उत्तराखंड में एक गंभीर स्वास्थ्य संकट उत्पन्न हो गया है, क्योंकि निजी अस्पतालों ने राज्य स्वास्थ्य प्राधिकरण पर करोड़ों रुपये के बिल बकाया होने के कारण गोल्डन कार्ड से इलाज बंद कर दिया है। इस निर्णय से राज्य सरकार के कर्मचारियों और पेंशनभोगियों में भारी नाराजगी है। निगम कर्मचारी अधिकारी महासंघ और सेवानिवृत्त राजकीय पेंशनर्स संगठन ने इस मुद्दे पर अपनी गहरी चिंता व्यक्त की है। महासंघ ने मुख्य सचिव के समक्ष अपनी समस्याएं रखीं, जबकि पेंशनर्स संगठन ने बैठक कर अपना रोष प्रकट किया। कर्मचारियों का कहना है कि गोल्डन कार्ड के लिए नियमित रूप से अंशदान कटने के बावजूद उन्हें निजी अस्पतालों में मुफ्त इलाज नहीं मिल पा रहा है।
अस्पतालों पर करोड़ों का बकाया
निजी अस्पतालों का राज्य स्वास्थ्य प्राधिकरण पर करोड़ों रुपये का बकाया है, जिसके कारण उन्होंने गोल्डन कार्ड धारकों का इलाज करने से इनकार कर दिया है। कुछ ही अस्पताल अभी भी इस योजना के तहत सेवाएं दे रहे हैं, जिससे मरीजों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।
मुख्य सचिव का आश्वासन
कर्मचारी महासंघ के ज्ञापन पर प्रतिक्रिया देते हुए मुख्य सचिव आनंदबर्द्धन ने जल्द ही वार्ता करने का आश्वासन दिया है। हालांकि, कर्मचारियों और पेंशनभोगियों को तत्काल समाधान की उम्मीद है।
अन्य लंबित मुद्दे
कर्मचारी प्रतिनिधियों ने अपर सचिव पेयजल से भी मुलाकात कर जल संस्थान के कर्मचारियों से जुड़े विभिन्न लंबित मुद्दों पर चर्चा की, जिनमें वेतनमान और ग्रेड-पे में वृद्धि शामिल है।
स्वास्थ्य सेवाओं पर सवाल
गोल्डन कार्ड योजना, जिसका उद्देश्य राज्य के कर्मचारियों और पेंशनभोगियों को गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करना था, अब वित्तीय संकट के कारण सवालों के घेरे में है। यदि सरकार और प्राधिकरण जल्द ही इस समस्या का समाधान नहीं करते हैं, तो यह हजारों लोगों के स्वास्थ्य और कल्याण पर गंभीर प्रभाव डाल सकता है।