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अल्मोड़ा: 925 ग्राम पंचायतों के गठन में देरी, गांवों के विकास कार्य ठप

अल्मोड़ा। उत्तराखंड के अल्मोड़ा जिले में पंचायत चुनाव के नतीजे आए हुए ढाई महीने से अधिक समय बीत गया है, लेकिन अभी तक जिले की 925 ग्राम पंचायतों (Gram Panchayats) का गठन नहीं हो पाया है। इस देरी का सीधा असर गांवों के विकास कार्यों पर पड़ रहा है और सभी विकासात्मक गतिविधियां ठप्प पड़ी हैं। ग्राम स्तर पर सरकार के अस्तित्व में न आने के कारण अधिकांश ग्राम प्रधान (Village Pradhan) अभी तक शपथ (Oath) भी नहीं ले पाए हैं।

क्या है पूरा मामला?

अल्मोड़ा जिले में कुल 1160 ग्राम पंचायतें हैं। चुनाव होने के बाद भी अधिकांश पंचायतों में दो-तिहाई वार्ड सदस्यों (Ward Members) ने अभी तक शपथ नहीं ली है। नियमों के मुताबिक, ग्राम प्रधान का शपथ ग्रहण तभी संभव है जब उनकी पंचायत के दो-तहाई वार्ड सदस्य शपथ ले चुके हों। इस कोरम (Quorum) की पूर्ति न होने के कारण जिले के सैकड़ों प्रधान शपथ लेने से वंचित हैं, जिससे पंचायतों का गठन अटका हुआ है।

जिले के ब्लॉकवार हालात

जिले की स्थिति पर नजर डालें तो हालात काफी चिंताजनक हैं। ताड़ीखेत ब्लॉक के 130 में से केवल 18 प्रधान शपथ ले पाए हैं। इसी तरह, ताकुला के 89 में से 13, भैसियाछाना के 53 में से 9, चौखुटिया के 95 में से 20, हवालबाग के 126 में से 36, सल्ट के 138 में से 38, भिकियासैंण के 99 में से 27, स्याल्दे के 95 में से 12, धौलादेवी के 110 में से 28, लमगड़ा के 103 में से 16 और द्वाराहाट के 122 में से महज 18 प्रधानों ने ही शपथ ग्रहण की है।

विकास कार्यों पर लग रहा है ब्रेक

प्रधानों के शपथ न ले पाने का सीधा असर ग्रामीण विकास (Rural Development) पर पड़ रहा है। बिना शपथ लिए प्रधान पंचायत की बैठकें नहीं बुला सकते और न ही कोई वित्तीय निर्णय ले सकते हैं। इस वजह से सरकारी योजनाओं (Government Schemes) का लाभ, निर्माण कार्य, सफाई व्यवस्था, पानी-बिजली से जुड़े काम और लाभार्थियों के चयन जैसे जरूरी कार्य अटके पड़े हैं। ग्रामीणों (Villagers) का कहना है कि प्रधान गांव के विकास की रीढ़ होते हैं और उनके बिना सभी कार्य प्रभावित हो रहे हैं।

क्यों हो रही है इतनी देरी?

जानकारों के मुताबिक, इस देरी की मुख्य वजह वार्ड सदस्यों का शपथ न लेना है। कई कारणों से, जिनमें प्रशासनिक देरी या सदस्यों की अनुपस्थिति शामिल हो सकती है, सदस्यों ने अभी तक शपथ नहीं ली है। नियम के अनुसार बिना कोरम पूरे हुए प्रधानों की शपथ अधूरी मानी जाएगी, इसलिए प्रशासन के पास भी इस मामले में हाथ बंधे हुए हैं। अधिकारियों का कहना है कि जैसे ही शपथ की प्रक्रिया (Oath Process) पूरी होगी, सभी प्रधानों को शपथ दिला दी जाएगी।

ग्रामीणों में बढ़ रही है बेचैनी

ग्रामीणों का मानना है कि अगर जल्द ही इस स्थिति में सुधार नहीं हुआ तो उन्हें काफी परेशानी उठानी पड़ेगी। पंचायतें ही ग्रामीण क्षेत्रों के विकास की धुरी हैं और उनके कामकाज के बिना गांवों का विकास रुक सा गया है। स्थानीय लोग प्रशासन से इस मामले में तेजी दिखाने और जल्द से जल्द सभी पंचायतों का गठन पूरा करने की मांग कर रहे हैं।