इस वर्ष 11वें अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस को उत्तराखंड सरकार भव्य पैमाने पर मनाने की तैयारी कर रही है। इस बार का राज्य स्तरीय मुख्य कार्यक्रम प्रदेश की ग्रीष्मकालीन राजधानी गैरसैंण (भराड़ीसैंण) में आयोजित किया जाएगा, जो इसे एक ऐतिहासिक और अंतरराष्ट्रीय आयाम देगा। उत्तराखंड सरकार ने आयुष विभाग को इस कार्यक्रम के आयोजन की अनुमति दे दी है, और एक महत्वपूर्ण पहल के तहत, पहली बार 10 देशों के राजदूतों को भी इस आयोजन में शामिल होने के लिए आमंत्रित किया गया है।
गैरसैंण क्यों बना केंद्र
गैरसैंण, जो उत्तराखंड की ग्रीष्मकालीन राजधानी भी है, को इस बार अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के मुख्य कार्यक्रम के लिए चुना जाना कई मायनों में महत्वपूर्ण है। यह न केवल भौगोलिक रूप से राज्य के मध्य में स्थित है, बल्कि इसकी शांत और प्राकृतिक सुंदरता योग के आध्यात्मिक और शारीरिक लाभों को बढ़ावा देने के लिए एक आदर्श पृष्ठभूमि प्रदान करती है। भराड़ीसैंण विधानसभा भवन परिसर, जो इस कार्यक्रम का मुख्य स्थल होगा, एक विशाल और रमणीय स्थान है जो बड़ी संख्या में प्रतिभागियों को समायोजित कर सकता है।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी स्वयं 21 जून को इस भव्य कार्यक्रम में योगासन करेंगे। उनके साथ विभिन्न गणमान्य व्यक्ति, योग गुरु और आम जनता भी शामिल होगी। मुख्यमंत्री का उद्देश्य योग को एक स्वस्थ जीवन शैली के अभिन्न अंग के रूप में अपनाने के लिए लोगों को प्रेरित करना है। उनका संदेश होगा कि योग सिर्फ शारीरिक व्यायाम नहीं, बल्कि मानसिक और आध्यात्मिक शांति का मार्ग भी है।
अंतर्राष्ट्रीय सहभागिता: वैश्विक योग संदेश
इस वर्ष के कार्यक्रम की सबसे बड़ी विशेषता 10 देशों के राजदूतों की उपस्थिति है। यह कदम योग के वैश्विक महत्व को रेखांकित करता है और उत्तराखंड को ‘योगभूमि’ के रूप में विश्व पटल पर स्थापित करने में मदद करेगा। इन राजदूतों की भागीदारी से योग के सार्वभौमिक संदेश को उनके देशों और दुनिया के अन्य हिस्सों तक पहुंचाने में मदद मिलेगी। यह भारत की सॉफ्ट पावर को भी मजबूत करेगा, क्योंकि योग को अब विश्वभर में स्वास्थ्य और कल्याण के एक प्रभावी साधन के रूप में मान्यता मिल रही है।
विस्तृत तैयारियां और जागरूकता अभियान
आयुर्वेद विभाग ने गैरसैंण के भराड़ीसैंण विधानसभा भवन परिसर में अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस की तैयारियां युद्धस्तर पर शुरू कर दी हैं। इन तैयारियों में सुरक्षा व्यवस्था, प्रतिभागियों के लिए सुविधाएं, मंच व्यवस्था और योग सत्रों का सुचारु संचालन सुनिश्चित करना शामिल है।
योग के प्रति लोगों में जागरूकता बढ़ाने और इस प्राचीन भारतीय पद्धति को जन-जन तक पहुंचाने के लिए प्रदेश में डेढ़ माह पहले ही विभिन्न कार्यक्रम शुरू किए गए थे। इन अभियानों में कई रचनात्मक पहल शामिल हैं:
प्रकृति से जुड़ाव : योग को प्रकृति से जोड़ने पर विशेष जोर दिया गया है। इसके तहत, राज्य की खूबसूरत झीलों और नदियों के किनारों से भी योग सत्रों का सीधा प्रसारण किया जा रहा है। यह पहल न केवल योग के प्रति रुचि जगाती है, बल्कि उत्तराखंड की प्राकृतिक सुंदरता का भी प्रदर्शन करती है।
विद्यालयों में प्रतियोगिताएं : प्रत्येक जिले के स्कूलों में योग पर आधारित चित्रकला प्रतियोगिताएं आयोजित की जा रही हैं। इसका उद्देश्य बच्चों में कम उम्र से ही योग के प्रति रुचि और जागरूकता पैदा करना है, ताकि वे इसे अपनी दिनचर्या का हिस्सा बना सकें।
राज्य और जिला स्तर पर पहल
सचिव आयुष दीपेंद्र चौधरी ने पुष्टि की है कि राज्य स्तरीय योग दिवस कार्यक्रम गैरसैंण में होगा। उन्होंने यह भी बताया कि इसके अलावा, जिला स्तर पर भी योग दिवस से संबंधित व्यापक कार्यक्रम शुरू कर दिए गए हैं। इसका मतलब है कि राज्य के हर कोने में योग के लाभों को बढ़ावा देने के लिए गतिविधियां होंगी, जिससे अधिक से अधिक लोग इसमें शामिल हो सकें।
आयुष मंत्रालय के दिशा-निर्देशों के अनुसार, इस बार योग दिवस के लिए एक और महत्वपूर्ण पहल की जा रही है: प्रत्येक जिले में एक ‘योग पार्क’ का निर्माण। इन पार्कों का मुख्य उद्देश्य स्थानीय लोगों को सुबह और शाम के समय नियमित रूप से योग अभ्यास करने के लिए एक सुलभ और समर्पित स्थान प्रदान करना है। ये योग पार्क सामुदायिक स्वास्थ्य और कल्याण को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे।
उत्तराखंड: ‘देवभूमि’ से ‘योगभूमि’ तक का सफर
उत्तराखंड को आदिकाल से ही ‘देवभूमि’ के रूप में जाना जाता रहा है, जहां आध्यात्मिकता और प्रकृति का अद्भुत संगम है। अब, अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के भव्य आयोजनों और योग पार्कों के निर्माण जैसी पहलों के माध्यम से, उत्तराखंड स्वयं को ‘योगभूमि’ के रूप में भी स्थापित कर रहा है। यह आयोजन न केवल योग के आध्यात्मिक और शारीरिक लाभों को बढ़ावा देगा, बल्कि राज्य में पर्यटन और स्थानीय अर्थव्यवस्था को भी बढ़ावा देगा। 10 देशों के राजदूतों की उपस्थिति से यह कार्यक्रम निश्चित रूप से वैश्विक ध्यान आकर्षित करेगा और योग के संदेश को दूर-दूर तक पहुंचाने में सहायक होगा, जिससे उत्तराखंड वास्तव में वैश्विक योग केंद्र के रूप में उभरेगा।