चारधाम यात्रा, जो उत्तराखंड की आस्था और पर्यटन का सबसे बड़ा पर्व है, इस वर्ष एक नई चुनौती के साथ शुरू होने जा रही है। जहां श्रद्धालु अपनी आस्था के केंद्रों के दर्शन को निकलेंगे, वहीं प्रशासन को यात्रा मार्ग पर भूस्खलन के बढ़ते खतरों से निपटना होगा। पुलिस द्वारा कराए गए सर्वे के अनुसार, 2024 की तुलना में इस बार भूस्खलन जोन की संख्या लगभग दोगुनी हो चुकी है। पिछले वर्ष जहाँ 35 स्थान भूस्खलन की दृष्टि से संवेदनशील थे, वहीं इस बार यह संख्या बढ़कर 66 तक पहुंच गई है।
चमोली बना सबसे अधिक संवेदनशील जिला
सर्वे के अनुसार सबसे ज्यादा 18 भूस्खलन स्थल चमोली जिले में चिन्हित किए गए हैं। इसके बाद टिहरी में 20, रुद्रप्रयाग में 14, उत्तरकाशी में 09, पौड़ी में 03, और देहरादून में 02 क्षेत्र संवेदनशील माने गए हैं। चूंकि इन जिलों से होकर ही चारों धाम—केदारनाथ, बदरीनाथ, यमुनोत्री और गंगोत्री—का रास्ता गुजरता है, इसलिए यात्रा प्रबंधन की चुनौती भी कई गुना बढ़ गई है।
पुलिस और प्रशासन की तैयारी अंतिम चरण में
भूस्खलन संभावित क्षेत्रों में पुलिस की तैनाती, चेतावनी बोर्ड, और जेसीबी मशीनें लगाई जा रही हैं ताकि किसी भी आपात स्थिति में मलबा हटाकर रास्ता शीघ्र खोला जा सके। 28 स्थान ऐसे भी चिन्हित किए गए हैं जहाँ वैकल्पिक मार्ग उपलब्ध नहीं हैं, जिससे यात्रियों को परेशानी का सामना करना पड़ सकता है। आईजी गढ़वाल रेंज, राजीव स्वरूप के अनुसार, सभी व्यवस्थाओं को अंतिम रूप दिया जा रहा है और पुलिस हर संवेदनशील स्थल पर निरंतर भ्रमणशील रहेगी। इसके साथ ही स्थानीय प्रशासन को निर्देश दिए गए हैं कि निर्माण एजेंसियों के संसाधन हर समय अलर्ट मोड में रहें।
ब्लैक स्पॉट की संख्या भी चिंता का विषय
भूस्खलन स्थलों के साथ-साथ इस बार चारधाम यात्रा मार्ग पर 49 ब्लैक स्पॉट भी चिन्हित किए गए हैं, जहां पहले गंभीर सड़क हादसे हो चुके हैं। इन स्थानों पर संबंधित विभागों ने सुधार कार्य किए हैं। कई स्थानों पर मार्ग चौड़ा किया गया है, जबकि अन्य स्थानों पर क्रैश बैरियर और ट्रैफिक लाइटें लगाकर यातायात को नियंत्रित किया जा रहा है। इन ब्लैक स्पॉट्स में सबसे अधिक संख्या हरिद्वार जिले (35) की है, जो यात्रा का प्रवेश द्वार भी है। इसके अलावा टिहरी में 07, उत्तरकाशी में 04, देहरादून में 03, और रुद्रप्रयाग में 01 ब्लैक स्पॉट चिन्हित किए गए हैं।
श्रद्धालुओं की सुरक्षा सर्वोपरि
राज्य सरकार और प्रशासन ने साफ किया है कि श्रद्धालुओं की सुरक्षा को सर्वोपरि प्राथमिकता दी जाएगी। समय पर मार्गों की मरम्मत, संवेदनशील क्षेत्रों की निगरानी, और आपात स्थितियों में त्वरित सहायता देने के लिए योजनाएं तैयार की जा चुकी हैं। इसके अलावा ट्रैफिक को नियंत्रित करने के लिए अस्थायी पुलिस चौकियां भी स्थापित की जा रही हैं।
भूस्खलन और हादसों के खतरे से इनकार नहीं किया जा सकता
चारधाम यात्रा के मार्गों पर भूस्खलन और हादसों के खतरे से इनकार नहीं किया जा सकता, लेकिन प्रशासन की सक्रियता और तकनीकी संसाधनों की उपलब्धता के कारण इस बार यात्रा को अधिक सुरक्षित और सुगम बनाने का प्रयास किया जा रहा है। श्रद्धालुओं से अपील की गई है कि वे प्रशासन द्वारा दिए गए दिशा-निर्देशों का पालन करें और आपात स्थितियों में हेल्पलाइन नंबरों का उपयोग करें। चारधाम यात्रा एक भावनात्मक और आध्यात्मिक यात्रा है, लेकिन इस बार यह यात्रा सजगता, सुरक्षा और समन्वय की भी परीक्षा होगी।