेहद ज़रूरी माना जा रहा है।

जांच किन मामलों में होगी?

सूत्रों के अनुसार, जांच मुख्य रूप से निम्न बिंदुओं पर केंद्रित होगी—

  • फर्जी निवास प्रमाणपत्रों की पहचान
  • पांच साल में जारी सभी प्रमाणपत्रों की तहसीलवार समीक्षा
  • गलत प्रमाणपत्रों के आधार पर मिले सरकारी लाभों की जांच
  • संबंधित अधिकारियों की भूमिका पर जवाबदेही तय करना

जिला स्तर पर एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि यदि किसी प्रमाणपत्र में गड़बड़ी पाई जाती है, तो उस व्यक्ति के खिलाफ कार्रवाई के साथ—साथ इसे जारी करने में लापरवाही बरतने वाले अधिकारियों को भी नहीं बख्शा जाएगा। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि फर्जी प्रमाणपत्र बनवाने वालों पर मुकदमा दर्ज किया जाएगा।

फैज़ान के पांच साल के कार्यों की भी जांच शुरू

इसी के साथ हल्द्वानी में पिछले पाँच वर्षों में हुए कार्यों की भी अलग से समीक्षा शुरू की गई है। उद्देश्य यह पता लगाना है कि किन योजनाओं में प्रमाणपत्रों के आधार पर अनियमितताएँ हुईं और किन लाभार्थियों ने गलत दस्तावेज़ प्रस्तुत किए।

जांच के बाद क्या होगा?

जांच पूरी होने के बाद—

  • गलत प्रमाणपत्र रद्द किए जाएंगे
  • अवैध रूप से प्राप्त लाभ वसूल किए जा सकते हैं
  • संबंधित व्यक्तियों पर कानूनी कार्रवाई
  • प्रमाणपत्र जारी करने की प्रक्रिया को और पारदर्शी बनाया जाएगा

प्रशासन का यह कदम जिले में फर्जीवाड़े को रोकने और सरकारी योजनाओं का लाभ सही पात्र तक पहुँचाने की दिशा में बेहद महत्वपूर्ण माना जा रहा है।