देहरादून में निजी स्कूलों द्वारा फीस में की जा रही मनमानी अब आसान नहीं होगी। जिला प्रशासन ने सख्त रवैया अपनाते हुए 25 बड़े स्कूलों की जांच पूरी कर ली है और बाकी की जांच प्रक्रिया भी तेजी से जारी है। जिलाधिकारी सविन बंसल ने साफ चेतावनी दी है कि यदि किसी स्कूल ने मानकों की अनदेखी की या अनावश्यक रूप से फीस बढ़ाई, तो उसकी मान्यता रद्द कर दी जाएगी।
फीस स्ट्रक्चर में सुधार का आदेश
अब तक जिन स्कूलों की जांच की गई है, उनमें माउंट लिट्रा, सेंट जोसेफ एकेडमी, जिम पायनियर, समर वैली, स्कॉलर्स होम, संत कबीर, समरफील्ड, क्राइस्ट और चौतन्य टेक्नो स्कूल जैसे नामी संस्थान शामिल हैं। इनमें कुछ स्कूल ऐसे भी पाए गए हैं जिन्होंने जांच के डर से पहले ही अपनी फीस में कटौती कर दी थी, जबकि छह बड़े स्कूलों ने प्रशासन की सुनवाई के बाद फीस कम करने का निर्णय लिया।
प्रशासन का कहना है कि पिछले तीन सालों में अधिकतम 10 प्रतिशत तक ही फीस वृद्धि की अनुमति है, जबकि कुछ स्कूलों ने 35 प्रतिशत तक फीस बढ़ा दी थी। उदाहरण के तौर पर, ऐन मेरी स्कूल को कार्रवाई के बाद अपनी बढ़ोतरी घटाकर 10 प्रतिशत तक लानी पड़ी।
किताब और यूनिफॉर्म की खरीद पर भी लगाम
स्कूलों द्वारा एक ही दुकान से किताबें और ड्रेस खरीदवाने की शिकायतों पर भी प्रशासन ने कड़ा रुख अपनाया है। चार प्रमुख बुक स्टोर को जीएसटी चोरी, बिल न देने और अनावश्यक सामग्री जबरन बेचने के आरोप में सील कर दिया गया है। इससे यह भी खुलासा हुआ कि कुछ स्कूलों और दुकानों के बीच सांठगांठ है, जिससे अभिभावक सिर्फ चुनिंदा दुकानों पर निर्भर हो जाते हैं।
एडवाइजरी जारी करना अनिवार्य
अब सभी निजी स्कूलों को प्रशासन की ओर से यह निर्देश जारी किया गया है कि वे अपनी वेबसाइट पर किताबों की पूरी सूची, ड्रेस के डिजाइन और लोगो की स्पष्ट जानकारी दें और यह भी घोषित करें कि अभिभावकों को किसी एक दुकान से खरीदारी के लिए बाध्य नहीं किया जा रहा है। इससे पारदर्शिता सुनिश्चित होगी और अभिभावकों को स्वतंत्रता मिलेगी।
शिकायतों की जांच और कार्रवाई
शिक्षा मंत्री द्वारा जारी टोल फ्री नंबर पर आ रही शिकायतों की भी जांच हो रही है। शिक्षा विभाग द्वारा संबंधित स्कूलों को तलब किया जा रहा है, हालांकि फिलहाल इन मामलों में सार्वजनिक रूप से कोई सख्त रिपोर्ट सामने नहीं आई है।
सीडीओ के नेतृत्व में हो रही जांच
मुख्य विकास अधिकारी (सीडीओ) अभिनव शाह की अगुवाई में स्कूलों की पूरी जांच चल रही है, जिसमें शिक्षा विभाग के अधिकारी भी शामिल हैं। कुछ स्कूल अपना पुराना रिकॉर्ड देने से कतरा रहे हैं, जिन्हें अंतिम चेतावनी दी गई है।
देहरादून प्रशासन की यह पहल न केवल अभिभावकों को राहत देने वाली है, बल्कि निजी स्कूलों की जवाबदेही तय करने की दिशा में भी बड़ा कदम है। पारदर्शिता, जवाबदेही और अभिभावकों के अधिकारों की रक्षा के लिए सरकार का यह एक्शन प्लान मील का पत्थर साबित हो सकता है।