Homeउत्तराखण्ड40  बीघे जंगल पर तारबाड़: खलंगा फॉरेस्ट सुर्खियों में

40  बीघे जंगल पर तारबाड़: खलंगा फॉरेस्ट सुर्खियों में

एक बार फिर से खलंगा फॉरेस्ट सुर्खियों में है.

इस बार मामला खलंगा रिजर्व फॉरेस्ट में घेरबाड़ से जुड़ा है. जब  लगभग 40  बीघे जंगल पर फेंसिंग कर गेट लगा दिया गया. जिसकी भनक लगते ही प्रकृति प्रेमी व पर्यावरण  प्रेमी तमाम संगठन से जुड़े लोग आ धमके और फेंसिंग को लेकर लगाए लोहे के एंगल उखाड़ दिए.

उधर, मामले को तूल पकड़ता देख शासन – प्रशासन के भी हाथ पांव फूल गए. इस मामले को बढ़ता देख खुद देहरादून डीएफओ की पूरी टीम के साथ मौके पर पहुंचे और कब्जा की गई भूमि का निरीक्षण किया.  

 मामला, खलंगा के 40  बीघे जंगल पर तारबाड़ कर गेट  लगा दिया गया था

दरअसल देहरादून के रायपुर विधानसभा क्षेत्र के अंतर्गत खलंगा के जंगल में एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है. यहां पर किसी व्यक्ति ने हजारों पेड़ों को घेर कर करीब 40 बीघा जंगल पर तारबाड़ कर गेट लगा दिया.

जंगल में तारबाड़ होते देख स्थानीय युवती दीपशिखा रावत ने इसके खिलाफ आवाज उठाई. दीपशिखा रावत बताती हैं कि जब वह सुबह घूमने  जंगल की तरफ जा रही थी. तब मौके पर बाउंड्री वॉल करवाई जा रही थी और गेट लगाने का काम किया जा रहा था.’

उन्होंने जब मौके पर काम कर रहे व्यक्ति से इसकी जानकारी ली तो उसने अपना नाम अनिल शर्मा बताया. जो गुड़गांव के निवासी हैं. उन्होंने बताया कि यह जमीन अशोक अग्रवाल की है. दीपशिखा की सूझबूझ इतनी रही कि उन्होंने इस पूरी बात  की वीडियो बना ली थी.    साथ ही इसकी जानकारी उन्होंने वन विभाग को भी दी.                                

दून घाटी में लगातार खराब होती प्रकृति और कटते पेड़ों पर सरकार की उदासीनता के चलते  पर्यावरण संरक्षण का जिम्मा अब देहरादून शहर के लोगों ने खुद अपने कंधों पर उठा लिया है. इसकी बानगी हाल ही में खलंगा रिजर्व फॉरेस्ट में हुए ताजा मामले में देखने को मिली है.

वन विभाग की टीम निरीक्षण पर आई तो उन्होंने भी ये कहकर पल्ला झाड़ दिया कि यह जमीन वन भूमि में नहीं है. जिसके बाद दीपशिखा को ठीक नहीं लगा और उनके मन में था कि बचपन से वो इस जगह को देख रही हैं.यहां पर घना जंगल है और अचानक वन विभाग अपनी जमीन मानने से मना कर रहा है. इस तरह से एक व्यक्ति हजारों पेड़ काटकर जंगल पर कब्जा कर रहा है. जिस पर उन्होंने रिकॉर्ड की गई वीडियो को सोशल मीडिया पर डाल दिया.

इस वीडियो ने  रातों-रात देहरादून शहर में  लोगों के बीच जंगल की  जमीनों को लेकर संवेदनशीलता बड़ा दी  . लोगों की इस वीडियो पर जमकर प्रतिक्रियाएं सामने आई. अगले दिन तमाम सामाजिक संगठन, पर्यावरण प्रेमी और आम लोग उसी जगह पर पहुंच गए. जिसके बाद मामला और  गरमा गया. लोगों का  कहना है  कि पहले भूमाफिया की नजर खेत खलिहान पर थी, अब सीधे जंगल पर पड़ रही है. लोगों का कहना है  इस मामले को पूरी ताकत से लडा  जायेगा.         

कानूनी विशेषज्ञों  का कहना है कि  इस मामले में यदि ठीक से पैरवी की गई तो भू माफिया सीधे सलाखों के पीछे जा सकता है.

उन्होंने एक तकनीकी बात भी कही. उन्होंने कहा कि जिस तरह से इस जमीन को एक निजी भूमि बताया जा रहा है, लेकिन कानूनी और टेक्निकल तरीके से यह सरकार की ही भूमि है. हैरानी की बात ये है कि सरकार इसमें ठीक से पैरवी नहीं कर रही है. इस भूमि को  निजी हाथों में बंदरबांट के लिए छोड़ सा दिया  गया  है.

देहरादून डीएफओ अमित तंवर भी मौके पर पहुंचे: मामले को तूल पकड़ता देख वन विभाग की टीम भी मौके पर पहुंची और कब्जा की गई भूमि का निरीक्षण किया तो उन्होंने पाया कि कब्जा कर रहे शख्स के पास किसी भी तरह से पेड़ कटान की कोई अनुमति नहीं है. उसके बावजूद भी कई सारे पेड़ मौके पर कटे हुए हैं. जिस पर देहरादून डीएफओ अमित तंवर ने वन अधिनियम की धाराओं के तहत कार्रवाई करने के निर्देश दिए.    वहीं, इसके अलावा उन्होंने ये भी बताया कि जिला प्रशासन से उन्हें जानकारी मिली है कि रिजर्व फॉरेस्ट के बीच में एक छोटा सा चक (जमीन का खंड) किसी प्राइवेट व्यक्ति के नाम पर है. हालांकि, ये कैसे संभव हुआ… ये समझ से परे  है.    इस पूरे मामले पर एक संयुक्त जांच समिति भी गठित की गई है.

काटे गए पेड़ों का आकलन करते हुए इसमें मुकदमा दर्ज किया जाएगा.

हालांकि,    जिला प्रशासन की ओर से कोई भी बड़ा अधिकारी मौके पर नहीं पहुंचा था .  जिला प्रशासन की ओर से अभी तक इस मामले में कुछ भी  स्पष्ट  नहीं किया गया है. क्योंकि राजस्व के मामलों की  सभी जानकारी जिला प्रशासन के पास होती है.

लोगों का कहना है कि  जब से घेराबंदी का   वीडियो सोशल मीडिया पर डाला ,अब  देहरादून जिला प्रशासन और वन विभाग के आने की सम्भावना है.  

पेड़ कटान और जंगल पर कब्जे का वीडियो सामने आने पर तरह-तरह की प्रतिक्रियाएं आई. सामाजिक और राजनीतिक संगठन मौके पर पहुंचे. इससे  पता चलता है कि देहरादून की प्रकृति, पेड़ और जंगलों को बचाने के लिए आमजन अग्रिम पंक्ति में खड़े हैं. वहीं, दूसरी तरफ जिला प्रशासन और वन विभाग की अनदेखी कर जंगल की 40   बीघा भूमि पर कब्जे का प्रयास किया गया है .  इस पर  जिला प्रसाशन और वन – विभाग   पर सवाल उठ रहे हैं. आखिर यह कैसे संभव है .