आम प्रेमियों के लिए इस गर्मी एक बेहद अच्छी खबर है। उत्तर प्रदेश का मुरादाबाद मंडल, जो अपनी रसीली आम की किस्मों के लिए जाना जाता है, इस साल शानदार पैदावार की उम्मीद कर रहा है। अनुमान है कि आमों की बंपर फसल से कीमतें कम होंगी, जिससे फलों का यह राजा आम आदमी की पहुंच में आ जाएगा। खास बात यह है कि इस मंडल के आम की मिठास और गुणवत्ता की वैश्विक स्तर पर धूम मची है, जिसका प्रमाण दुबई से मिली 200 टन आम की शुरुआती मांग है।
आम का गढ़: 30,000 हेक्टेयर में फैले बाग
मुरादाबाद मंडल, जिसमें अमरोहा, मुरादाबाद और रामपुर जैसे जिले शामिल हैं, आम की पैदावार के लिए एक प्रमुख केंद्र है। यह पूरा मंडल करीब 30,000 हेक्टेयर भूमि पर आम के बगीचों से आच्छादित है। इसमें सबसे बड़ी हिस्सेदारी अमरोहा जिले की है, जहाँ विशेष रूप से हसनपुर और नौगांवा सादात तहसील क्षेत्रों में आम के बड़े-बड़े बाग फैले हुए हैं।
अमरोहा अपनी विविध प्रकार की आम की किस्मों के लिए मशहूर है। यहाँ 12 हजार हेक्टेयर में दशहरी, चौसा, लंगड़ा, बंबई, फजरी, समर बहिश्त, सुरखा, हुस्नआरा, खट्टा और तोतापरी जैसी बेहतरीन किस्में उगाई जाती हैं। इन आमों की गुणवत्ता और स्वाद ऐसा है कि विदेशी भी इसके दीवाने हैं।
वैश्विक पहचान: मुरादाबाद मंडल के आमों का निर्यात
मुरादाबाद मंडल में पैदा होने वाले आमों की मिठास और गुणवत्ता ने इन्हें अंतरराष्ट्रीय स्तर पर एक अलग पहचान दिलाई है। ये आम सिर्फ देश में ही नहीं, बल्कि दुनियाभर के बाजारों में अपनी जगह बना चुके हैं।
मुरादाबाद मंडल से आम का निर्यात दुबई, बहरीन, शारजाह, ओमान, सिंगापुर, मलेशिया, अबू धाबी, अमेरिका, जापान, ऑस्ट्रेलिया, ईरान, उज्बेकिस्तान, इटली, स्पेन, जर्मनी, हॉलैंड और लंदन जैसे देशों तक होता है। इनमें से खाड़ी देशों से आम की सबसे अधिक मांग रहती है। उम्मीद है कि इस बार अच्छी पैदावार से आम के दाम नियंत्रित रहेंगे, जिससे अमरोहा के स्वादिष्ट आम का स्वाद हर कोई ले सकेगा। पिछले सालों की तरह इस साल भी 15 जून के बाद अरब देशों में आम की पहली खेप भेजने की तैयारियां चल रही हैं।
जिलेवार आम की पैदावार: विविधता और गुणवत्ता
मुरादाबाद जिले में भी आम की अच्छी पैदावार होती है, जहाँ लगभग 5000 हेक्टेयर में ठाकुर द्वारा, बिलारी, कुंदरकी, छजलैट और कांठ जैसे इलाकों में आम के बाग हैं। यहाँ दशहरी के अलावा लंगड़ा, चौसा, बंबइया और आम्रपाली जैसी लोकप्रिय किस्में उगाई जाती हैं। इसके अतिरिक्त, रामपुर और बिजनौर जिले के कुछ इलाकों में भी आम के बाग हैं, जो मंडल की कुल आम पैदावार में योगदान करते हैं।
अमरोहा की खासियत: स्वाद में अव्वल
यूपी मैंगो एक्सपोर्ट एसोसिएशन के अध्यक्ष नदीम सिद्दीकी बताते हैं कि अमरोहा का वातावरण और मिट्टी आम की पैदावार के लिए बेहद अनुकूल है। यहाँ की कुछ खास किस्में ऐसी हैं, जो दुनियाभर में अपनी विशिष्टता के लिए जानी जाती हैं। दशहरी, चौसा और लंगड़ा आम विशेष रूप से विदेशियों द्वारा पसंद किए जाते हैं, और इन्हीं तीन किस्मों की अंतरराष्ट्रीय बाजार में सबसे ज्यादा मांग रहती है।
सिद्दीकी के अनुसार, अमरोहा के आमों की अद्वितीय मिठास ने निर्यात के मामले में अन्य प्रसिद्ध भारतीय आमों को भी पीछे छोड़ दिया है। इसमें महाराष्ट्र का अल्फांसो, गुजरात का केसर व नीलम, और आंध्र प्रदेश का बैगनपल्ली जैसे आम भी शामिल हैं। यह अमरोहा के आमों की गुणवत्ता और स्वाद का एक बड़ा प्रमाण है।
दुबई से रिकॉर्ड मांग: निर्यात में उछाल की उम्मीद
इस साल दुबई से आम के ऑर्डर मिलने शुरू हो गए हैं, जो एक सुखद संकेत है। अकेले दुबई को 200 टन आम भेजे जाने की तैयारी है, जिसमें मुख्य रूप से दशहरी, लंगड़ा और चौसा आम शामिल हैं। यह पिछले साल की तुलना में विदेश से आने वाली मांग में उल्लेखनीय वृद्धि को दर्शाता है, जिससे आम कारोबार में बेहतर मुनाफा होने की उम्मीद है।
यह बढ़ी हुई मांग न केवल स्थानीय किसानों के लिए आर्थिक रूप से फायदेमंद है, बल्कि यह उत्तर प्रदेश के आमों को वैश्विक फल बाजार में और मजबूत स्थिति प्रदान करती है। भारी बौर और अनुकूल मौसम परिस्थितियों को देखते हुए, इस साल आम का उत्पादन रिकॉर्ड स्तर पर पहुंचने और हर आम प्रेमी तक इसकी मिठास पहुंचने की पूरी संभावना है।