
हल्द्वानी, (काफलट्री लाइव)। उत्तराखंड सरकार ने पर्यावरण और पारिस्थितिकी तंत्र को गंभीर नुकसान से बचाने के लिए कोनोकार्पस नामक पौधे को लगाने पर पूरी तरह से रोक लगा दी है। राज्य के प्रमुख सचिव ने सभी संबंधित विभागों को आदेश जारी कर दिए हैं कि न केवल नए पौधे लगाने पर रोक है, बल्कि पहले से लगे हुए पौधों को भी तुरंत हटाया जाए।
इस मामले में पिछले सितंबर में पर्यावरण, वन और जलवायु मंत्रालय के डिप्टी इंस्पेक्टर जनरल ऑफ फॉरेस्ट ने सभी प्रमुख सचिवों को आदेश जारी किए थे। इसी क्रम में उत्तराखंड के प्रमुख सचिव ने भी यह आदेश जारी किए हैं। आदेश के अनुसार, वन, पर्यावरण, नगर निगम और अन्य विभागों को सतर्क रहने और कार्रवाई सुनिश्चित करने का निर्देश दिया गया है।

क्यों है खतरनाक कोनोकार्पस?
विशेषज्ञों के अनुसार, कोनोकार्पस एक विदेशी प्रजाति का पेड़ है, जो तेजी से फैलता है और स्थानीय पर्यावरण तंत्र को नुकसान पहुंचाता है। यह जलवायु परिवर्तन और जैव विविधता के संकट के दौर में एक बड़ा खतरा बन चुका है।
क्या है चुनौती?
पर्यावरणविदों का कहना है कि यह प्रतिबंध सही समय पर उठाया गया जरूरी कदम है, क्योंकि कोनोकार्पस की जड़ें बहुत गहरी और मजबूत होती हैं, जिससे इसे हटाना एक बड़ी चुनौती है। इसकी जड़ें नींव और सड़कों को भी नुकसान पहुंचा सकती हैं और यह पानी के स्रोतों को सूखने का कारण भी बनता है।
तराई पूर्वी वन प्रभाग के डीएफओ हिमांशु बागरी ने कहा, “कोनोकार्पस पौधे को लेकर प्रमुख सचिव ने आदेश जारी किए हैं। इसमें इस पौधे को लगाने, बेचने और खरीदने पर पूरी तरह से प्रतिबंध के आदेश हैं। इसकी वजह मानवीय और पर्यावरण की दृष्टि से नुकसान पहुंचाने वाले पौधे के रूप में हुई पहचान है।”
सरकार ने इसके स्थान पर देशी पौधों को लगाने को बढ़ावा देने और जनता में जागरूकता अभियान चलाने के निर्देश भी दिए हैं।