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चारधाम यात्रा में अब तक 80 से अधिक लोगों की मौत : असली वजह जानें

उत्तराखंड की पवित्र चारधाम यात्रा – केदारनाथ, बद्रीनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री – हर साल लाखों श्रद्धालुओं की आस्था और विश्वास का केंद्र होती है. इस वर्ष भी यात्रा ने मई से शुरू होते ही श्रद्धालुओं की भारी भीड़ को अपनी ओर आकर्षित किया है. लेकिन इस बार श्रद्धा की इस यात्रा पर एक गहरा साया भी मंडरा रहा है. 2025 की चारधाम यात्रा अभी पूरी भी नहीं हुई है और अब तक 83 श्रद्धालुओं की मौत हो चुकी है.

ऊंचाई पर सांसें क्यों अटक रही हैं?

चारधाम के मंदिर समुद्र तल से 3,000 से 3,500 मीटर की ऊंचाई पर स्थित हैं. जैसे-जैसे ऊंचाई बढ़ती है, हवा में ऑक्सीजन की मात्रा कम होती जाती है. समुद्र तल पर ऑक्सीजन का स्तर जहां 21% होता है, वहीं पहाड़ों की ऊंचाई पर यह काफी कम हो जाता है. इस स्थिति को चिकित्सा विज्ञान में हाइपोक्सिया कहा जाता है. अचानक ऊंचाई पर पहुंचने से शरीर में ऑक्सीजन की कमी हो जाती है, जिससे एक्यूट माउंटेन सिकनेस (AMS) का खतरा बढ़ जाता है. इसके लक्षणों में सिरदर्द, चक्कर आना, उल्टी और सांस फूलना शामिल हैं.

डॉक्टरों के अनुसार, बिना तैयारी और मेडिकल जांच के पहाड़ी यात्रा शुरू करने वाले लोगों में यह बीमारी जानलेवा रूप ले सकती है. इस वर्ष अब तक जिन 83 श्रद्धालुओं की मौत हुई है, उनमें से अधिकांश की जान कार्डियक अरेस्ट और हाई एल्टीट्यूड सिकनेस की वजह से गई है.

किन लोगों को सबसे ज्यादा खतरा?

मौत के आंकड़ों का विश्लेषण करें तो साफ होता है कि सबसे अधिक खतरे में वे लोग हैं जो पहले से किसी बीमारी से ग्रसित हैं. खासकर हृदय रोग, हाई ब्लड प्रेशर, डायबिटीज और सांस की बीमारियों से पीड़ित बुजुर्ग श्रद्धालुओं के लिए यह यात्रा अधिक जोखिमभरी साबित हो रही है. कई लोग बिना पर्याप्त मेडिकल जांच या तैयारी के इस कठिन यात्रा पर निकल पड़ते हैं, जिससे खतरा और भी बढ़ जाता है.

उत्तराखंड में इस समय आस्था का सैलाब उमड़ पड़ा है. 5 जून 2025 तक चारधाम और हेमकुंड साहिब में 22,20,042 श्रद्धालु दर्शन कर चुके हैं. केवल 5 जून को ही 78,786 श्रद्धालुओं ने दर्शन किए, जिनमें सबसे ज्यादा 24,871 केदारनाथ, 23,729 बदरीनाथ, 13,117 गंगोत्री, 9,880 यमुनोत्री, और 7,189 हेमकुंड साहिब पहुंचे. इस दौरान अब तक यात्रा में कुल 83 श्रद्धालुओं की मौत हुई है, जिनमें से अकेले 38 मौतें केदारनाथ मार्ग पर दर्ज की गई हैं. इसके अलावा 17 बदरीनाथ, 15 गंगोत्री, और 13 यमुनोत्री में हुईं.

प्रशासन की तैयारियां और चुनौतियां

श्रद्धालुओं की लगातार बढ़ती संख्या को देखते हुए प्रशासन ने अलर्ट मोड में आकर व्यवस्थाएं मजबूत करने के निर्देश दिए हैं. स्वास्थ्य शिविरों की संख्या बढ़ाई जा रही है और सभी मुख्य पड़ावों पर डॉक्टरों की तैनाती सुनिश्चित की गई है. यात्रा मार्गों पर मेडिकल कैंप, ऑक्सीजन सिलेंडर और आपातकालीन सेवाएं भी उपलब्ध कराई गई हैं. इसके बावजूद श्रद्धालुओं की भीड़ और खराब मौसम जैसी प्राकृतिक चुनौतियों के आगे ये व्यवस्थाएं अक्सर नाकाफी साबित हो रही हैं.

अब तक यात्रा मार्गों पर 4.8 लाख से अधिक वाहनों की आवाजाही दर्ज की जा चुकी है. औसतन प्रतिदिन 70,000 से अधिक श्रद्धालु चारधाम पहुंच रहे हैं, जिससे ट्रैफिक, ठहराव और संसाधनों की उपलब्धता एक बड़ी चुनौती बन गई है. प्रशासन ने लोगों से अपील की है कि वे यात्रा पर निकलने से पहले अपनी स्वास्थ्य जांच अवश्य कराएं और मौसम व स्वास्थ्य की स्थिति को ध्यान में रखकर ही यात्रा की योजना बनाएं.

चारधाम यात्रा केवल आस्था की नहीं, बल्कि शारीरिक और मानसिक तैयारी की भी परीक्षा है. बिना तैयारी, जांच और सावधानी के पहाड़ी यात्रा करना न केवल जोखिम भरा हो सकता है, बल्कि जानलेवा भी साबित हो सकता है. इस साल के आंकड़े स्पष्ट रूप से चेतावनी दे रहे हैं कि श्रद्धा के साथ-साथ सजगता और सतर्कता भी बेहद जरूरी है. यदि आप भी इस यात्रा की योजना बना रहे हैं, तो पहले स्वास्थ्य की जांच कराएं, पर्याप्त अभ्यास करें, और यात्रा मार्ग की परिस्थितियों को समझकर ही आगे बढ़ें.