नैनीताल के मोरा गांव में शनिवार रात एक तेंदुए के हमले में 70 वर्षीय पुष्पा देवी की दुखद मौत हो गई। यह घटना गांव तक सड़क न होने की गंभीर समस्या को उजागर करती है, जिसके कारण घायल महिला को समय पर अस्पताल नहीं पहुंचाया जा सका। ग्रामीणों का कहना है कि अगर गांव तक सड़क होती, तो शायद वृद्धा की जान बचाई जा सकती थी।
तेंदुए का हमला और ग्रामीणों का संघर्ष
घटना शनिवार रात की है, जब पुष्पा देवी अपने घर में सो रही थीं। तेंदुए ने अचानक हमला कर दिया। परिजनों के शोर मचाने पर तेंदुआ महिला को घर से करीब सौ मीटर दूर तीन खेत नीचे छोड़कर भाग गया। तेंदुए के हमले से गंभीर रूप से घायल हुई पुष्पा देवी को ग्रामीण साढ़े तीन किलोमीटर पैदल जंगल के रास्ते से सड़क तक ले गए। इसके बाद ही उन्हें हल्द्वानी के एसटीएच (सुशीला तिवारी अस्पताल) पहुंचाया जा सका, जहां चिकित्सकों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया।
सड़क की कमी बनी जानलेवा, पहले भी हुई हैं मौतें
ग्राम प्रधान हंसी पलड़िया ने इस दुखद घटना के लिए गांव तक सड़क न होने को मुख्य कारण बताया। उन्होंने कहा कि अगर गांव तक सड़क होती, तो घायल महिला को समय से अस्पताल पहुंचाया जा सकता था। पलड़िया ने यह भी खुलासा किया कि सड़क नहीं होने के कारण पूर्व में भी अस्पताल ले जाने में देरी के चलते गांव में एक नवजात और एक घायल की जान जा चुकी है। उन्होंने प्रशासन से मोरा गांव तक जल्द से जल्द सड़क पहुंचाने की मांग की है।
वन विभाग की कार्रवाई: पिंजरा लगाया, गश्त तेज
इस घटना के बाद वन विभाग हरकत में आया है। वन क्षेत्राधिकारी मुकुल शर्मा ने बताया कि मोरा गांव में दो क्विंटल भारी पिंजरे को तीन किलोमीटर पैदल ले जाकर लगाया गया है। विभाग की टीम ने ट्रैंक्विलाइजर गन के साथ क्षेत्र में गश्त भी शुरू कर दी है और तेंदुए की हर गतिविधि पर नजर रखी जा रही है। डीएफओ, नैनीताल, चंद्रशेखर जोशी ने बताया कि क्षेत्र में तेंदुए के पंजों के निशान भी मिले हैं। दो पिंजरे और आठ ट्रैप कैमरे लगाए गए हैं और सैंपल जांच के लिए लैब भेजे गए हैं। उन्होंने यह भी बताया कि मृतक महिला के परिवार को मुआवजे के रूप में सोमवार को छह लाख रुपये की राशि दी जाएगी। विभाग ने जल्द ही हमलावर तेंदुए को पकड़ने का दावा किया है।