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बदरी-केदार यात्रा में बाधा बन सकते हैं डेंजर जोन, यात्रियों को उठानी पड़ सकती है भारी परेशानियां

उत्तराखंड की चारधाम यात्रा हर साल लाखों श्रद्धालुओं के लिए आस्था और आध्यात्म का केंद्र होती है, लेकिन इस बार यात्रा मार्ग पर मौजूद डेंजर जोन फिर से यात्रियों की परीक्षा लेने को तैयार हैं। केदारनाथ यात्रा 2 मई और बदरीनाथ यात्रा 4 मई से शुरू हो रही है। प्रशासन और निर्माण एजेंसियों ने यात्रा मार्गों को बेहतर बनाने का दावा तो किया है, लेकिन एक दर्जन से अधिक ऐसे संवेदनशील स्थल अब भी खतरे की जद में हैं, जो बरसात आते ही बड़ी मुसीबत बन सकते हैं।

तोताघाटी की चढ़ाई – पहला इम्तिहान

बदरीनाथ और केदारनाथ जा रहे यात्रियों की पहली परीक्षा तोताघाटी की चढ़ाई पर होगी। यहां सड़क को चौड़ा कर दिया गया है, लेकिन ऊँचे पहाड़ों से गिरने वाले पत्थरों का खतरा टला नहीं है। राजमार्ग पर पहाड़ियों के ट्रीटमेंट का काम भले चल रहा हो, मगर भूस्खलन की आशंका अब भी बनी हुई है। यह इलाका अब भी यात्रियों के लिए जोखिम भरा बना हुआ है।

बदरीनाथ मार्ग पर पांच बड़े खतरे

गौचर से बदरीनाथ के बीच कमेड़ा, नंदप्रयाग, पागलनाला, हेलंग और हनुमान चट्टी जैसे क्षेत्रों को प्रशासन ने डेंजर जोन की श्रेणी में रखा है। यहां सड़कें तो बनी हैं, लेकिन बरसात के दौरान मलबा और पत्थर गिरने की घटनाएं आम हैं। पिछले वर्ष भी इन स्थानों पर सड़कें कई बार बाधित हुई थीं जिससे श्रद्धालुओं को घंटों इंतजार करना पड़ा था। चमोली के जिलाधिकारी संदीप तिवारी के अनुसार, यात्रा से पहले सभी मार्गों को दुरुस्त करने के निर्देश जारी किए गए हैं।

केदारनाथ हाईवे पर कुंड सबसे कमजोर कड़ी

रुद्रप्रयाग से गौरीकुंड तक जाने वाले मार्ग पर फिलहाल गड्ढों को भरने का काम तेजी से चल रहा है। प्रशासन का दावा है कि एक सप्ताह में यह कार्य पूरा कर लिया जाएगा। लेकिन कुंड क्षेत्र में सड़क की स्थिति बेहद खराब बनी हुई है। यहां ऊपर सड़क निर्माण के कारण लगातार भू-धंसाव की स्थिति बनी हुई है। इसके अलावा, हनुमान मंदिर से पुरानी सुरंग तक का हिस्सा भी विशेष चिंता का विषय बना हुआ है।

देवप्रयाग-श्रीनगर मार्ग पर भी खतरे के संकेत

देवप्रयाग से श्रीनगर के बीच का मार्ग अपेक्षाकृत बेहतर है, लेकिन पालीपुलिया और भग्गू क्षेत्र डेंजर जोन घोषित किए गए हैं। इन क्षेत्रों में पहाड़ी से मलबा गिरने का खतरा बरसात में बढ़ जाता है। प्रशासन ने यहां सतर्कता बरतने के निर्देश दिए हैं।

सिरोबगड़ और चमधार – साल दर साल की मुसीबत

बदरी केदार मार्ग पर सिरोबगड़ और चमधार दो ऐसे स्थल हैं जो हर साल यात्रा बाधित करने में अहम भूमिका निभाते हैं। भूस्खलन, जाम और सड़क संकरी होने के कारण यात्री घंटों फंसे रहते हैं। एनएच श्रीनगर के इंजीनियर मोहम्मद तहसीन ने बताया कि चमधार में सड़क संकरी है और यहां दिक्कतें हो सकती हैं। वहीं सिरोबगड़ में भी सतर्कता बरती जा रही है, लेकिन कोई स्थायी समाधान अब तक नहीं हो पाया है।

हेलीकॉप्टर कंपनियों की तैयारियां भी जोरों पर

रुद्रप्रयाग जिले में केदारनाथ यात्रा को सुगम बनाने के लिए हेली सेवाएं संचालित करने वाली कंपनियां भी सक्रिय हो गई हैं। 28 अप्रैल से हेलीकॉप्टर और स्टाफ केदारघाटी पहुंचने लगेंगे। हेलीपैडों पर मरम्मत और रंग-रोगन का कार्य अंतिम चरण में है। जिला पर्यटन अधिकारी राहुल चौबे के अनुसार, सभी हेलीपैडों को 2 मई तक पूरी तरह तैयार करने के निर्देश दिए गए हैं।

पवित्र धाम, स्वच्छ धाम: प्रशासन की प्राथमिकता

चमोली जिला प्रशासन ने ‘पवित्र धाम, स्वच्छ धाम’ अभियान को यात्रा की आत्मा घोषित किया है। डीएम ने बदरीनाथ नगर पंचायत और अन्य संस्थाओं को सफाई व्यवस्था मजबूत करने, पर्यावरण मित्रों की तैनाती और कूड़ा निस्तारण की पुख्ता व्यवस्था के निर्देश दिए हैं। मंदिर परिसर में शौचालयों की मरम्मत और साफ-सफाई पर भी जोर दिया जा रहा है।

आस्था के साथ सावधानी जरूरी

चारधाम यात्रा आस्था का पर्व है, लेकिन डेंजर जोन यात्रियों के लिए बड़ी चुनौती साबित हो सकते हैं। प्रशासन ने भले ही तैयारियों के दावे किए हों, लेकिन जब तक इन संवेदनशील क्षेत्रों का स्थायी समाधान नहीं हो जाता, हर यात्रा बारिश और भूस्खलन के खतरे के साये में ही गुजरती रहेगी। ऐसे में यात्रियों को अपनी योजना बनाते समय सावधानी बरतनी होगी और मौसम की स्थिति की जानकारी लेते रहना होगा।