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उत्तराखंड: सरकार का अनाथ बच्चों के लिए बड़ा कदम, 18 साल तक मिलेंगे ₹4000 की एफडी ?

उत्तराखंड में आपदा के कारण माता-पिता को खोने वाले अनाथ बच्चों के लिए केंद्र सरकार ने बड़ी घोषणा की है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पीएम केयर्स फॉर चिल्ड्रन योजना के तहत इन बच्चों को आर्थिक सहायता प्रदान करने का ऐलान किया है। इसके अंतर्गत चयनित बच्चों को 18 वर्ष की आयु तक प्रतिमाह ₹4000 की सहायता राशि दी जाएगी।

इस योजना के अनुसार, चयनित बच्चों को 18 वर्ष की आयु तक प्रतिमाह 4000 रुपये की सहायता राशि प्रदान की जाएगी। यह राशि बच्चों की दैनिक आवश्यकताओं जैसे शिक्षा, स्वास्थ्य और पोषण को पूरा करने में सहायक होगी। इसके अतिरिक्त, प्रत्येक बच्चे के नाम पर सरकार द्वारा 10 लाख रुपये की फिक्स्ड डिपॉजिट (एफडी) की जाएगी, जो उन्हें 23 वर्ष की आयु पूरी होने पर प्राप्त होगी। यह दीर्घकालिक वित्तीय सुरक्षा सुनिश्चित करेगी, जिससे बच्चे उच्च शिक्षा, व्यावसायिक प्रशिक्षण या स्वरोजगार के लिए उपयोग कर सकेंगे।

शासन के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि प्रधानमंत्री की इस घोषणा के बाद राज्य सरकार ने सभी 13 जिलों में आपदा के कारण अनाथ हुए बच्चों का व्यापक सर्वेक्षण शुरू कर दिया है। जिला स्तर पर विशेष टीमों का गठन किया गया है, जो ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में घर-घर जाकर पात्र बच्चों की पहचान करेंगी। सर्वेक्षण के बाद, पात्र बच्चों को तत्काल योजना से जोड़ा जाएगा। अधिकारी ने कहा, “यह न केवल बच्चों को आर्थिक रूप से मजबूत बनाएगा, बल्कि उन्हें समाज का उपयोगी सदस्य बनाने में भी मदद करेगा।”

यह योजना उत्तराखंड के लिए विशेष रूप से प्रासंगिक है, जहां 2013 की केदारनाथ आपदा, 2021 की ऋषिगंगा बाढ़ जैसी घटनाओं ने सैकड़ों बच्चों को अनाथ कर दिया। कोविड-19 महामारी के दौरान भी राज्य में 44 बच्चों को इस योजना का लाभ मिला था। तब कोविड के कारण माता-पिता या अभिभावकों को खोने वाले बच्चों को राज्य सरकार की मुख्यमंत्री वात्सल्य योजना के तहत भी सहायता दी गई थी। मुख्यमंत्री वात्सल्य योजना में मासिक वित्तीय सहायता, शिक्षा भत्ता और चिकित्सा सुविधाएं शामिल हैं।

पीएम केयर्स फॉर चिल्ड्रन योजना की शुरुआत 2021 में हुई थी, जो कोविड अनाथों के लिए थी, लेकिन अब इसे आपदा प्रभावित बच्चों तक विस्तारित किया गया है। योजना के तहत बच्चों को मानसिक स्वास्थ्य परामर्श, कौशल विकास प्रशिक्षण और कानूनी संरक्षण भी प्रदान किया जाएगा। विशेषज्ञों का मानना है कि यह योजना अनाथ बच्चों की संख्या में कमी लाने और उनके पुनर्वास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी।