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Rape of minor : अदालत ने दोषी को सुनाई 20 साल सश्रम कारावास की सजा

उत्तराखंड के पौड़ी में विशेष सत्र न्यायाधीश (पोक्सो) अजय चौधरी की अदालत ने एक नाबालिग से दुष्कर्म के मामले में दोषी को 20 साल के सश्रम कारावास की सजा सुनाई है। अदालत ने दोषी पर 21 हजार रुपये का अर्थदंड भी लगाया है, जिसे जमा न करने पर उसे छह महीने का अतिरिक्त कारावास भुगतना होगा। इसके साथ ही, अदालत ने डीएम और एसएसपी पौड़ी को पीड़िता की शिक्षा और पुनर्वास के लिए 3 लाख रुपये का प्रतिकर दिए जाने का भी आदेश दिया है।

क्या था पूरा मामला? रिश्तेदार के साथ गई बच्ची हुई थी दुष्कर्म का शिकार

अभियोजन पक्ष के सहायक जिला अधिवक्ता विजेंद्र सिंह रावत ने घटना की जानकारी देते हुए बताया कि यह मामला 16 जून 2023 का है। तहसील रिखणीखाल के एक गांव के ग्रामीण ने राजस्व पुलिस को तहरीर सौंपकर बताया था कि उसकी साली की 10 वर्षीय बेटी गर्मियों की छुट्टियों में उनके घर आई हुई थी। एक दिन वह अपनी मामी के साथ बाजार गई। बाजार से वापस बस में आते समय बच्ची ने नाना के घर जाने की इच्छा जताई, जिसके बाद मामी ने उसे नाना के गांव के एक ग्रामीण के साथ भेज दिया।

लेकिन, जब बच्ची काफी देर तक ननिहाल नहीं पहुंची, तो उसके मामा से संपर्क किया गया। बच्ची की खोजबीन के दौरान, वह गांव के पास एक बस स्टॉप पर एक बेंच पर रोती हुई मिली। उसके पास खड़ा ग्रामीण मामा को देखकर भाग गया। बच्ची से रोने का कारण पूछने पर उसने बताया कि वही ग्रामीण उसे झाड़ी में ले गया और उसके साथ दुष्कर्म की घटना को अंजाम दिया।

पुलिस कार्रवाई और अदालत का फैसला

इस गंभीर मामले में राजस्व पुलिस ने आरोपी ग्रामीण के खिलाफ नाबालिग बच्ची से दुष्कर्म, जान से मारने की धमकी और पोक्सो की धाराओं में मुकदमा दर्ज कर जांच शुरू की। बाद में डीएम के आदेश पर यह प्रकरण रेगुलर पुलिस को सौंपा गया। पुलिस ने त्वरित कार्रवाई करते हुए आरोपी को 20 जून 2023 को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था। जांच पूरी होने के बाद, पुलिस ने 18 अगस्त 2023 को अदालत में आरोप पत्र दाखिल किया। अदालत ने सभी बयान और साक्ष्यों का गहन अवलोकन करने के बाद विक्रम कुमार नामक आरोपी को नाबालिग बच्ची से दुष्कर्म का दोषी पाया और उसे 20 साल के सश्रम कारावास की सजा सुनाई। यह फैसला ऐसे अपराधों के प्रति अदालत की सख्ती को दर्शाता है।