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फ्रांस की अनियास बनीं पहाड़ की बहू : मुनस्यारी में गंगा संग रचाई शादी, गांव में बजा खुशी का ढोल

उत्तराखंड की शांत वादियों में बसे छोटे से कस्बे मुनस्यारी ने सोमवार को एक अनूठा और यादगार विवाह देखा। यह कोई आम शादी नहीं थी, बल्कि फ्रांस की नागरिक अनियास लुईस और पिथौरागढ़ जिले के युवक गंगा सिंह के बीच संस्कृतियों को जोड़ने वाला एक खूबसूरत मिलन था। अनियास अब आधिकारिक रूप से उत्तराखंड की बहू बन गई हैं और उनकी शादी की चर्चा पूरे क्षेत्र में हो रही है।

घुमक्कड़ी से शुरू हुई प्रेम कहानी

वर्ष 2019 में फ्रांस निवासी अनियास लुईस घूमने के इरादे से मुनस्यारी पहुंची थीं। वे जिस होमस्टे में ठहरीं, वहां गंगा सिंह कार्यरत थे। शुरुआती दिनों में सामान्य परिचय से शुरू हुआ यह रिश्ता धीरे-धीरे गहरी दोस्ती और फिर प्यार में बदल गया। कुछ समय मुनस्यारी में बिताने के बाद अनियास वापस फ्रांस चली गईं। लेकिन दोनों के बीच बातचीत जारी रही। एक-दूसरे से जुड़े रहने की इस डिजिटल डोर ने रिश्ते को मजबूती दी।

लॉकडाउन ने बढ़ाई नजदीकियां

2020 में अनियास एक बार फिर भारत लौटीं, लेकिन तभी कोविड-19 महामारी के चलते देश में लॉकडाउन लागू हो गया। इस मुश्किल समय में गंगा ने न केवल अनियास की देखभाल की, बल्कि उन्हें फ्रांस वापस भेजने में भी हर संभव मदद की। इस कठिन दौर ने दोनों के बीच भावनात्मक रिश्ता और भी मजबूत कर दिया। छह साल के लंबे साथ और समझ के बाद आखिरकार दोनों ने विवाह बंधन में बंधने का फैसला लिया।

हिंदू रीति-रिवाज से हुआ विवाह

सोमवार को गांव शंखधूरा निवासी गंगा सिंह ने बैंड-बाजे और बारातियों के साथ अपनी दुल्हन अनियास को लाने के लिए शेरदांग बारात घर का रुख किया। वहां पहले से ही अनियास और उनका फ्रांसीसी परिवार बारात के स्वागत के लिए तैयार था। पारंपरिक गढ़वाली वेशभूषा, जैसे रंगीला पिछोड़ा और कुमाऊंनी गहनों में सजी अनियास एकदम पहाड़ी बहू की तरह नजर आ रही थीं। उन्होंने पूरी श्रद्धा और उत्साह के साथ सात फेरे लिए और हिंदू संस्कृति को अपनाया।

फ्रांस से भी पहुंचे मेहमान

इस शादी को खास बनाने के लिए अनियास के पिता लोंह, माता कोरिने सहित पांच सदस्य फ्रांस से मुनस्यारी पहुंचे। वे भी पहाड़ की संस्कृति में ढल गए और पूरी रस्मों को हर्षोल्लास से निभाया। उन्होंने भारतीय विवाह की परंपराओं को न केवल समझा, बल्कि खुलकर उसका हिस्सा भी बने।

गांव में बना चर्चा का विषय

अनियास की शादी मुनस्यारी और आसपास के क्षेत्रों में चर्चा का विषय बनी हुई है। बड़ी संख्या में ग्रामीण और पर्यटक इस विशेष मौके पर जुटे। विदेशी बहू को पारंपरिक वेशभूषा में देखने के लिए लोग काफी उत्साहित थे। वहीं, गंगा और उनके परिवार को भी इतने बड़े आयोजन में विदेश से आए मेहमानों का स्वागत करना गर्व का विषय लगा।

संस्कृतियों का संगम

यह विवाह महज दो लोगों का मिलन नहीं था, बल्कि दो देशों और दो संस्कृतियों का अद्भुत संगम था। जहां एक ओर अनियास ने भारतीय संस्कृति को खुले दिल से अपनाया, वहीं दूसरी ओर मुनस्यारी के लोगों ने भी विदेशी मेहमानों को अपनापन और गर्मजोशी से स्वागत कर यह साबित किया कि प्यार और इंसानियत की कोई सीमा नहीं होती।

नया जीवन, नई शुरुआत

शादी के बाद अनियास अब गंगा के साथ मुनस्यारी में ही रहना चाहती हैं और स्थानीय जीवन को अपनाने की इच्छा रखती हैं। वे पहाड़ी जीवनशैली, संस्कृति और परंपराओं से बहुत प्रभावित हैं। उनका कहना है कि भारत, खासकर उत्तराखंड, उन्हें एक दूसरे घर जैसा लगता है।

प्यार भाषा, धर्म, रंग और देश की सीमाओं को नहीं जानता

यह अनोखा विवाह केवल एक प्रेम कहानी नहीं, बल्कि एक प्रेरणा है कि प्यार भाषा, धर्म, रंग और देश की सीमाओं को नहीं जानता। गंगा और अनियास की यह कहानी मुनस्यारी की वादियों में हमेशा गूंजती रहेगी, एक ऐसी मिसाल बनकर जो बताती है कि जब दिल मिलते हैं, तो दुनिया की कोई ताकत उन्हें जुदा नहीं कर सकती।