उत्तराखंड के स्कूली बच्चों के लिए एक अच्छी खबर है। अब वे अपनी किताबों में देवभूमि की समृद्ध विरासत और महान विभूतियों के बारे में पढ़ सकेंगे। ‘उत्तराखंड की विरासत एवं विभूतियां’ नामक पुस्तक को इस शैक्षणिक सत्र से कक्षा छह से आठ तक के पाठ्यक्रम में शामिल कर लिया गया है। इस कदम से बच्चे अपने राज्य के इतिहास, लोक परंपराओं और प्रेरणादायक कहानियों से जुड़ पाएंगे।
न्याय के देवता गोल्ज्यू और अमर सेनानी जसवंत सिंह रावत
उत्तराखंड में न्याय के देवता गोल्ज्यू की कहानियाँ बच्चे अब तक सिर्फ सुना करते थे, लेकिन अब वे उनका विधिवत अध्ययन भी करेंगे। कक्षा छह की पुस्तक में ‘न्यायकारी ग्वेल देवता’ नाम से एक पूरा पाठ है, जिसमें गोल्ज्यू के जीवन और उन्हें न्यायप्रिय देवता क्यों कहा जाता है, इसका विस्तार से वर्णन किया गया है।
वहीं, कक्षा आठ की पुस्तक में ‘अमर सेनानी जसवंत सिंह रावत’ के नाम से एक प्रेरणादायी पाठ शामिल है। इसमें बताया गया है कि 1962 के भारत-चीन युद्ध में अकेले जसवंत सिंह ने चीनी सेना के 300 सैनिकों को मार गिराया था। किताब में राज्य के कारगिल योद्धाओं की जानकारी भी दी गई है, जो बच्चों में देशप्रेम और बहादुरी की भावना जगाएगी।
उत्तराखंड की गौरवशाली परंपराओं से रूबरू होंगे बच्चे
यह पुस्तक केवल वीरगाथाओं तक सीमित नहीं है, बल्कि इसे उत्तराखंड के इतिहास, विभिन्न आंदोलनों (जैसे उत्तराखंड राज्य आंदोलन, चिपको आंदोलन), लोक परंपराओं, लोकपर्वों और महान विभूतियों से परिपूर्ण बनाया गया है। चिपको आंदोलन की नायिका गौरा देवी, वीरांगना तीलू रौतेली जैसी शख्सियतों पर भी प्रेरणादायक पाठ तैयार किए गए हैं।
‘हमारी विरासत एवं विभूतियां’ पुस्तक में 18वीं गढ़वाल रायफल की शौर्यगाथा, लोकपर्व हरेला, हमारे आभूषण, गौचर मेला, जुझारू विपिन त्रिपाठी, मुजफ्फरनगर की घटना, वीर केसरी चंद, पिरान कलियर शरीफ, भारत रत्न पंडित गोविंद बल्लभ पंत, वीर योद्धा माधो सिंह भंडारी, हमारे ताल और झीलें, गढ़ चाणक्य पुरिया नैथानी और लोकगायिका कबूतरी देवी जैसे महत्वपूर्ण विषयों को शामिल किया गया है।
नैनीताल के प्रभारी मुख्य शिक्षा अधिकारी पीएल टम्टा ने बताया कि यह किताब पहली बार पाठ्यक्रम में शामिल की गई है और स्कूलों में इसका वितरण किया जा रहा है। यह पहल बच्चों को अपनी जड़ों से जोड़ने और राज्य की समृद्ध संस्कृति व इतिहास को समझने में मदद करेगी।