उत्तराखंड की अर्थव्यवस्था के लिए चिंता की बात है कि राज्य का गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स (जीएसटी) संग्रह मई 2025 में पिछले साल की तुलना में 13 फीसदी कम रहा है. जीएसटी नेटवर्क की ताजा रिपोर्ट के अनुसार, मई 2024 में जहां राज्य का जीएसटी संग्रह 1,837 करोड़ रुपये था, वहीं मई 2025 में यह घटकर 1,605 करोड़ रुपये रह गया. इस तरह, पिछले साल के मुकाबले 232 करोड़ रुपये की कमी दर्ज की गई है. यह गिरावट उत्तराखंड को उन चुनिंदा राज्यों में शामिल करती है, जिनके जीएसटी संग्रह में कमी देखी गई है, जबकि देश के अन्य बड़े राज्यों ने इस दौरान उल्लेखनीय वृद्धि हासिल की है.
देशभर में जीएसटी संग्रह का हाल
जीएसटी नेटवर्क की मई 2025 की रिपोर्ट के मुताबिक, देश के कई राज्यों ने जीएसटी संग्रह में शानदार प्रदर्शन किया है. महाराष्ट्र, कर्नाटक, तमिलनाडु और दिल्ली जैसे राज्य इस मामले में सबसे आगे रहे हैं. महाराष्ट्र ने 31,530 करोड़ रुपये के साथ पहला स्थान हासिल किया, जिसमें 17 फीसदी की वृद्धि दर्ज की गई. कर्नाटक 14,299 करोड़ रुपये के साथ दूसरे स्थान पर रहा, जहां 20 फीसदी की बढ़ोतरी देखी गई. तमिलनाडु ने 12,230 करोड़ रुपये के साथ तीसरा और दिल्ली ने 10,366 करोड़ रुपये के साथ चौथा स्थान प्राप्त किया. दिल्ली के जीएसटी संग्रह में 38 फीसदी की उल्लेखनीय वृद्धि हुई.
इसके अलावा, लद्दाख में 89 फीसदी, मणिपुर में 102 फीसदी, और अरुणाचल प्रदेश में 53 फीसदी की वृद्धि ने छोटे राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के मजबूत प्रदर्शन को दर्शाया. हालांकि, कुछ राज्यों में जीएसटी संग्रह में कमी भी देखी गई. मिजोरम में सर्वाधिक 26 फीसदी, उत्तराखंड में 13 फीसदी, और आंध्र प्रदेश में 2 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई. अन्य राज्यों जैसे हिमाचल प्रदेश में 1 फीसदी और उत्तर प्रदेश में कोई वृद्धि नहीं होने से जीएसटी संग्रह स्थिर रहा.
उत्तराखंड में गिरावट के कारण
अर्थशास्त्री प्रो. मृगेश पांडे के अनुसार, उत्तराखंड के जीएसटी संग्रह में कमी के कई कारण हैं. उन्होंने बताया कि आर्थिक मंदी, उपभोक्ता खर्च में कमी, और औद्योगिक गतिविधियों में सुस्ती ने राज्य की कर वसूली को प्रभावित किया है. इसके अलावा, समय पर कर जमा न करने, प्राकृतिक आपदाओं के कारण व्यापारिक गतिविधियों में रुकावट, और कर छूट जैसे कारकों ने भी जीएसटी संग्रह को अस्थायी रूप से कम किया है. प्रो. पांडे ने उम्मीद जताई कि बाजार में सुधार के साथ उत्तराखंड के जीएसटी संग्रह में जल्द ही वृद्धि देखने को मिल सकती है.
राष्ट्रीय परिदृश्य और तुलना
राष्ट्रीय स्तर पर, मई 2025 में भारत का कुल जीएसटी संग्रह 2.01 लाख करोड़ रुपये रहा, जो मई 2024 के 1.72 लाख करोड़ रुपये की तुलना में 16.4 फीसदी अधिक है. इस वृद्धि में आयात से प्राप्त जीएसटी में 25.2 फीसदी और घरेलू लेनदेन से 13.7 फीसदी की बढ़ोतरी शामिल है. महाराष्ट्र, कर्नाटक, और तमिलनाडु जैसे राज्यों ने जहां मजबूत वृद्धि दर्ज की, वहीं उत्तराखंड, मिजोरम, और आंध्र प्रदेश जैसे राज्य पीछे रह गए.
उत्तराखंड के लिए यह स्थिति चिंताजनक है, क्योंकि जीएसटी संग्रह राज्य की अर्थव्यवस्था और विकास परियोजनाओं के लिए महत्वपूर्ण है. जीएसटी राजस्व स्वास्थ्य, शिक्षा, और बुनियादी ढांचे जैसी योजनाओं को वित्तपोषित करने में अहम भूमिका निभाता है. ऐसे में, जीएसटी संग्रह में कमी से राज्य की विकास योजनाएं प्रभावित हो सकती हैं.
हिन्दी अखबार दैनिक हिन्दुस्तान को दी गई जानकारी में प्रो. पांडे ने बताया कि उत्तराखंड को जीएसटी संग्रह बढ़ाने के लिए औद्योगिक गतिविधियों को प्रोत्साहन देना होगा. इसके अलावा, कर अनुपालन को बेहतर करने, व्यापारिक गतिविधियों को बढ़ावा देने, और प्राकृतिक आपदाओं के प्रभाव को कम करने के लिए ठोस कदम उठाने की जरूरत है. केंद्र सरकार द्वारा बजट 2025 में दी गई कर राहत से उपभोक्ता खर्च बढ़ने की उम्मीद है, जो जीएसटी संग्रह को बढ़ाने में मदद कर सकता है.
स्वास्थ्य विभाग और स्थानीय प्रशासन को भी यह सुनिश्चित करना होगा कि प्राकृतिक आपदाओं या अन्य कारणों से व्यापारिक गतिविधियां बाधित न हों. उत्तराखंड जैसे पर्यटन-प्रधान राज्य में, जहां मौसमी बदलाव और प्राकृतिक आपदाएं आम हैं, जीएसटी संग्रह को स्थिर रखने के लिए दीर्घकालिक रणनीति की जरूरत है.
उत्तराखंड में मई 2025 में जीएसटी संग्रह में 13 फीसदी की गिरावट ने राज्य की आर्थिक चुनौतियों को उजागर किया है. जबकि देश के अन्य राज्य जीएसटी संग्रह में उल्लेखनीय वृद्धि दर्ज कर रहे हैं, उत्तराखंड को अपनी अर्थव्यवस्था को मजबूत करने के लिए तत्काल कदम उठाने होंगे. विशेषज्ञों का मानना है कि सही नीतियों और बेहतर कर अनुपालन के साथ उत्तराखंड इस कमी को जल्द ही दूर कर सकता है. लेकिन इसके लिए राज्य सरकार को औद्योगिक और व्यापारिक गतिविधियों को बढ़ावा देने के साथ-साथ कर वसूली के तंत्र को और मजबूत करना होगा.